साहिबगंजः अक्सर गंगा का कोप झेलने वाले साहिबगंज के मधुसूदन में अंतिम संस्कार भी 'जंग' जैसा हो गया है. एक साल पहले गंगा में समाए मधुसूदन श्मशान घाट का अभी तक निर्माण नहीं कराया जा सका और लोगों को अंतिम संस्कार के लिए जगह ढूंढ़नी पड़ रही है. यहां मोक्षधाम की बची थोड़ी सी जगह पर लोगों को जैसे-तैसे अंतिम संस्कार करना पड़ रहा है या शव के अंतिम संस्कार के लिए दूसरे घाटों का चक्कर लगाना पड़ रहा है. शव का अंतिम संस्कार करने में लोगों को खासी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि अब प्रशासन निर्माण एजेंसी जुडको(JUIDCO) को नोटिस जारी करने की तैयारी कर रहा है.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2018 में हजारीबाग से ऑनलाइन साहिबगंज में 9.37 करोड़ की तीन परियोजनाओं का उद्घाटन किया था. पहला राजमहल मधुसूदन श्मशान घाट का सौंदर्यीकरण, दूसरा सिंधी दलान और तीसरा फेरी सेवा घाट में रो रो का निर्माण कार्य का उद्घाटन. मधुसूदन श्मशान घाट पर टिन शेड और सौंदर्यीकरण के काम कराए गए थे. कटाव रोधी कार्य भी कराए गए थे. अंतिम संस्कार के लिए आने वालों को काफी सहूलियत मिली थी. लेकिन महज एक साल बाद गंगा की बाढ़ में सारा सौंदर्यीकरण कार्य बह गया, कटाव रोकने के लिए जो पत्थर बांधे गए थे वह भी बह गए. अब अंतिम संस्कार के लिए आने वालों को परेशानी हो रही है. सवाल उठता है कि बाढ़ से बचाव के उपाय क्यों नहीं किए गए.
जुडको ने कराया था निर्माण
जुडको (JUIDCO) ने 2018 में श्मशान घाट का निर्माण कार्य पूरा किया था. इसके बाद जुटको कंपनी ने राजमहल नगर पंचायत को 2019 में इसे हैंड ओवर कर दिया. लेकिन एक वर्ष के बाद 2020 में बाढ़ में सौंदर्यीकरण कार्य बह गया. इस दौरान बड़ा हादसा भी होते-होते बचा था. घटना के समय 3 अधजले शव बह गए थे. इस मामले की जांच के लिए तत्कालीन एसडीओ ने विभाग को पत्र भी लिखा था लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. जांच रिपोर्ट भी सामने नहीं आई. यह भी नहीं पता चल सका कि सौंदर्यीकरण कार्य ऐसी जगह क्यों कराया गया, जहां बाढ़ आ सकती थी, या बाढ़ से बचाव के उचित उपाय क्यों नहीं किए गए.
ये कार्य कराए गए थे
राजमहल शहर के अंतर्गत मधुसूदन कॉलोनी के गंगा भवन के ठीक पास बनाए गए श्मशान घाट (मुक्तिधाम) के सौंदर्यीकरण कार्य के तहत शव को जलाने के लिए शेड सहित स्ट्रक्चर बनाया गया था. गंगा कटाव रोधी कार्य भी किया गया था. पत्थर बांधे गए थे. श्मशान घाट में कई सोलर लाइट की व्यवस्था की गई थी. शौचालय का प्रबंध किया गया था.
दूसरे घाटों का चक्कर, बारिश में भीगते हैं लोग
गंगा किनारे श्मशान घाट बहने से आसपास के लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इस घाट पर जगह न होने से लोगों को दूसरे घाटों पर अंतिम संस्कार के लिए जाना पड़ रहा है. अब श्मशान घाट परिसर में एक भी छतदार चबूतरा नहीं है, बारिश होने पर अधजला शव को छोड़कर भागने के लिए लोग मजबूर हो जाते हैं. बता दें कि इस श्मशान घाट पर दूरदराज से लोग शव को जलाने के लिए आते थे, जिसमें बरहेट, बोरियों, तीनपहाड़ सहित पड़ोसी जिला गोड्डा से भी लोग शव यहां लाते थे. अब एक साल बाद भी यहां की व्यवस्था नहीं सुधारी जा रही है.
शव जलाने की व्यवस्था की जाएगी
साहिबगंज के डीडीसी प्रभात कुमार बरदियार का कहना है कि यह जानकारी है बहुत जल्द इस संबंध में बैठक होने जा रही है क्योंकि अभी बाढ़ का समय है पानी लगातार बढ़ रहा है. फिलहाल ऐसी परिस्थिति में शव को कहां जलाया जाए इस संबंध में विचार होगा और तत्काल कहीं सुरक्षित शव को जलाने के लिए व्यवस्था की जाएगी. जुटको को कंपनी को भी शो कॉज किया जाएगा.