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पितृपक्षः पितरों का तर्पण करने बड़ी संख्या में गंगा किनारे पहुंच रहे हैं लोग

साहिबगंज में गंगा किनारे पूर्वजों का तर्पण करने वाले लोगों की भीड़ बढ़ गई है. तर्पण कर वो पितृ दोष से मुक्ति पाते हैं.

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पितरों को तर्पण करने बड़ी संख्या में गंगा किनारे पहुंच रहे हैं लोग
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Published : Sep 28, 2021, 1:39 PM IST

साहिबगंजः पितृपक्ष चल रहा है. लोग अपने मृत माता-पिता सहित पूर्वजों का तर्पण करने के लिए गंगा किनारे पहुंच रहे हैं. इससे तर्पण करने वाले लोगों की भीड़ काफी बढ़ गई है. तर्पण करने वाले लोगों को पुरोहित विधि-विधान के साथ पूजा करा रहे हैं.

यह भी पढ़ेंः पितृ पक्ष में बेटियां भी तर्पण कर निभा रही हैं अपना धर्म, चार साल से पूर्वजों को दे रहीं जल

तर्पण करने वाले लोग सबसे पहले गंगा पुत्र भीष्म की पूजा करते हैं. इसके बाद अपने पूर्वजों को बिल्कुल उल्टी दिशा में जल देते हैं. पितृपक्ष में तर्पण करने के पीछे एक रहस्य है, जिसे पितृ दोष कहते है. पुरोहित के अनुसार जो व्यक्ति पितृपक्ष में अपने पूर्वजों को जल नहीं देते हैं, वैसे लोग पितृ दोष से ग्रसित हो जाते हैं. पुरोहित ने बताया कि पितृ दोष बहुत ही अशुभ प्रभाव देने वाला माना जाता है. जो लोग पितृ दोष से ग्रसित होते हैं, उनका कोई काम आसानी से नहीं पूरा होता है. व्यक्ति अपने जीवन में काफी उतार-चढ़ाव महसूस करता है.

पूर्वजों के नाम से जल तर्पण करना चाहिए

पुरोहित कहते हैं कि पितृपक्ष में दौरान प्रत्येक दिन गंगा किनारे अपने पूर्वजों के नाम से जल देना चाहिए. इसके साथ ही पीपल के पेड़ के नीचे दूध जल मिलाकर अर्पित करना चाहिए. उन्होंने कहा कि शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाने से पितृ दोष का प्रभाव धीरे-धीरे खत्म होने लगता है.

छह अक्टूबर तक पितृपक्ष

सनातन पंचांग के अनुसार अनंत चतुदर्शी से पितृपक्ष शुरू हो जाता है. इस साल पितृपक्ष 19 सितंबर से शुरू हुआ और छह अक्टूबर तक चलेगा. पितृपक्ष के दौरान गंगा किनारे बड़ी संख्या में लोग पिंडदान करने पहुंचते हैं, जिसका अपना महत्व है.

साहिबगंजः पितृपक्ष चल रहा है. लोग अपने मृत माता-पिता सहित पूर्वजों का तर्पण करने के लिए गंगा किनारे पहुंच रहे हैं. इससे तर्पण करने वाले लोगों की भीड़ काफी बढ़ गई है. तर्पण करने वाले लोगों को पुरोहित विधि-विधान के साथ पूजा करा रहे हैं.

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तर्पण करने वाले लोग सबसे पहले गंगा पुत्र भीष्म की पूजा करते हैं. इसके बाद अपने पूर्वजों को बिल्कुल उल्टी दिशा में जल देते हैं. पितृपक्ष में तर्पण करने के पीछे एक रहस्य है, जिसे पितृ दोष कहते है. पुरोहित के अनुसार जो व्यक्ति पितृपक्ष में अपने पूर्वजों को जल नहीं देते हैं, वैसे लोग पितृ दोष से ग्रसित हो जाते हैं. पुरोहित ने बताया कि पितृ दोष बहुत ही अशुभ प्रभाव देने वाला माना जाता है. जो लोग पितृ दोष से ग्रसित होते हैं, उनका कोई काम आसानी से नहीं पूरा होता है. व्यक्ति अपने जीवन में काफी उतार-चढ़ाव महसूस करता है.

पूर्वजों के नाम से जल तर्पण करना चाहिए

पुरोहित कहते हैं कि पितृपक्ष में दौरान प्रत्येक दिन गंगा किनारे अपने पूर्वजों के नाम से जल देना चाहिए. इसके साथ ही पीपल के पेड़ के नीचे दूध जल मिलाकर अर्पित करना चाहिए. उन्होंने कहा कि शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाने से पितृ दोष का प्रभाव धीरे-धीरे खत्म होने लगता है.

छह अक्टूबर तक पितृपक्ष

सनातन पंचांग के अनुसार अनंत चतुदर्शी से पितृपक्ष शुरू हो जाता है. इस साल पितृपक्ष 19 सितंबर से शुरू हुआ और छह अक्टूबर तक चलेगा. पितृपक्ष के दौरान गंगा किनारे बड़ी संख्या में लोग पिंडदान करने पहुंचते हैं, जिसका अपना महत्व है.

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