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मौलिक अधिकारों को लेकर हिल एसेंबली पहाड़िया महासभा ने निकाली रैली, डीसी को सौंपा मांगपत्र

अपने मौलिक अधिकारों को लेकर हिल एसेंबली पहाड़िया महासभा ने विशाल रैली निकाली. इस दौरान साहिबगंज डीसी रामनिवास यादव को मुख्यमंत्री और राज्यपाल के नाम का मांग पत्र सौंपा गया. उन्होंने कहा कि उनकी मांगे पूरी नहीं की गई तो इसे मूलवासियों को भूमि से बेदखल करने का षड़यंत्र माना जाएगा.

Hill Assembly Pahariya Mahasabha rally
Hill Assembly Pahariya Mahasabha rally
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Published : Mar 22, 2022, 10:17 AM IST

साहिबगंज: विभिन्न मांगों के समर्थन में हिल एसेंबली पहाड़िया महासभा ने रैली निकाली. यह रैली हटिया से शुरू हुई और पश्चिमी फाटक, रेलवे स्टेशन, ग्रीन होटल, कॉलेज रोड, पूर्वी फाटक, पुलिस लाइन होते हुए कलेक्ट्रेट पहुंची, जहां नुक्कड़ सभा हुई. इस दौरान साहिबगंज डीसी रामनिवास यादव को मुख्यमंत्री और राज्यपाल के नाम का मांग पत्र सौंपा गया. भीड़ की वजह से कलेक्ट्रेट के समक्ष मुख्य मार्ग पर कुछ देर तक यातायात बाधित रहा.

इसे भी पढ़ें: पीएम नरेंद्र मोदी से पानी मांगने के लिए जमशेदपुर से दिल्ली पदयात्रा, 13 जून को ग्रामीण करेंगे मोदी से मुलाकात


मौलिक अधिकारों से बेदखल करने का आरोप: जुलूस का नेतृत्व कर रहे शिवचरण मालतो ने कहा कि पहाड़िया संताल परगना में 302 ईसा पूर्व से निवास करते हैं. देश की रक्षा के लिए समय-समय पर पहाड़िया समाज ने अपनी कुर्बानी दी है, लेकिन आजादी के बाद से इस समाज की लगातार उपेक्षा की जा रही है. उन्होंने कहा कि आदिम जनजाति पहाड़िया को मौलिक अधिकार और संवैधानिक अधिकारों से बेदखल किया जाता रहा है. जिले में वैध और अवैध खदान और क्रशर से राजमहल की पहाड़ियों पर बसे आदिम जनजाति खतरे में है. इसे देखते हुए उन्होंने मांग की है कि सभी वैध और अवैध खदानों व क्रशरों को बंद कराया जाए. अगर इसे बंद नहीं किया गया तो इसे आदिम जनजाति, पहाड़िया और आदिवासी मूलवासियों को भूमि से बेदखल करने का षड़यंत्र माना जाएगा क्योंकि माइनिंग लीज जिला प्रशासन की ओर से ही दी जाती है.

ये हैं प्रमुख मांगें: इसके आलावा पेसा कानून 1996 को लागू करने, 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति व नियोजन नीति बनाने की भी मांग की गई. साथ मवड़ो भाषा को राजभाषा में शामिल करने, झारखंड आदिम जनजाति आयोग का गठन करने, झारखंड आदिम जनजातियों को उप जाति दर्शाते हुए आदिम जनजाति का जाति प्रमाणपत्र निर्गत करने, झारखंड आदिम जनजाति प्राधिकरण का गठन करने, विशिष्ट पदाधिकारी, पहाड़िया कल्याण कार्यालय साहिबगंज, पाकुड़, दुमका में विशिष्ट पदाधिकारी एवं क्षेत्रीय पर्यवेक्षक की बहाली करने की मांग की गई.

साहिबगंज: विभिन्न मांगों के समर्थन में हिल एसेंबली पहाड़िया महासभा ने रैली निकाली. यह रैली हटिया से शुरू हुई और पश्चिमी फाटक, रेलवे स्टेशन, ग्रीन होटल, कॉलेज रोड, पूर्वी फाटक, पुलिस लाइन होते हुए कलेक्ट्रेट पहुंची, जहां नुक्कड़ सभा हुई. इस दौरान साहिबगंज डीसी रामनिवास यादव को मुख्यमंत्री और राज्यपाल के नाम का मांग पत्र सौंपा गया. भीड़ की वजह से कलेक्ट्रेट के समक्ष मुख्य मार्ग पर कुछ देर तक यातायात बाधित रहा.

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मौलिक अधिकारों से बेदखल करने का आरोप: जुलूस का नेतृत्व कर रहे शिवचरण मालतो ने कहा कि पहाड़िया संताल परगना में 302 ईसा पूर्व से निवास करते हैं. देश की रक्षा के लिए समय-समय पर पहाड़िया समाज ने अपनी कुर्बानी दी है, लेकिन आजादी के बाद से इस समाज की लगातार उपेक्षा की जा रही है. उन्होंने कहा कि आदिम जनजाति पहाड़िया को मौलिक अधिकार और संवैधानिक अधिकारों से बेदखल किया जाता रहा है. जिले में वैध और अवैध खदान और क्रशर से राजमहल की पहाड़ियों पर बसे आदिम जनजाति खतरे में है. इसे देखते हुए उन्होंने मांग की है कि सभी वैध और अवैध खदानों व क्रशरों को बंद कराया जाए. अगर इसे बंद नहीं किया गया तो इसे आदिम जनजाति, पहाड़िया और आदिवासी मूलवासियों को भूमि से बेदखल करने का षड़यंत्र माना जाएगा क्योंकि माइनिंग लीज जिला प्रशासन की ओर से ही दी जाती है.

ये हैं प्रमुख मांगें: इसके आलावा पेसा कानून 1996 को लागू करने, 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति व नियोजन नीति बनाने की भी मांग की गई. साथ मवड़ो भाषा को राजभाषा में शामिल करने, झारखंड आदिम जनजाति आयोग का गठन करने, झारखंड आदिम जनजातियों को उप जाति दर्शाते हुए आदिम जनजाति का जाति प्रमाणपत्र निर्गत करने, झारखंड आदिम जनजाति प्राधिकरण का गठन करने, विशिष्ट पदाधिकारी, पहाड़िया कल्याण कार्यालय साहिबगंज, पाकुड़, दुमका में विशिष्ट पदाधिकारी एवं क्षेत्रीय पर्यवेक्षक की बहाली करने की मांग की गई.

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