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साहिबगंज: पहाड़ों पर बसे गांव स्वास्थ्य सुविधा से कोसो दूर, लोग खाट पर लाश ढोने को मजबूर

साहिबगंज के छोटा पचरुखी पहाड़ पर रहने वाले आदिवासियों को अपने परिजन का शव कंधे पर ढोना पड़ा. सदर अस्पताल ने एंबुलेंस देने से साफ मना कर दिया.

Health facilities not available in the hilly areas of Sahibganj
खाट पर डेड बॉडी
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Published : Jun 30, 2020, 12:46 PM IST

साहिबगंज: आज भी पहाड़ों पर बसने वाले हजारों आदिवासी गांव स्वास्थ्य सुविधा से वंचित हैं. खबरें तो रोज आती हैं कि जिला प्रशासन और राज्य सरकार इन विलुप्त आदिवासी समाज का कल्याण कर रही हैं, लेकिन खाट पर ले जाते शव को देखकर स्वास्थ्य विभाग का पोल खुल रहा है.

देखिए पूरी खबर

जिले मंडरो प्रखंड के छोटा पचरुखी पहाड़ पर रहने वाले आदिवासी समुदाय को स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिलती. जिस कारण ये खाट पर डेड बॉडी ढोने को मजबूर हैं. जिला सदर अस्पताल से शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिला. जिसके बाद ये लोग खाट पर बॉडी लेकर पैदल ही घर की ओर चल दिए. अस्पताल पहाड़ की दूर लगभग 15 किलोमीटर है.

ये भी पढे़ं: संथाल की धरती से बजा था अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का बिगुल, सिदो-कान्हू थे हूल क्रांति के नायक

परिजनों का कहना है कि शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस की मांग की गई, लेकिन एंबुलेंस मुहैया नहीं कराया गया. मृतक के पुत्र ने कहा कि रविवार को उसके पिता साप्ताहिक हाट में महुआ पीकर घर लौट रहे थे. इसी दौरान रास्ते में किसी ने उनकी हत्या कर दी.

'जल्द बहाल होगी बाइक एंबुलेंस की सुविधा'

इस मामले में उपायुक्त ने कहा कि पहाड़िया इलाके में कैंप के माध्यम से हेल्थ शिविर लगाया जा रहा है. तमाम सुविधाएं पहुंचाई जा रही हैं. उन्होंने कहा कि पहाड़ों पर एंबुलेंस की समस्या बनी रहती है. इसको लेकर जल्द ही इलाके में बाइक एंबुलेंस चालू किया जाएगा.

साहिबगंज: आज भी पहाड़ों पर बसने वाले हजारों आदिवासी गांव स्वास्थ्य सुविधा से वंचित हैं. खबरें तो रोज आती हैं कि जिला प्रशासन और राज्य सरकार इन विलुप्त आदिवासी समाज का कल्याण कर रही हैं, लेकिन खाट पर ले जाते शव को देखकर स्वास्थ्य विभाग का पोल खुल रहा है.

देखिए पूरी खबर

जिले मंडरो प्रखंड के छोटा पचरुखी पहाड़ पर रहने वाले आदिवासी समुदाय को स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिलती. जिस कारण ये खाट पर डेड बॉडी ढोने को मजबूर हैं. जिला सदर अस्पताल से शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिला. जिसके बाद ये लोग खाट पर बॉडी लेकर पैदल ही घर की ओर चल दिए. अस्पताल पहाड़ की दूर लगभग 15 किलोमीटर है.

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परिजनों का कहना है कि शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस की मांग की गई, लेकिन एंबुलेंस मुहैया नहीं कराया गया. मृतक के पुत्र ने कहा कि रविवार को उसके पिता साप्ताहिक हाट में महुआ पीकर घर लौट रहे थे. इसी दौरान रास्ते में किसी ने उनकी हत्या कर दी.

'जल्द बहाल होगी बाइक एंबुलेंस की सुविधा'

इस मामले में उपायुक्त ने कहा कि पहाड़िया इलाके में कैंप के माध्यम से हेल्थ शिविर लगाया जा रहा है. तमाम सुविधाएं पहुंचाई जा रही हैं. उन्होंने कहा कि पहाड़ों पर एंबुलेंस की समस्या बनी रहती है. इसको लेकर जल्द ही इलाके में बाइक एंबुलेंस चालू किया जाएगा.

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