साहिबगंज: झारखंड का सबसे सुदूरवर्ती और अत्यंत पिछड़ा जिला साहिबगंज है. इस क्षेत्र की एक बड़ी आबादी खेती पर निर्भर है. खेती कर लोग जीविकोपार्जन चलाते हैं. केंद्र सरकार ने देश के 111 पिछड़े जिलों में साहिबगंज को 104 वें स्थान पर जगह दी है. केंद्र सरकार 3 साल के लिए 50 करोड़ रुपये फंडिंग करती है, ताकि मूलभूत सुविधाएं लोगों को मिले. लेकिन धरातल पर कुछ भी नजर नही आ रहा. किसानों के हित की बात करें, तो जिला प्रशासन इस फंड का सदुपयोग नहीं कर रहा है.
आज भी फूड ग्रेन गोदाम के आभाव में हर साल किसान के अनाज को चूहे चट कर जाते हैं. इस डर से किसान ओने-पौने दाम पर अनाज को बेचने को मजबूर हो जाते हैं. किसान की आर्थिक स्थिति जस की तस रह जाती है. किसानों का कहना है कि जिला प्रशासन किसानों के बारे में कभी नहीं सोचता है. हर साल खरीफ फसल लगाई जाती है और जब फसल काटने के बाद अनाज रखने के लिए जिला स्तर पर किसानों के लिए किसी प्रकार का गोदाम उपलब्ध नहीं है. मजबूरन घर में अनाज को रखा जाता है, जिससे परिवार के लोगों को भी परेशानी होती है और घर में अनाज सुरक्षित नहीं रह पाता.
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जिला कृषि पदाधिकारी ने कहा कि किसान के अनाज को रखने के लिए फिलहाल जिला स्तर पर गोदाम नहीं है. लैंप्स की ओर से कुछ प्रखंड में गोदाम हैं, ताकि धान अधिप्राप्ति के बाद इस गोदाम में अनाज को रखा जा सके. यहां से वृहत स्तर पर चावल मिल में धान को भेजा जा सके. उन्होंने कहा की किसान के अनाज को रखने के लिए लोहंडा में एक गोदाम बनाने की बात चल रही है. इस गोदाम के बन जाने से किसान को बहुत राहत मिलेगी.