साहिबगंज: जिले में बाढ़ की वजह से विस्थापित परिवारों की दुर्गा पूजा फीकी पड़ गयी है. प्रशासन और जनप्रतिनिधियों का सहयोग भी उन्हें नहीं मिल रहा है. वे खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं. खाने को अनाज के दाने भी नहीं है. ऐसी परिस्थिति में दुर्गा पूजा मनाना और बच्चों के लिए नया वस्त्र खरीदना उनकी सोच से भी बाहर की बात है.
दो वक्त की रोटी के लिए पड़ रहा है तरसना
दशहरा की धूम पूरे भारतवर्ष में धुमधाम से मनाया जा रहा है. लोग इस पूजा को लेकर उत्सव मना रहे हैं, लेकिन बाढ़ पीड़ित इस पूजा से कोसों दूर हैं. उन्हें ना तो खाने की व्यवस्था है और ना ही सोने का ठिकाना. दो वक्त की रोटी के लिए उन्हें तरसना पड़ रहा है. ऐसी स्थिति में पूजा मनाना उनके लिए संभव ही नहीं है. साहिबगंज में अभी भी दियरा इलाका में हजारों लोग बाढ़ की चपेट में हैं, साथ ही रामपुर दियरा बाढ़ की चपेट में आ चुका है. इस वजह से लोग घर छोड़कर दूसरे जगह पलायन कर रहे हैं.
ये भी पढ़ें-डांडिया और गरबा में जमकर थिरके लोग, बेस्ट कपल डांस और बेहतरीन ड्रेसिंग को किया गया सम्मानित
बाढ़ की चपेट
शहर के नवोदय स्कूल के पास पहाड़ पर जब विस्थापित लोगों से हाल जानने का प्रयास किया गया तो लोगों ने बताया कि एक महीने से वे बाढ़ की चपेट में हैं. इस बार सदर प्रखंड के रामपूर पंचायत का गांव गंगा कटाव से जलमग्न हो चुका है. ऐसी स्थिति हो गई है कि लोग अपने पूरे परिवार के साथ साहिबगंज आकर ऊंचे स्थान पर बसे हुए हैं. इस जटिल परिस्थिति में भी प्रशासन की ओर से राहत-सामाग्री उपलब्ध नहीं कराई गई है. दो वक्त की रोटी के लिए भी उन्हें तरसना पड़ रहा है.
ये भी पढ़ें-आरयू में चार दिवसीय इंटरनेशनल डॉक्यूमेंट्री फिल्म फेस्टिवल का आयोजन, तैयारी में जुटा वीवी प्रशासन
दुर्गा पूजा पड़ा फीका
वहीं, बाढ़ से विस्थापित परिवारों का कहना हैं कि दुर्गा पूजा उनके लिए फीकी पड़ी हुई है. इस समय उनके पास दो वक्त की रोटी के लिए भी पैसे नहीं हैं तो कैसे वे अपने बच्चों के लिए नए वस्त्र खरीदेंगे और कैसे पूजा मनाएंगे. जब ईटीवी भारत के रिपोर्टर ने बाढ़ पीड़ितों से उनका हाल जाना तो वे भावुक हो गए और मदद की गुहार लगाने लगे.