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बंदरगाह विस्थापित परिवार को जिला प्रशासन ने सीएस से मिलने से रोका, सुनाया दुखड़ा

साहिबगंज में बने पोर्ट का 12 सितंबर को पीएम मोदी रांची से ऑनलाइन उद्धाटन करेंगे. इसको लेकर झारखंड के मुख्य सचिव डीके तिवारी साहिबगंज के दौरे पर थे. उन्होंने मल्टी मॉडल टर्मिनल का जायजा लिया. इस दौरान बंदरगाह विस्थापित अपनी कुछ मांग को लेकर सीएस से मिलना चाहते थे, लेकिन उन्हें जिला प्रशासन ने मिलने नहीं दिया.

विस्थापित
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Published : Aug 29, 2019, 7:45 PM IST

साहिबगंज: झारखंड के मुख्य सचिव डीके तिवारी साहिबगंज के दौरे पर थे. 12 सितंबर को पीएम मोदी साहिबगंज में बने पोर्ट का रांची से ऑनलाइन उद्घाटन करने जा रहे हैं. इसे देखते हुए मुख्य सचिव साहिबगंज पहुंचकर मल्टी मॉडल टर्मिनल का जायजा लिया और घंटों अधिकारी के साथ बैठ कर रूपरेखा तैयार की.

देखें पूरी खबर

सीएस से मिलने से रोका
वहीं, बंदरगाह बनाने में जिन रैयतों की जमीन ली गयी है, उन रैयतों के साथ जिला प्रशासन सौतेला व्यवहार कर रहा है. वादा के मुताबिक इन बंदरगाह विस्थापितों को मुआवजा नहीं दिया जा रहा है. साथ ही इन विस्थापितों को प्रखंड और अनुमंडल चेंज कर नए भवन बनाकर पुनर्वास कराना चाह रही है. इन समस्याओं को लेकर विस्थापित परिवार मुख्य सचिव से मिलना चाह रहे थे, लेकिन जिला प्रशासन ने उन्हें रोक दिया.

ये भी पढ़ें- पीएम मोदी 12 सिंतबर को करेंगे झारखंड विधानसभा के नए भवन का उद्घाटन

विस्थापितों ने सुनाया दुखड़ा
जिला प्रशासन ने विस्थापितों को कहा कि मुख्य सचिव से मिलने का आदेश नहीं है, जो भी समस्या होगी मुख्य सचिव के जाने के बाद जिलाधिकारी से मिलकर अपनी समस्या को रखें. वहीं बंदरगाह विस्थापित पीड़ित परिवार ने मुख्य सचिव से मिलने नहीं देने पर दुख जताया. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन 25 परिवारों को नया भवन बनाकर पुनर्वास करना चाह रही है. वे कुल 52 परिवार हैं, ऐसे में बने दो कमरे एक मकान में कैसे रह पाएंगे.

साहिबगंज: झारखंड के मुख्य सचिव डीके तिवारी साहिबगंज के दौरे पर थे. 12 सितंबर को पीएम मोदी साहिबगंज में बने पोर्ट का रांची से ऑनलाइन उद्घाटन करने जा रहे हैं. इसे देखते हुए मुख्य सचिव साहिबगंज पहुंचकर मल्टी मॉडल टर्मिनल का जायजा लिया और घंटों अधिकारी के साथ बैठ कर रूपरेखा तैयार की.

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सीएस से मिलने से रोका
वहीं, बंदरगाह बनाने में जिन रैयतों की जमीन ली गयी है, उन रैयतों के साथ जिला प्रशासन सौतेला व्यवहार कर रहा है. वादा के मुताबिक इन बंदरगाह विस्थापितों को मुआवजा नहीं दिया जा रहा है. साथ ही इन विस्थापितों को प्रखंड और अनुमंडल चेंज कर नए भवन बनाकर पुनर्वास कराना चाह रही है. इन समस्याओं को लेकर विस्थापित परिवार मुख्य सचिव से मिलना चाह रहे थे, लेकिन जिला प्रशासन ने उन्हें रोक दिया.

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विस्थापितों ने सुनाया दुखड़ा
जिला प्रशासन ने विस्थापितों को कहा कि मुख्य सचिव से मिलने का आदेश नहीं है, जो भी समस्या होगी मुख्य सचिव के जाने के बाद जिलाधिकारी से मिलकर अपनी समस्या को रखें. वहीं बंदरगाह विस्थापित पीड़ित परिवार ने मुख्य सचिव से मिलने नहीं देने पर दुख जताया. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन 25 परिवारों को नया भवन बनाकर पुनर्वास करना चाह रही है. वे कुल 52 परिवार हैं, ऐसे में बने दो कमरे एक मकान में कैसे रह पाएंगे.

Intro:बंदरगाह विस्थापित परिवार को जिला प्रशासन ने मुख्य सचिव से मिलने से रोका। विस्थापित पीड़ित परिवार हुए निराश। सुनाई मीडिया से दुख भरी कहानी।



Body:बंदरगाह विस्थापित परिवार को जिला प्रशासन ने मुख्य सचिव से मिलने से रोका। विस्थापित पीड़ित परिवार हुए निराश। सुनाई मीडिया से दुख भरी कहानी।
स्टोरी-साहिबगंज-- आज झारखंड मुख्य सचिव डीके तिवारी साहिबगंज के दौरा पर थे आगामी 12 सितंबर को प्रधानमंत्री द्वारा रांची से ऑनलाइन उद्घाटन करने जा रहे हैं इसे देखते हुए मुख्य सचिव साहेबगंज पहुंचकर मल्टी मॉडल टर्मिनल का जायजा लिया और घंटो अधिकारी के साथ बैठकर रूपरेखा तैयार किया मुख्य सचिव ने बंदरगाह पर जाकर बारीकी से हर चीज को उन्होंने देखा और समझा।
लेकिन बंदरगाह बनाने में रैयत के जमीन को जो लिया गया है उन रैयतों को जिला प्रशासन सौतेला व्यवहार कर रही है वादा के मुताबिक इन बंदरगाह विस्थापितों को मुआवजा नहीं दे रही है साथी इन विस्थापितों को प्रखंड और अनुमंडल चेंज कर नए भवन बना कर पुनर्वास कराना चाह रही है इन समस्याओं को लेकर विस्थापित परिवार आज अपनी मन की बात मुख्य सचिव से करने वाले थे लेकिन जिला प्रशासन द्वारा इन्हें रोक दिया गया यह कहा गया कि आप लोगों को मुख्य सचिव से मिलने का आदेश नहीं है जो भी समस्या होगी मुख्य सचिव के जाने के बाद जिलाधिकारी से मिल अपनी समस्या को रखेंगे।
बंदरगाह विस्थापित पीड़ित परिवार ने कहा कि आज हमें जिला प्रशासन द्वारा मुख्य सचिव से मिलने नहीं दिया गया काफी दुख जनक बात है यह भी कहा कि अब हम विस्थापन के कगार पर पहुंच चुके हैं लेकिन जिला प्रशासन हम 25 परिवारों को नए भवन बना कर पुनर्वास करना चाह रही है जिसमें 25 परिवार में 52 परिवार हैं कैसे रहेंगे एक मकान में बने दो कमरे में।
विस्थापित परिवारों का कहना है कि एक पिता का दो से तीन बेटा है और सभी का शादी हो चुका है वैसी स्थिति में एक मकान में बने दो कमरे में हम कैसे रह पाएंगे। इन पीड़ित परिवारों का कहना है कि जिला प्रशासन शुरू में यह वादा किया था आपके रजिस्ट्री जमीन को हम ले रहे हैं तो रजिस्ट्री जमीन ही ही देंगे या राष्ट्रीय जमीन पर नए भवन बनाकर आपको पुनर्वास कराएंगे आज ऐसी स्थिति हो गई है कि जिस भवन में पुनर्वास कराया जा रहा है वह भवन बोरियो प्रखंड में आता है और राजमहल अनुमंडल में चला जाता है।
पीड़ित परिवार का कहना है कि हमारा जमीन साहिबगंज प्रखंड में पढ़ता था हमारा सारा सर्टिफिकेट और निवास प्रमाण पत्र साहेबगंज प्रखंड से बनता था लेकिन जैसे ही नए भवन में पुनर्वास करते हैं तो हमें किसी भी काम के लिए 35 किलोमीटर दूर बोरियो प्रखंड जाना होगा और और अनुमंडल से काम कराना हो तो 45 किलोमीटर राजमहल अनुमंडल जाना होगा हमारे बच्चों का शिक्षण व्यवस्था बिल्कुल गड़बड़ा जाएगा जिला प्रशासन किया मनमानी है अभी तक हमें पर्याप्त मुआवजा नहीं दिया गया है जिसे हम लोग काफी दुखी हैं।
बाइट-- विस्थापित पीड़ित परिवार
सदस्यों ने कहा कि इन सभी विस्थापित परिवारों को लाल पट्टा दिया गया है पता का मतलब यह होता है कि इनको कहीं भी पुनर्वास कराया जा सकता है या शुरू में सर था इनकी सारी मांगे पूरी की गई है सारी मांगे कानूनी रूप से दी गई है इन विस्थापित परिवारों को हर हाल में जमीन खाली कर नए भवन में पुनर्वास कराना जिला प्रशासन की मजबूरी है फिर भी प्रयास किया जा रहा है शांति रूप से मान जा नहीं तो अंत में बलपूर्वक किया जा सकता है।
बाइट- सीओ, सदर,साहिबगंज



Conclusion:ज़तज़हक्सयूसीसी
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