साहिबगंजः झारखंड-पश्चिम बंगाल सीमा पर स्थित भवानंदपुर में रविवार दोपहर गंगा नदी में मिले बच्चे के शव की आखिरकार 72 घंटे बाद पहचान कर ली गई. बच्चा उधवा प्रखंड के श्रीधर दियारा का रहने वाला था. उसके पिता ने शव की शिनाख्त की और बच्चे का नाम राज सरकार बताया. साथ ही बच्चे के पिता ने पूरा माजरा पुलिस को समझाया.
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राज सरकार के पिता रविंद्र नाथ सरकार ने पुलिस को बताया कि 10 दिसंबर को राज सरकार पढ़ने श्रीधर दियारा के विद्यालय में गया था. स्कूल से बाहर निकला तो सांप ने काट लिया. बाद में शिक्षक के डर से घर की तरफ भागा. इस दौरान उसके पैर से खून भी बहता रहा. इससे वह जब तक घर पहुंचता, जहर उसके पूरे शरीर में फैल गया था. इसके बावजूद पश्चिम बंगाल के मालदा में इलाज कराया, जहां उसकी मौत हो गई. इसके बाद पूरी विधि विधान से शव को गंगा में बहा दिया.
जाल में फंसा था शव
स्थानीय मछुआरों ने बताया कि मछली पकड़ने के लिए नदी में जाल फेंके जाने पर बोरा फंस गया था. बोरा खोल कर देखने पर करीब 10 वर्षीय बच्चे का शव था. इसके बाद उसकी सूचना बरहड़वा थाना पुलिस को दी.
पुलिसकर्मियों में थाना विवाद
मछुआरों की सूचना पर बरहड़वा और फरक्का थाने की पुलिस घटनास्थल पर पहुंची. लेकिन पुलिसकर्मी सीमा विवाद में उलझ गए. फरक्का पुलिस ने पल्ला झाड़ लिया तो बरहड़वा थाने की पुलिस ने केस दर्ज किया. पुलिस ने बताया कि बच्चे का अपहरण कर हत्या किए जाने का अंदेशा था. इसकी वजह थी कि बच्चे के शरीर पर कई जगह जख्म के निशान मिले थे. उन्होंने कहा कि अज्ञात अपराधियों पर केस दर्ज कर झारखंड की सीमा से सटे पश्चिम बंगाल के सभी थानों में बच्चे के शव की तस्वीर भेजी गई थी, ताकि उसकी पहचान हो सके.
अनुमंडल अस्पताल में रखा गया था शव
बरहड़वा थाना प्रभारी रवींद्र कुमार ने बताया कि आपराधिक साजिश रचकर बच्चे की हत्या के आरोप में अज्ञात अपराधियों पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी और मामले की गंभीरता से जांच की जा रही थी. हालांकि बच्चे के पिता ने सारा घटनाक्रम बता दिया. इसके बाद केस खत्म कर शव सौंप दिया है.