साहिबगंज: जिले के सदर प्रखंड के डिहारी गांव में आर्सेनिक लोगों के लिए अभिशाप बना हुआ है. जिला मुख्यालय से मात्र बारह किलोमीटर की दूरी पर स्थित 1500 लोगों की आबादी वाले इस गांव में भूमिगत जल में आर्सेंनिक की अधिक मात्रा लोगों के जीवन में जहर घोल रहा है. अब तक आर्सेनिक के कारण दर्जनों लोगो की मौत कैंसर जैसी घातक बीमारियों की चपेट में आकर हो गई है. अब भी कई लोग कई बीमारियों से ग्रसित होकर जीवन और मौत के बीच झूल रहे हैं.
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साहिबगंज में आर्सेनिक से कई लोगों की मौत : आर्सेनिक से डिहारी गांव में अब तक कई लोगों की मौत हो चुकी है. स्थानीय लोगों के अनुसार बासदेव यादव, सुर्यनाथ यादव,कपिल यादव, ओमप्रकाश ओझा, राजनारायण ओझा जैसे लोगों की मौत कैंसर से हुई है जबकि दर्जनों लोग अब भी इस बीमारी की चपेट में हैं.
आर्सेनिक से होने वाली बीमारी: चर्मरोग, फेफड़ा की समस्या, ट्यूमर ,दांत पीला होकर खराब हो जाना सहित अन्य बीमारी पानी में आर्सेनिक की अत्यधिक मात्रा के लक्ष्ण हैं. जिले के सिविल सर्जन अरबिंद कुमार के मुताबिक इस बीमारी से बचाव का सबसे बेहतर उपाय जागरुकता है. इसके लिए पानी पीने से पहले उबालकर चाहिए या फिर पानी में क्लोरीन का टेबलेट डालकर उसे आर्सेनिक मुक्त कर लेना चाहिए.
कैसे होगा इलाज: सिविल सर्जन अरबिंद कुमार ने बताया कि आर्सेनिक से कैंसर होने पर इलाज ही बचाव का एक मात्र उपाय है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार की तरफ से फंड मुहैया कराया जाता है. पीएम आयुष्मान कार्ड के तहत लाभुक को पांच लाख तक की राशि |ऑपरेशन के लिए दिया जाता है और राज्य सरकार की तरफ से सीएम गंभीर बीमारी योजना के तहत पांच लाख दिया जाता है. उन्होंने बताया कि झारखंड सहित किसी राज्य के रजिस्टर्ड अस्पताल में इलाज कराने पर अस्पताल ऑपरेशन के खर्च का डीपीआर तैयार कर जिला स्वास्थ्य विभाग को सौंप देता है. जिसके बाद विभाग मरीज के नाम पर फंड जारी कर देता है. इसके बाद मरीजों का इलाज शुरू हो जाता है.
क्या कह रहे हैं आर्सेनिक के पीड़ित: सिविल सर्जन जहां कैसर का इलाज और सरकारी मदद की बात कह रहे हैं वहीं इसके मरीज मदद मिलने की बात से इंकार करते हैं. पीड़ित अंजलि देवी की मानें तो लगभग 21 साल से उनके गला में ट्यूमर है. बेतहासा दर्द से परेशान अंजली देवी बताती हैं कि वे रांची से लेकर कोलकाता तक के डॉक्टर को दिखा चुकी हैं जिसमें अब तक 3 लाख रुपया खर्च हो चुका है लेकिन फायदा नहीं हुआ. वहीं पीड़ित नारायण यादव ने कहा कि हर्ट का रोगी हूं अधिक दूर तक चल फिर नही सकता. उन्होंने कहा कि गांव में शुद्ध पेयजल यानी आर्सेनिक मुक्त पानी मिल जाए तो आने वाली पीढ़ी स्वस्थ होगा.
गांव में सरकारी योजना फेल: प्राप्त जानकारी के अनुसार गांव में शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के लिए कई योजनाएं चलायी गई. लेकिन समय बीतने के साथ सभी योजनाएं फेल साबित हुई. ग्रामीणों के मुताबिक गांव में रासायनिक फिल्टर मशीन प्रशासन के द्वारा उपलब्ध कराया गया था जो कुछ दिन चलने के बाद खराब हो गया. इसी तरह गांव में घर- घर के पास नलकूप लगाया गया था. ये योजना भी कुछ दिन चलने के बाद फेल हो गया . इसके बाद गांव में तीन आर्सेनिक ट्रीटमेंट प्लांट लगाया गया. ये योजना भी अंतिम सांस ले रही है.
क्या कहते है पीएचई़डी पदाधिकारी: पेयजल एवं स्वच्छता विभाग पदाधिकारी गोबिंद कच्छप ने कहा कि लोगो का शुद्ध पेयजल मुहैया कराना हमारी पहली प्रथामिकता है. शुद्ध पेयजल के लिए पाँच आर्सेंनिक ट्रीटमेंट प्लांट लगाया गया है. डिहारी गांव में तीन और हाजीपुर भिट्टा में दो लगाया गया है. एजेंसी के लोग बराबर जाकर देखरेख करते रहते है. आने वाले समय में मेघा पेयजल आपुर्ति योजना के तहत डोर टु डोर शुद्ध पेयजल पहुंचाने का लक्ष्य है. जल्द ही इस दिशा में काम शुरु हो जाएगा.