साहिबगंज: जिला में बरहेट प्रखंड क्षेत्र के सुदूरवर्ती गांव में आदिवासी समुदाय के 100 से अधिक लोगों की अपनी धर्म में वापसी हुई है. इस दौरान ईसाई धर्म में गए लोगों का आदिवासी विधि-विधान से उनका शुद्धिकरण किया गया. जिसमें उन्हें आग में खाली पैर चलाया गया, महिलाओं के पैरों को धूलकर उनको शुद्ध किया गया और सनातन धर्म में वापसी की. इस प्रक्रिया का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, यह पूरी घटना रविवार की बतायी जा रही है. हालांकि ईटीवी भारत इस वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं करता है.
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साहिबगंज में ईसाई धर्म छोड़ सरना धर्म में वापसी को लेकर बताया जा रहा है कि बरहेट प्रखंड से लगभग 30 किलोमीटर पहाड़ी क्षेत्र में स्थित सिंदरी गांव के 111 आदिवासियों ने 4 साल पहले ईसाई धर्म को अपना लिया था. उन्होंने बताया कि उन्हें कई तरह का प्रलोभन दिया गया था और कहा गया कि अगर ईसाई धर्म अपना लेते हो तो सारी सुविधाएं दी जाएंगी. बच्चों की शिक्षा, खाने पीने सहित रोजगार भी दिया जाएगा. लेकिन ईसाई धर्म प्रचारक के बहकावे में आने के बाद उन्हें किसी प्रकार की सुविधा नहीं मिली. इसके बाद रविवार को उन्होंने ग्रामीणों के सहयोग से इन्होंने पुनः अपने सरना धर्म में वापसी की, जिसमें 45 पुरुष एवं 66 महिला शामिल हैं.
शुद्धिकरण कर सरना धर्म में वापसीः इन सभी लोगों ने शुद्ध करने के लिए कई तरह के नियम अपनाए गए. गांव वालों ने इन सभी को सरना धर्म में लौटने से पहले शुद्धिकरण की प्रक्रिया अपनायी गयी. जिसमें उन लोगों को नंगे पैर से आग पर चलाया गया, उन सभी के ऊपर गंगाजल छीटा गया और सभी का पैर धूलवाकर सरना धर्म में वापस लाया गया. इस आयोजन में धर्म वापसी पर सभी महिलाओं को साड़ी पुरुषों को धोती गमछा देकर सम्मानित किया गया.
प्रलोभन में आकर अपना ईसाई धर्मः सनातन धर्म में वापसी होने पर तालामय बास्की और नटवा बेसरा ने बताया कि 4 साल पहले प्रलोभन में आकर ईसाई धर्म अपना लिया था. लेकिन जिस वादे को लेकर ईसाई धर्म अपनाया था, उन धर्मावलंबियों ने अपने कर्तव्य को नहीं निभाया. ईसाई धर्म अपनाने के बाद काफी घुटन महसूस हो रही थी. इसलिए एक बार पुनः अपने धर्म के प्रति आस्था और रुचि रखकर वापस लौटा. पूरे नियम विधि विधान के साथ सनातन धर्म को अपना लिया.