रांची: आदिवासियों की अपनी धार्मिक पहचान को लेकर आदिवासी समाज के युवा संगठित हो रहे हैं. आदिवासी नेशनल यूनिटी झारखंड के बैनर तले राज्य के युवाओं ने बैठक की और अपनी धार्मिक पहचान सरना धर्मकोट को लेकर विचार-विमर्श किया.
राज्य सरकार की पहल पर कोर्ट का प्रस्ताव पास करने के लिए बहुत विशेष सत्र का इन युवाओं ने स्वागत किया है और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार को धन्यवाद दिया है. युवाओं ने केंद्र सरकार से मांग की है कि 2021 की जनगणना से पहले सरना धर्म कोड का प्रस्ताव पास करें, क्योंकि सरना समाज को अपनी धर्म पहचान नहीं मिलने से सरना समुदाय का बड़े पैमाने पर धर्मांतरण हो रहा है.
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सरना धर्म कोड का प्रस्ताव
इस समाज को दूसरे अन्य समुदाय से जोड़ा जा रहा है, जिससे धार्मिक अस्तित्व पर दिन-प्रतिदिन खतरा मंडराता नजर आ रहा है. यही वजह है कि आदिवासी समाज के लोग हर हाल में चाहते हैं कि 2021 के जनगणना प्रपत्र में सरना धर्म कोड कॉलम अंकित हो, ताकि आदिवासी सरना समाज को अपना धार्मिक पहचान मिल सके. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 11 नवंबर को धर्म कोड को लेकर विशेष सत्र आहूत किया है, लेकिन सवाल यह उठता है कि विधानसभा से सरना धर्म कोड का प्रस्ताव पारित किया जाता है या फिर आदिवासी धर्म कोड की. यह देखने वाली बात होगी.