रांची: 15 अगस्त 2020 को पूरा देश आजादी का 73वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा. जिसमें लोग स्वतंत्र सेनानी के कुर्बानी और बलिदान को याद करेंगे, लेकिन आजादी के 73 वर्ष बाद भी देश के लोग खुद को कितना आजाद मानते हैं या फिर आज भी देश सामाजिक कुरीतियों और आपसी मतभेद की वजह से आजादी के लिए जद्दोजहद कर रहा है. इसी का जायजा लेने जब ईटीवी भारत ने राजधानी के युवाओं से बात की, तो कई युवाओं ने सामाजिक व्यवस्था और प्रशासनिक व्यवस्था को लेकर अपनी राय जाहिर की.
जाहिर है संघर्ष
राजधानी में अपना दवाई का व्यवसाय कर रहे हैं गौरीशंकर बताते हैं कि आज भी हमारा देश कई मायनों में आजादी के लिए संघर्ष कर रहा है क्योंकि देश को दिशा दिखाने वाले युवा सरकारी और प्रशासनिक व्यवस्था की मार झेलने को मजबूर हैं.
जन-जन तक पहुंचाया जाए रोजगार
छात्र नंदकिशोर बताते हैं कि देश को सही मायने में आजादी तभी मिलेगी जब देश में बेरोजगारी जैसी समस्या को दूर किया जाएगा और जन-जन तक सफलतापूर्वक राहत कार्य पहुंचाया जाएगा.
परेशानियों से जूझ रहे युवा
राजधानी के लालपुर निवासी शिवांशु मिश्रा बताते हैं कि जिस उद्देश्य से हमारे पूर्वजों ने हमें आजादी दिलाई वह उद्देश्य आज कहीं से भी पूरा होते नहीं दिखाई दे रहा है क्योंकि आज भी युवा कई परेशानियों से जूझने को मजबूर हैं.
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देश में है पिछड़ापन
रांची में नौकरी कर रहे पलामू के रहने वाले एक युवा ने बताया कि आज भी देश के कई इलाकों में पिछड़ापन देखा जा रहा है. जिस वजह से कई दिक्कतों का सामना भी करना पड़ रहा है. इसके अलावा कई युवाओं ने राज्य और देश की व्यवस्था पर असंतुष्टि जाहिर करते हुए बताया कि देश में जब पूरी तरह से नारी सुरक्षा, स्वास्थ्य व्यवस्था, शिक्षा स्तर मजबूत होगा. तभी देश सही मायने में आजाद कहलाएगा.