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World Pharmacist Day 2022: दवाइयों के विशेषज्ञ होते हैं फार्मासिस्ट

25 सितंबर को विश्व फार्मासिस्ट दिवस (World Pharmacist Day 2022) पूरी दुनिया में मनाया जा रहा है. फार्मासिस्ट दवाइयों के विशेषज्ञ होते हैं. डॉक्टर्स की प्रेस्क्राइब दवाइयां कैसे खानी है वो एक केमिस्ट या फार्मासिस्ट बताते हैं. वर्ल्ड फार्मासिस्ट डे पर जानिए, झारखंड में फार्मासिस्ट की स्थिति कैसी है.

world pharmacist day 2022 celebrated in Jharkhand
रांची
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Published : Sep 25, 2022, 6:57 AM IST

Updated : Sep 25, 2022, 7:09 AM IST

रांची: 25 सितंबर को विश्व फार्मासिस्ट दिवस (World Pharmacist Day) मनाया जाता है. इस दिन विश्व भर के फार्मासिस्ट को उनके नेक कार्यों के लिए सम्मान और आभार व्यक्त किया जाता है. फार्मासिस्ट का स्वास्थ्य व्यवस्था में अहम योगदान होता है. डॉक्टर जो दवाई प्रेस्क्राइब करते हैं, उन दवाइयों को कैसे खाना है यह हमें एक केमिस्ट या फार्मासिस्ट ही बता सकता है. विश्व फार्मासिस्ट दिवस की शुरुआत वर्ष 2009 से की गई. इंटरनेशनल फार्मास्यूटिकल फेडरेशन (international phermasuitical federation) द्वारा इसकी शुरुआत की गई थी.

विश्व फार्मासिस्ट दिवस (world pharmacist day 2022) मनाने का मुख्य उद्देश दुनिया भर के फार्मासिस्ट को स्वास्थ्य क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए महत्वपूर्ण योगदान को रेखांकित करते हुए उन्हें सम्मान देना होता (pharmacist day 2022 celebrated in Jharkhand) है. इसके साथ इस दिन को मनाने का मकसद फार्मेसी पैसे को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करना भी है. लेकिन झारखंड में फार्मासिस्ट की स्थिति बदहाल है और यहां इनकी घोर कमी है. सरकारी आंकड़े के अनुसार राज्य भर में फार्मासिस्ट्स की संख्या मात्र पांच से छह हजार हैं जबकि पूरे राज्य में करीब 27 हजार पंजीकृत मेडिकल स्टोर चल रहे हैं. इस आकड़े से अंदाजा लगाया जा सकता है कि झारखंड फार्मासिस्ट की कमी से जूझ रहा है.

देखें पूरी खबर

अखिल भारतीय फार्मासिस्ट एसोसिएशन (All India Pharmacists Association) के प्रदेश महासचिव अमित कुमार बताते हैं कि झारखंड में फार्मासिस्ट्स की स्थिति स्वास्थ्य व्यवस्था में सबसे नीचे पायदान पर काम करने वाली सहिया से भी बदतर है. अमित कुमार बताते हैं कि झारखंड के सरकारी संस्थानों में फार्मासिस्ट्स को आठ से नौ हजार वेतन मिलता है. जिस वजह से समाज का कोई भी युवा फार्मासिस्ट बनने से परहेज करता है.

अखिल भारतीय फार्मासिस्ट काउंसिल के प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र शर्मा बताते हैं कि झारखंड के फार्मासिस्ट्स को सम्मान तब मिलेगा जब उनके प्रतिभा और कार्यों की प्रशंसा होगी. उन्होंने कहा कि झारखंड के फार्मासिस्ट विभाग में होने वाले भ्रष्टाचार से परेशान हैं. चाहे फार्मासिस्ट कॉलेज में एडमिशन की बात हो या फिर फार्मासिस्ट काउंसिल में रजिस्ट्रेशन की समस्या हो. फार्मासिस्ट जितेंद्र शर्मा बताते हैं कि निजी फार्मासिस्ट कॉलेज गलत तरीके से छात्रों को एग्जाम दिलाकर पास करा रहे हैं और इसमें सरकारी विभाग भी इस भ्रष्टाचार में शामिल दिख रही है.

फार्मेसी कॉलेज में पढ़ रहे छात्र मोहम्मद शाबिर बताते हैं कि उम्मीद के साथ व झारखंड के एकमात्र सरकारी फार्मासिस्ट कॉलेज में दाखिला लिए थे. लेकिन जिस तरह से फार्मासिस्ट कॉलेज से लेकर काउंसिल में धांधली देखने को मिल रही है, इससे यही प्रतीत होता है कि कॉलेज से निकलने वाले नए फार्मासिस्ट्स का भविष्य बेहतर नहीं होगा. छात्रों ने सरकार और स्वास्थ्य विभाग से विश्व फार्मासिस्ट दिवस के मौके पर आग्रह किया कि फार्मासिस्ट की समस्याओं पर ध्यान दें ताकि राज्य में फार्मासिस्ट्स की कमी को पूरा किया जा सका.

राज्य का एकमात्र सरकारी राजकीय फार्मेसी संस्थान (Government Institute of Pharmacy) रांची के बरियातू स्थित है. यहां की प्रिंसिपल डॉ आशा रानी बताती हैं कि विश्व फार्मासिस्ट दिवस के मौके पर फार्मेसी पढ़ रहे छात्र रैली और रक्तदान जैसे विभिन्न कार्यक्रम कर लोगों को फार्मासिस्ट के योगदान के प्रति जागरूक कर रहे हैं. क्योंकि डॉक्टर और नर्स इसको हर कोई जानता है लेकिन फार्मासिस्ट की महत्वता को आम लोग नहीं समझ पाते.

झारखंड में निजी स्तर पर कुल 52 फार्मासिस्ट कॉलेज संचालित हो रहे थे लेकिन उसमें कई कॉलेज गलत तरीके से छात्रों को डिग्रियां दे रही थी. शिकायत मिलने पर झारखंड स्टेट फार्मासिस्ट काउंसिल (Jharkhand State Pharmacist Council) के द्वारा 12 अवैध फार्मासिस्ट कॉलेजों को बंद किया गया. लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अभी भी कई ऐसे फार्मासिस्ट कॉलेज है जो गलत तरीके से छात्रों को डिग्रियां दिला रहे हैं.


स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हजारीबाग, पलामू और दुमका में सरकारी फार्मेसी कॉलेज खोले जा रहे हैं ताकि राज्य में फार्मासिस्ट की कमी को पूरी की जा सके. स्वास्थ्य व्यवस्था में फार्मासिस्टों का योगदान अहम होता है. लेकिन झारखंड के फार्मासिस्ट्स की माने तो उनकी हालत बहुत बेहतर नहीं है. जरूरत है राज्य सरकार झारखंड स्टेट फार्मासिस्ट काउंसिल को मजबूत करें ताकि राज्य के लोगों को सही और बेहतर तरीके से दवा मिल सके.

विश्व फार्मासिस्ट दिवस का इतिहासः विश्व फार्मेसिस्ट दिवस की शुरुआत 25 सितंबर, 2009 में हुई थी. पहली बार विश्व फार्मासिस्ट दिवस, इंटरनेशनल फार्मास्यूटिकल्स फेडरेशन (एफआईपी) द्वारा इस्तांबुल, तुर्की में मनाया गया था. एफआईपी के प्रमुख डोमिनिक जोर्डेन ने एक सूचना जारी कर इस बारे में जानकारी दी. सूचना के अनुसार इंटरनेशनल फार्मास्यूटिकल्स फेडरेशन का गठन 25 सितंबर,1912 में हुआ था. इसीलिए एफआईटी ने अपने स्थापना दिवस के दिन ही इंटरनेशनल फार्मासिस्ट डे की शुरुआत की. इस दिवस को मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य दवाइयों की खोज, रिसर्च तथा उनके निर्माण में फार्मासिस्ट के योगदान को जन-जन तक पहुंचाना तथा उनके कार्यों व चिकित्सा क्षेत्र में उनके योगदान को सराहना था.

फार्मासिस्ट का कार्यः फार्मासिस्ट को साधारण भाषा में केमिस्ट के नाम से भी जाना जाता है. अमूमन है जब भी हम केमिस्ट का नाम सुनते हैं, हमारे दिमाग में एक ऐसे व्यक्ति की छवि आ जाती है, जो दवाइयों की दुकान पर दवाइयां बेचने का कार्य करता है. लेकिन केमिस्ट का काम सिर्फ दवाइयां बेचना नहीं होता है. ज्यादातर केमिस्ट साधारण बीमारियों में ना केवल दवाइयों के बारे में सलाह देने बल्कि टीकाकरण जैसे कार्य भी करते हैं. वहीं फार्मास्यूटिकल कंपनी में काम करने वाले फार्मासिस्ट अलग-अलग बीमारियों के लिए नई दवाइयों के संबंध में रिसर्च तथा प्रशिक्षण का कार्य भी करते हैं. इसके अलावा फार्मास्यूटिकल प्रोडक्ट्स बनाने, फार्मास्यूटिकल प्रोडक्शन के तरीके विकसित करने और दवाइयों के क्वालिटी कंट्रोल का कार्य भी फार्मासिस्ट करते हैं. इसीलिए फार्मास्यूटिकल्स कंपनियों में काम करने वाले फार्मासिस्ट को दवा विशेषज्ञ भी कहा जाता है.

फार्मासिस्ट बनने के लिए संबंधित डिग्री जरूरीः केमिस्ट की दुकान खोलने वाले फार्मासिस्ट के लिए भी चिकित्सा शास्त्र से ही जुड़ी विधा बी.फार्मा की पढ़ाई जरूरी है. इस विषय के अध्ययन के बाद ही वह केमिस्ट की दुकान या दवाइयों की दुकान के लिए लाइसेंस प्राप्त कर पाता हैं. इसी वजह से केमिस्ट को सभी तरह की दवाइयों, उनके असर तथा उनके नकारात्मक असर के बारे में जानकारी होती हैं. फार्मास्यूटिकल्स में डिग्री लेने के बाद फार्मासिस्ट ड्रग मैन्युफैक्चरिंग कंपनी यानी दवाई बनाने वाली कंपनियों से जुड़े निजी तथा सरकारी संस्थानों, डिस्पेंसरी और मेडिकल स्टोर में काम कर सकते हैं. इसके अलावा बी.फार्मा डिग्री धारक मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के तौर पर भी कार्य करते हैं.

रांची: 25 सितंबर को विश्व फार्मासिस्ट दिवस (World Pharmacist Day) मनाया जाता है. इस दिन विश्व भर के फार्मासिस्ट को उनके नेक कार्यों के लिए सम्मान और आभार व्यक्त किया जाता है. फार्मासिस्ट का स्वास्थ्य व्यवस्था में अहम योगदान होता है. डॉक्टर जो दवाई प्रेस्क्राइब करते हैं, उन दवाइयों को कैसे खाना है यह हमें एक केमिस्ट या फार्मासिस्ट ही बता सकता है. विश्व फार्मासिस्ट दिवस की शुरुआत वर्ष 2009 से की गई. इंटरनेशनल फार्मास्यूटिकल फेडरेशन (international phermasuitical federation) द्वारा इसकी शुरुआत की गई थी.

विश्व फार्मासिस्ट दिवस (world pharmacist day 2022) मनाने का मुख्य उद्देश दुनिया भर के फार्मासिस्ट को स्वास्थ्य क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए महत्वपूर्ण योगदान को रेखांकित करते हुए उन्हें सम्मान देना होता (pharmacist day 2022 celebrated in Jharkhand) है. इसके साथ इस दिन को मनाने का मकसद फार्मेसी पैसे को बढ़ावा देने का अवसर प्रदान करना भी है. लेकिन झारखंड में फार्मासिस्ट की स्थिति बदहाल है और यहां इनकी घोर कमी है. सरकारी आंकड़े के अनुसार राज्य भर में फार्मासिस्ट्स की संख्या मात्र पांच से छह हजार हैं जबकि पूरे राज्य में करीब 27 हजार पंजीकृत मेडिकल स्टोर चल रहे हैं. इस आकड़े से अंदाजा लगाया जा सकता है कि झारखंड फार्मासिस्ट की कमी से जूझ रहा है.

देखें पूरी खबर

अखिल भारतीय फार्मासिस्ट एसोसिएशन (All India Pharmacists Association) के प्रदेश महासचिव अमित कुमार बताते हैं कि झारखंड में फार्मासिस्ट्स की स्थिति स्वास्थ्य व्यवस्था में सबसे नीचे पायदान पर काम करने वाली सहिया से भी बदतर है. अमित कुमार बताते हैं कि झारखंड के सरकारी संस्थानों में फार्मासिस्ट्स को आठ से नौ हजार वेतन मिलता है. जिस वजह से समाज का कोई भी युवा फार्मासिस्ट बनने से परहेज करता है.

अखिल भारतीय फार्मासिस्ट काउंसिल के प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र शर्मा बताते हैं कि झारखंड के फार्मासिस्ट्स को सम्मान तब मिलेगा जब उनके प्रतिभा और कार्यों की प्रशंसा होगी. उन्होंने कहा कि झारखंड के फार्मासिस्ट विभाग में होने वाले भ्रष्टाचार से परेशान हैं. चाहे फार्मासिस्ट कॉलेज में एडमिशन की बात हो या फिर फार्मासिस्ट काउंसिल में रजिस्ट्रेशन की समस्या हो. फार्मासिस्ट जितेंद्र शर्मा बताते हैं कि निजी फार्मासिस्ट कॉलेज गलत तरीके से छात्रों को एग्जाम दिलाकर पास करा रहे हैं और इसमें सरकारी विभाग भी इस भ्रष्टाचार में शामिल दिख रही है.

फार्मेसी कॉलेज में पढ़ रहे छात्र मोहम्मद शाबिर बताते हैं कि उम्मीद के साथ व झारखंड के एकमात्र सरकारी फार्मासिस्ट कॉलेज में दाखिला लिए थे. लेकिन जिस तरह से फार्मासिस्ट कॉलेज से लेकर काउंसिल में धांधली देखने को मिल रही है, इससे यही प्रतीत होता है कि कॉलेज से निकलने वाले नए फार्मासिस्ट्स का भविष्य बेहतर नहीं होगा. छात्रों ने सरकार और स्वास्थ्य विभाग से विश्व फार्मासिस्ट दिवस के मौके पर आग्रह किया कि फार्मासिस्ट की समस्याओं पर ध्यान दें ताकि राज्य में फार्मासिस्ट्स की कमी को पूरा किया जा सका.

राज्य का एकमात्र सरकारी राजकीय फार्मेसी संस्थान (Government Institute of Pharmacy) रांची के बरियातू स्थित है. यहां की प्रिंसिपल डॉ आशा रानी बताती हैं कि विश्व फार्मासिस्ट दिवस के मौके पर फार्मेसी पढ़ रहे छात्र रैली और रक्तदान जैसे विभिन्न कार्यक्रम कर लोगों को फार्मासिस्ट के योगदान के प्रति जागरूक कर रहे हैं. क्योंकि डॉक्टर और नर्स इसको हर कोई जानता है लेकिन फार्मासिस्ट की महत्वता को आम लोग नहीं समझ पाते.

झारखंड में निजी स्तर पर कुल 52 फार्मासिस्ट कॉलेज संचालित हो रहे थे लेकिन उसमें कई कॉलेज गलत तरीके से छात्रों को डिग्रियां दे रही थी. शिकायत मिलने पर झारखंड स्टेट फार्मासिस्ट काउंसिल (Jharkhand State Pharmacist Council) के द्वारा 12 अवैध फार्मासिस्ट कॉलेजों को बंद किया गया. लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अभी भी कई ऐसे फार्मासिस्ट कॉलेज है जो गलत तरीके से छात्रों को डिग्रियां दिला रहे हैं.


स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हजारीबाग, पलामू और दुमका में सरकारी फार्मेसी कॉलेज खोले जा रहे हैं ताकि राज्य में फार्मासिस्ट की कमी को पूरी की जा सके. स्वास्थ्य व्यवस्था में फार्मासिस्टों का योगदान अहम होता है. लेकिन झारखंड के फार्मासिस्ट्स की माने तो उनकी हालत बहुत बेहतर नहीं है. जरूरत है राज्य सरकार झारखंड स्टेट फार्मासिस्ट काउंसिल को मजबूत करें ताकि राज्य के लोगों को सही और बेहतर तरीके से दवा मिल सके.

विश्व फार्मासिस्ट दिवस का इतिहासः विश्व फार्मेसिस्ट दिवस की शुरुआत 25 सितंबर, 2009 में हुई थी. पहली बार विश्व फार्मासिस्ट दिवस, इंटरनेशनल फार्मास्यूटिकल्स फेडरेशन (एफआईपी) द्वारा इस्तांबुल, तुर्की में मनाया गया था. एफआईपी के प्रमुख डोमिनिक जोर्डेन ने एक सूचना जारी कर इस बारे में जानकारी दी. सूचना के अनुसार इंटरनेशनल फार्मास्यूटिकल्स फेडरेशन का गठन 25 सितंबर,1912 में हुआ था. इसीलिए एफआईटी ने अपने स्थापना दिवस के दिन ही इंटरनेशनल फार्मासिस्ट डे की शुरुआत की. इस दिवस को मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य दवाइयों की खोज, रिसर्च तथा उनके निर्माण में फार्मासिस्ट के योगदान को जन-जन तक पहुंचाना तथा उनके कार्यों व चिकित्सा क्षेत्र में उनके योगदान को सराहना था.

फार्मासिस्ट का कार्यः फार्मासिस्ट को साधारण भाषा में केमिस्ट के नाम से भी जाना जाता है. अमूमन है जब भी हम केमिस्ट का नाम सुनते हैं, हमारे दिमाग में एक ऐसे व्यक्ति की छवि आ जाती है, जो दवाइयों की दुकान पर दवाइयां बेचने का कार्य करता है. लेकिन केमिस्ट का काम सिर्फ दवाइयां बेचना नहीं होता है. ज्यादातर केमिस्ट साधारण बीमारियों में ना केवल दवाइयों के बारे में सलाह देने बल्कि टीकाकरण जैसे कार्य भी करते हैं. वहीं फार्मास्यूटिकल कंपनी में काम करने वाले फार्मासिस्ट अलग-अलग बीमारियों के लिए नई दवाइयों के संबंध में रिसर्च तथा प्रशिक्षण का कार्य भी करते हैं. इसके अलावा फार्मास्यूटिकल प्रोडक्ट्स बनाने, फार्मास्यूटिकल प्रोडक्शन के तरीके विकसित करने और दवाइयों के क्वालिटी कंट्रोल का कार्य भी फार्मासिस्ट करते हैं. इसीलिए फार्मास्यूटिकल्स कंपनियों में काम करने वाले फार्मासिस्ट को दवा विशेषज्ञ भी कहा जाता है.

फार्मासिस्ट बनने के लिए संबंधित डिग्री जरूरीः केमिस्ट की दुकान खोलने वाले फार्मासिस्ट के लिए भी चिकित्सा शास्त्र से ही जुड़ी विधा बी.फार्मा की पढ़ाई जरूरी है. इस विषय के अध्ययन के बाद ही वह केमिस्ट की दुकान या दवाइयों की दुकान के लिए लाइसेंस प्राप्त कर पाता हैं. इसी वजह से केमिस्ट को सभी तरह की दवाइयों, उनके असर तथा उनके नकारात्मक असर के बारे में जानकारी होती हैं. फार्मास्यूटिकल्स में डिग्री लेने के बाद फार्मासिस्ट ड्रग मैन्युफैक्चरिंग कंपनी यानी दवाई बनाने वाली कंपनियों से जुड़े निजी तथा सरकारी संस्थानों, डिस्पेंसरी और मेडिकल स्टोर में काम कर सकते हैं. इसके अलावा बी.फार्मा डिग्री धारक मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के तौर पर भी कार्य करते हैं.

Last Updated : Sep 25, 2022, 7:09 AM IST
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