रांची: एड्स और HIV के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिए हर वर्ष 01 दिसंबर को दुनिया भर में विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है (World AIDS Day 2022 ). इस वर्ष भी देश और दुनिया भर में 'EQUALIZE' थीम के साथ गुरुवार 01 दिसंबर को इस संकल्प के साथ विश्व एड्स दिवस मनाया जाएगा कि हमें HIV/AIDS संबंधित असमानताओं को समाप्त करते हुए एड्स को समाप्त करना है.
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एड्स से बचने के लिए जांच, उपचार और HIV संक्रमण के रोकथाम की गुणवत्ता को जहां सुनिश्चित करना है. वहीं HIV संक्रमण के साथ जीने वाले व्यक्तियों को HIV संबंधित भेदभाव और कलंक से बचाव के लिए भारत सरकार द्वारा बनाये गए कानून. 'HIV/AIDS ( रोकथाम एवं नियंत्रण) अधिनियम 2017' को सक्रिय रूप से कार्यान्वित करते हुए इसके प्रति लोगों में जागरूकता लायी जाए. इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए प्रमंडलीय आयुक्तों को इस अधिनियम के तहत लोकपाल नामित किया गया है.
इसी क्रम में झारखंड राज्य एड्स कंट्रोल सोसायटी द्वारा HIV - एड्स की रोकथाम के लिए केयर स्पॉट एंड ट्रीटमेंट प्रभाग, ICTC प्रभाग, टारगेट इंटरवेंशन ( TI) और IEC और मुख्यधारा प्रभाग द्वारा कई कार्यक्रम चलाए जा रहे है.
राज्य में 14 हजार से अधिक है HIV पॉजिटिव लोगों की संख्या: झारखंड में अक्टूबर 2022 तक के सरकारी आंकड़े के अनुसार 14053 की संख्या HIV पॉजिटिव की है. जिसमें से 6639 महिला और 6281 पुरुष हैं. राज्य में 29 ट्रांसजेंडर भी HIV संक्रमित हैं. अगर बच्चों की बात करें तो राज्य में 652 बालक और 452 बालिकाएं HIV संक्रमित हैं. इस वर्ष अभी तक राज्य में 1042 नए HIV संक्रमित लोगों की पहचान हुई है जिसमें 104 गर्भवती महिलाएं हैं. JSACS आंकड़े के अनुसार पिछले वर्ष राज्य में 1297 नए HIV संक्रमित मिले थे जिसमें से 111 की संख्या गर्भवती महिलाओं की थी.
राज्य में चल रहे हैं ART सेंट: जांच में HIV संक्रमित पाए गए लोगों के इलाज के लिए ART ( एंटी रेट्रो वायरल थेरेपी) सेंटर चलाये जा रहे हैं. जहां उपचार से गर्भवती महिलाओं से उनके अजन्मे शिशुओं में इस बीमारी के प्रसार की संभावनाएं काफी कम हो जाती हैं. विश्व एड्स दिवस की पूर्व संध्या पर झारखंड स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी के परियोजना निदेशक भुवनेश प्रताप सिंह ने कहा कि राज्य में HIV संक्रमण की रोकथाम के लिए समिति द्वारा कार्य योजना बनाकर कार्य किया जा रहा है, ट्रैकिंग, टेस्टिंग और ट्रीटमेंट पर विशेष जोर दिया जा रहा है, ताकि संक्रमित लोगों की जल्द से जल्द पहचान हो सके और उनका जल्द से जल्द इलाज शुरू हो और उन्हें मुख्य धारा से जोड़ा जा सके. भुवनेश प्रताप सिंह ने बताया कि भारत सरकार ने वर्ष 2030 तक एड्स का उन्मूलन किये जाने का लक्ष्य रखा है.