रांची: कहते हैं जिस राज्य में मजदूर खुश रहते हैं उस राज्य की आम जनता भी हमेशा खुश रहती है. लेकिन जिस राज्य में मजदूर वर्ग मजबूर और लाचार हो जाते हैं उस राज्य का विकास की गति भी रुक जाती है. कुछ ऐसी ही स्थिति झारखंड राज्य में देखने को मिल रही है. विधानसभा सत्र के दौरान पिछले 15 दिन से अपने बकाए वेतन की मांग को लेकर सैकड़ों मजदूर विधानसभा के समक्ष धरना दे रहे हैं लेकिन अभी तक इनके सुनने वाला कोई नहीं है.
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धरने पर बैठे मजदूर सभी पलामू क्षेत्र के रहने वाले हैं, ये सभी सोकरा माइंस में काम करते थे. धरना दे रहे मजदूरों ने बताया कि 1970 के दशक से ही यह सोकरा ग्रेफाइट माइंस में कार्यरत थे. लेकिन वर्ष 1982 में ही कंपनी के प्रबंधन के द्वारा सभी मजदूरों को निकाल दिया गया और उन्हें मजदूरी देने से मना कर दिया. जब मजदूरों ने इसका विरोध किया तो कंपनी के लोगों के द्वारा इन पर गोलीबारी की गयी ताकि वह वेतन की मांग ना कर सके.
लेकिन मजदूरों ने अपने हक की मांग को लेकर अपने कदम पीछे नहीं किए. उन्होंने अपने पैसों की मांग के लिए कोर्ट की शरण ली. मजदूरों की जायज मांग को देखते हुए झारखंड हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी सभी मजदूरों के पक्ष में फैसला सुनाया. इसके बावजूद भी अब तक कंपनी और राज्य सरकार के द्वारा मजदूरों को पैसे का भुगतान नहीं किया गया है. 1982 से लेकर अब तक सभी मजदूर अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं. कोर्ट से लेकर प्रशासन तक का मदद लेकर उन्होंने अपने बकाए वेतन के भुगतान की मांग की.
मजदूरों ने बताया कि झारखंड गठन के बाद अब तक राज्य में जितने भी मुख्यमंत्री बने हैं. सभी के पास इन सभी मजदूरों ने अपनी समस्या रखी लेकिन किसी ने भी इनकी एक ना सुनी सिर्फ और सिर्फ इन्हें आश्वासन मिला है. लेकिन अब मजदूर और उनके परिवार ने ठान लिया है कि जब तक उन्हें वेतन नहीं मिलता है तब तक वह अपने प्रदर्शन को जारी रखेंगे. साथ ही मजदूर अपने दलबल के साथ राजभवन के समक्ष धरना प्रदर्शन को जारी रखेंगे.
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मजदूरों ने कहा अगर सरकार फिर भी हमारी मांगों पर विचार नहीं करती है तो आने वाले समय में इनका विरोध प्रदर्शन और भी उग्र होगा जिसकी जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ सरकार और उनके अधिकारियों की होगी. आपको बता दें कि सोकरा ग्रेफाइट माइंस में करीब 500 मजदूर काम करते थे और यह काम बंद होने के बाद करीब हजारों लोग इससे प्रभावित हुए हैं. पिछले 15 दिन से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं मजदूरों से बात की ईटीवी भारत संवाददाता हितेश कुमार चौधरी ने.