रांची: बेटियों के पक्ष में मंगलवार को उच्चतम न्यायालय ने एक बड़ा फैसला सुनाया. अदालत ने एक बार फिर दोहराया कि पिता की संपत्ति में बेटियों का भी बराबर का हक है. शीर्ष न्यायालय के इस फैसले का झारखंड की बेटियों ने स्वागत किया है. अधिकतर महिलाओं और युवतियों का कहना था कि इस फैसले के दूरगामी परिणाम होंगे. इससे समाज में लैंगिक भेदभाव में कमी आएगी.
बेटियों ने किया शीर्ष न्यायालय के फैसले का स्वागत
राजधानी रांची की रहने वाली वीना शर्मा ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का हम दिल से स्वागत करते हैं, क्योंकि पहले के समय में यह माना जाता था कि बेटी के विवाह के बाद उसका पिता की संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होता, जिस वजह से कई बार बेटियों को उचित सम्मान नहीं मिलता था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को जो फैसला लिया है, इससे हम बेटियों को अधिकार के साथ-साथ सम्मान भी मिलेगा. इससे समाज में लैंगिक भेदभाव में कमी आएगी.
महिलाओं ने फैसले को सराहा
रांची में व्यवसाय कर रही नीलू गुप्ता कहती हैं कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से हम बहुत खुश हैं. समाज में बेटा और बेटी दोनों बराबर हैं, लेकिन रूढ़िवाद विचार की वजह से पिता के घर में बेटियों को उचित सम्मान नहीं मिल रहा था. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के बाद बेटियों को अधिकार के साथ सम्मान भी मिलेगा. वहीं पुष्पा कुमारी बताती हैं कि अमूमन यही माना जाता था कि बेटी की शादी होने के बाद पिता की संपत्ति से उसका अधिकार समाप्त हो गया है और ससुराल की संपत्ति से वह अपना जीवन यापन करेंगी, जिससे कि कई बार बेटियों को अधिक दिक्कत होती थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से बेटियों का मनोबल बढ़ा है.
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सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का महिलाओं ने स्वागत करते हुए कहा कि अब ससुराल पक्ष की तरफ से घेरलू हिंसा की शिकार हो रही महिलाओं का भी मनोबल ऊंचा होगा, क्योंकि पहले हम महिलाएं ये सोच कर चुप रह जाती थीं कि ससुराल के अलावा हमारा कोई नहीं है, लेकिन अब पिता की संपत्ति में अधिकार मिलने से महिलाओं को यह विश्वास रहेगा कि अगर हमें कोई देखने वाला नहीं मिलता है तो कम से कम पिता की संपति पर अपना जीवन यापन कर सकती हैं.