रांची: राजधानी रांची से करीब 60 किलोमीटर दूर बुढ़मू प्रखंड के कोरी गांव की महिलाएं आज लेमन ग्रास की खेती के जरिये आर्थिक रूप से सशक्त बन रहीं हैं. महिला किसान सशक्तीकरण परियोजना के तहत लेमनग्रास की खेती करने वाली इन महिलाओं को बाजार में लेमनग्रास की कीमत भी बढ़िया मिल रही है, जिससे इनको अच्छा मुनाफा हो रहा है और ये इससे आर्थिक रूप से सशक्त बन रहीं हैं. कोरी गांव की इन महिला किसानों से दूसरे लोग भी प्रेरित हो रहे हैं.
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कोरी गांव की जमीन उपजाऊ नहीं थी, इसकी वजह से यहां लोग खेती नहीं करते थे. जीवन यापन के लिए गांव की महिलाएं महुआ चुनकर और जंगल से लकड़ी काटकर लाती थी और बेचकर अपने परिवार का पालन पोषण करती थी. जबकि गांव के ज्यादातर पुरुष शहर में जाकर काम किया करते थे. लेकिन बंजर जमीन पर लेमन ग्रास की खेती के कॉन्सेप्ट ने इनका जीवन बदल दिया. झारखंड के कई जिलों के ग्रामीण इलाकों में पहले ही लेमनग्रास की खेती शुरू हो गई थी. इधर रांची स्थित एक निजी संस्था से जुड़े रोशन अक्सर कोरी गांव आया-जाया करते थे.
रोशन की संस्था सन्मार्ग फाउंडेशन गांव में जागरुकता अभियान चला रही थी. इसी दौरान कुछ महिलाओं ने उनसे रोजगार पर बात की ताकि वे लोग भी कुछ ऐसा कर सकें ताकि परिवार के लिए आय का साधन जुटा सकें. इस पर रोशन जो झारखंड के खूंटी जिले में बंजर जमीन में लेमनग्रास की खेती होते देख चुके थे. उन्होंने गांव की महिलाओं को सुझाव दिया कि वे एक साथ मिलकर अपनी बंजर जमीन पर लेमन ग्रास की खेती करें, इसमें काफी फायदा है.
एक एकड़ घास से तैयार होता है सात से आठ लीटर तेलः सन्मार्ग फाउंडेशन के सचिव रोशन ने बताया कि लेमनग्रास की खेती के लिए स्टैंड अप इंडिया के तहत लोन भी बड़ी आसानी से मिल रहा है. इसके बाद भारत सरकार के स्टैंड अप इंडिया योजना की बदौलत लेमनग्रास की खेती के लिए कोरी गांव की महिलाओं को लोन भी आसानी से मिल गया. जिसके बाद छह माह पहले 20 की संख्या में महिलाओं ने अपनी बंजर जमीन पर लेमनग्रास की खेती शुरू की. आज इसी लेमनग्रास की खेती की बदौलत ये महिलाएं अच्छी कमाई कर रहीं हैं.
तेल निकालने के लिए प्लांटः कोरी गांव में अब लेमनग्रास की खेती करने वाली महिलाओं की संख्या 100 से ज्यादा हो गई है, सभी एक साथ मिलकर लेमन ग्रास की खेती कर रही हैं. रोशन ने बताया कि गांव की महिलाएं सामूहिक रूप से खेती कर रहीं हैं और इसके लिए इन्हें स्टैंड अप इंडिया से 17 लाख रुपये लोन मिला है. इससे इन्होंने लेमनग्रास से तेल निकालने के लिए प्लांट भी लगाया है. ये प्रति एकड़ 7 से आठ लीटर तक लेमनग्रास का तेल तैयार कर रहीं हैं, जिसका बाजार में अच्छा दाम मिल रहा है.
15 एकड़ में हो रही खेतीः रांची के कोरी गांव पहुंचते ही आपको लेमनग्रास की भीनी भीनी खुशबू का आनंद मिलने लगेगा. यह खुशबू कुछ-कुछ नींबू की खुशबू का आभास दिलाती है. कल तक जिस बंजर जमीन पर खेती करने को लेकर लोग सोच भी नहीं सकते थे, आज उसी जमीन पर महिलाओं के परिश्रम से लेमनग्रास लहलहा रही है. महिलाएं कहती हैं कि उन्होंने लेमनग्रास का नाम तक नहीं सुना था, मगर अब इससे होने वाले फायदे को जानने के बाद हम दूसरों को भी लेमनग्रास की खेती करने की सलाह देते है. बंजर भूमि पर सोने की तरह कमाई कराती है यह लेमनग्रास. महिला किसान सशक्तीकरण परियोजना के तहत हम लोगों को प्रशिक्षण मिला और मैंने पिछले साल अक्टूबर में लेमन ग्रास खेती शुरू की थी. एक महिला राजमणी देवी ने बताया कि गांव में 15 एकड़ में लेमनग्रास की खेती की जा रही है.
एक एकड़ में 77 हजार की कमाईः कोरी गांव निवासी महिला किसान बालो देवी ने बताया कि लेमनग्रास की खेती के जरिये सालाना लाख रुपये से ज्यादा की कमाई कर रहे हैं. कोरी गांव की ग्रामीण महिलाएं बताती हैं कि अमूमन एक एकड़ जमीन में लेमनग्रास की खेती में करीब 20-25 हजार रुपये की लागत आती है. एक बार जब 4 महीने में फसल तैयार हो जाती है तो वह करीब एक लाख की हो जाती है. इस प्रकार एक एकड़ से करीब 77 हजार रुपये की आमदनी एक कटाई में होती है. वहीं इसके डंठल का तेल निकाला जाता है, उसकी कीमत करीब 25 से 30 पैसे प्रति डंठल होती है. किसान आरती देवी ने बताया कि अभी कोरी गांव की महिलाओं के लेमनग्रास की खेती शुरू किए ज्यादा समय नहीं हुए हैं, इसलिए इसमें थोड़ा मुनाफा कम है. लेकिन जैसे-जैसे यह काम आगे बढ़ेगा इसमें मुनाफा बढ़ता जाएगा.
बंजर जमीन पर हो सकती है खेतीः जानकार बताते हैं कि लेमनग्रास की खेती कम उपजाऊ जमीन में भी आसानी से की जा सकती है. एक बार पौधा लगाने के बाद 5 वर्षों तक प्रति वर्ष 3 से 4 बार इसकी पत्तियों की कटाई और बिक्री कर मुनाफा कमाया जा सकता है. लेमनग्रास एरोमेटिक प्लांट की श्रेणी में आता है, इसे लगाने की विधि आसान है. सभी तरह की मिट्टी में इसे लगाया जा सकता है, लेमनग्रास के एक छोटे से पौधे को विकसित कर कई पौधे तैयार किए जा सकते हैं. करीब 6 महीने में ये पौधे तैयार हो जाते हैं और साल में 3 से 4 बार इसकी कटाई से अच्छी अमदनी होती है. इसकी खेती में सिंचाई की जरूरत न के बराबर होती है. रोपाई जुलाई से सितंबर माह तक कर सकते हैं, सितंबर के बाद करने से सिंचाई की जरूरत पड़ती है.
क्या है लेमन ग्रासः लेमनग्रास औषधीय पौधा है, यह घास जैसा ही दिखता है. बस इसकी लंबाई आम घास से ज्यादा होती है. वहीं, इसकी महक नीबू जैसी होती है और इसका उपयोग ग्रीन टी के साथ-साथ दवा बनाने में भी होता है. इसके अलावा, दवा के रूप में लेमनग्रास आयल का उपयोग भी सालों से किया जाता आ रहा है. इसमें लगभग 75 प्रतिशत सिट्रल पाया जाता है, जिसकी वजह से इसकी खुशबू भी नीबू जैसी होती है. अक्सर लेमनग्रास तेल का उपयोग सौंदर्य उत्पाद और पेय पदार्थों में किया जाता है.