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जश्न ए आजादी की तैयारी में जुटी महिलाएं, देखिए कैसे तिरंगे की डिमांड को कर रही हैं पूरी - ranchi news

आजादी के अमृत महोत्सव को लेकर चारों ओर धूम मची है. बाजारों से लेकर सरकारी कार्यालयों में विशेष रुप से तिरंगा लगाया जा रहा है. घर घर तिरंगा लगाने के लिए राजधानी में ही करीब 5 लाख तिरंगे की डिमांड है.

Women making national flag in Ranchi
Women making national flag in Ranchi
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Published : Aug 12, 2022, 5:50 PM IST

Updated : Aug 12, 2022, 7:30 PM IST

रांचीः महात्मा गांधी ने कहा था कि यदि राष्ट्रभक्ति देखनी हो तो ग्रामीणों के बीच जाएं उनके अंदर की खुशी को देखें. आपको पता चल जायेगा कि उनके द्वारा देश के लिए क्या किया जा रहा है. बापू के इस कथन को आज भी साकार कर रही हैं कुछ ग्रामीण महिलाएं. आजादी के 75 वर्ष (75 years of independence) पूरे होने की खुशी में घर घर तिरंगा अभियान में सहभागी बन रही ये महिला खुद अपने हाथों से तिरंगा बनाकर लोगों को मुहैया करा रही हैं.

आर्थिक मजबूती के साथ राष्ट्रप्रेम की मिसाल बन रही हैं महिलाएंः आर्थिक रुप से कमजोर ग्रामीण महिलाओं को खादी बोर्ड द्वारा 6 महीने का प्रशिक्षण दिया गया है. प्रशिक्षण मिलने के बाद ये अब आत्मनिर्भर हो चुकी हैं. आज तिरंगा की बढ़ी डिमांड को पूरा करने में ये महिलाओं रात दिन सिलाई कर एक दिन में हजारों तिरंगा तैयार कर रही हैं. आर्थिक रूप से कमजोर सरिता कच्छप बताती हैं कि वो ट्रेनिंग के पश्चात पहली बार तिरंगा बना रही है, जो उनके लिए सौभाग्य की बात है. हर दिन तिरंगा बनाकर करीब 500 रुपया कमा लेते हैं.

देखें पूरी खबर

इसी तरह रुपम और पिंकी जैसी महिलाएं आर्थिक शारीरिक रूप से कमजोर होने के बाबजूद हुनरमंद होकर घर घर तिरंगा अभियान में हाथ बंटाने का काम कर रही हैं. झारखंड राज्य खादी बोर्ड ऐसी महिलाओं को हुनरमंद बनाकर स्वरोजगार के लिए प्रेरित करती रही है. जिसके तहत 6 महीने की ट्रेनिंग पूरी कर लेने के बाद सिलाई मशीन देकर उन्हें हुनरमंद बनाया जाता है.

कॉर्डिनेटर मो. मकसूद बताते हैं कि एक बैच में करीब 65 महिलाएं हैं जो ट्रेनिंग लेकर काम कर रही है. घर घर तिरंगा अभियान के तहत इनके बनाये तिरंगा अपने राज्य के साथ साथ दूसरे राज्यों में भी भेजा गया है. तिरंगे की डिमांड इतनी है कि इसे तैयार करने में ये महिलाएं अपने सभी कामकाज को छोड़कर लगी रहती हैं.


जश्न-ए-आजादी की इस खुशी में अब तक ये महिलाएं पचास हजार से ज्यादा झंडा बना चुकी हैं. इसके जरिए ना केवल इनका आर्थिक पक्ष मजबूत हो रहा है, बल्कि तिरंगा बनाकर राष्ट्रभक्ति की मिसाल भी कायम किया जा रहा है जो अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणादायक है.

रांचीः महात्मा गांधी ने कहा था कि यदि राष्ट्रभक्ति देखनी हो तो ग्रामीणों के बीच जाएं उनके अंदर की खुशी को देखें. आपको पता चल जायेगा कि उनके द्वारा देश के लिए क्या किया जा रहा है. बापू के इस कथन को आज भी साकार कर रही हैं कुछ ग्रामीण महिलाएं. आजादी के 75 वर्ष (75 years of independence) पूरे होने की खुशी में घर घर तिरंगा अभियान में सहभागी बन रही ये महिला खुद अपने हाथों से तिरंगा बनाकर लोगों को मुहैया करा रही हैं.

आर्थिक मजबूती के साथ राष्ट्रप्रेम की मिसाल बन रही हैं महिलाएंः आर्थिक रुप से कमजोर ग्रामीण महिलाओं को खादी बोर्ड द्वारा 6 महीने का प्रशिक्षण दिया गया है. प्रशिक्षण मिलने के बाद ये अब आत्मनिर्भर हो चुकी हैं. आज तिरंगा की बढ़ी डिमांड को पूरा करने में ये महिलाओं रात दिन सिलाई कर एक दिन में हजारों तिरंगा तैयार कर रही हैं. आर्थिक रूप से कमजोर सरिता कच्छप बताती हैं कि वो ट्रेनिंग के पश्चात पहली बार तिरंगा बना रही है, जो उनके लिए सौभाग्य की बात है. हर दिन तिरंगा बनाकर करीब 500 रुपया कमा लेते हैं.

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इसी तरह रुपम और पिंकी जैसी महिलाएं आर्थिक शारीरिक रूप से कमजोर होने के बाबजूद हुनरमंद होकर घर घर तिरंगा अभियान में हाथ बंटाने का काम कर रही हैं. झारखंड राज्य खादी बोर्ड ऐसी महिलाओं को हुनरमंद बनाकर स्वरोजगार के लिए प्रेरित करती रही है. जिसके तहत 6 महीने की ट्रेनिंग पूरी कर लेने के बाद सिलाई मशीन देकर उन्हें हुनरमंद बनाया जाता है.

कॉर्डिनेटर मो. मकसूद बताते हैं कि एक बैच में करीब 65 महिलाएं हैं जो ट्रेनिंग लेकर काम कर रही है. घर घर तिरंगा अभियान के तहत इनके बनाये तिरंगा अपने राज्य के साथ साथ दूसरे राज्यों में भी भेजा गया है. तिरंगे की डिमांड इतनी है कि इसे तैयार करने में ये महिलाएं अपने सभी कामकाज को छोड़कर लगी रहती हैं.


जश्न-ए-आजादी की इस खुशी में अब तक ये महिलाएं पचास हजार से ज्यादा झंडा बना चुकी हैं. इसके जरिए ना केवल इनका आर्थिक पक्ष मजबूत हो रहा है, बल्कि तिरंगा बनाकर राष्ट्रभक्ति की मिसाल भी कायम किया जा रहा है जो अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणादायक है.

Last Updated : Aug 12, 2022, 7:30 PM IST
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