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झारखंड में सियासी संकट! क्या शिबू सोरेन फिर बनेंगे मुख्यमंत्री? कल्पना पर हेमंत ने क्यों लगाया विराम

Jharkhand political crisis. झारखंड में सियासी संकट के बीच कई तरह की चर्चाएं चल रही हैं. क्या शिबू सोरेन फिर बनेंगे मुख्यमंत्री? क्या सीएम आवास में घुस सकती है ईडी, आखिर कल्पना सोरेन के नाम पर हेमंत ने क्यों विराम लगाया, इन सभी सवालों को लेकर एक्सपर्ट की क्या राय है, इस रिपोर्ट में जानिए.

Jharkhand political crisis
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 3, 2024, 4:06 PM IST

रांची: झारखंड की सियासत एक बार फिर उतार चढ़ाव के दौर से गुजर रही है. जिस बात का अंदेशा था, उसकी झलक दिखने लगी है. ईडी की कार्रवाई शुरु हो चुकी है. सीएम हेमंत सोरेन के प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद उर्फ पिंटू, साहिबगंज के डीसी रामनिवास यादव, आर्किटेक्ट बिनोद कुमार, साहिबगंज के कनोडिया ब्रदर्स, पूर्व विधायक पप्पू यादव, डीएसपी राजेंद्र दूबे, अभय सरावगी, कोलकाता और सिपाही अवधेश कुमार के ठिकानों छापेमारी से झारखंड की राजनीति और ब्यूरोक्रेसी में खलबली मची हुई है. इस राजनीतिक अस्थिरता के बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने यह कहकर नई बहस छेड़ दी है कि कल्पना सोरेन के सीएम बनने की संभावना वाली बात भाजपा की कोरी कल्पना भर है.

अब चर्चा इस बात को लेकर शुरु हो गई है कि अगर सीएम हेमंत सोरेन को इस्तीफा देने की नौबत आती है तो उनकी जगह कौन लेगा. क्या शिबू सोरेन की एक बार फिर ताजपोशी हो सकती है. उन्होंने कल्पना सोरेन के नाम पर ब्रेक क्यों लगाया. सवाल यह भी उठ रहा है कि ईडी का अगला कदम क्या हो सकता है. क्या झारखंड राष्ट्रपति शासन की ओर बढ़ रहा है. क्योंकि सूत्रों से जानकारी मिल रही है कि सीआरपीएफ को भी अलर्ट मोड पर रख दिया गया है. ऐसे में क्या ईडी सीएम आवास पर भी दबिश देने की तैयारी में हैं.

इन सवालों और कयासों को समझने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने झारखंड की राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले निर्दलीय विधायक सरयू राय से बात की. उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन अब शिबू सोरेन को मुख्यमंत्री बनाएं या किसी अन्य विधायक को, इसका अब कोई खास महत्व नहीं दिख रहा है. सच तो यह है कि झारखंड की राजनीति के लिए यह साल गंजन भरा साबित होने वाला है. यह भी समझना होगा कि अगर नई सरकार के गठन की नौबत आती है तो हेमंत सोरेन को कई शर्तों पर हामी भरनी होगी. इस दौरान किस किस तरह की शर्त आ सकती है, यह समझना मुश्किल नहीं है. सरयू राय ने कहा कि फिलहाल ऐसा नहीं लगता कि राज्य में राष्ट्रपति शासन की नौबत आएगी क्योंकि गठबंधन दल के पास बहुमत है. रही बात ईडी की तो वह सीएम आवास में घुसने के लिए सक्षम है. यह इस बात पर निर्भर करेगा कि मुख्य सचिव और डीजीपी का क्या स्टैंड होता है. लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि सबसे पहले तो सरफराज अहमद को खुलकर कहना चाहिए कि आखिर उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा क्यों दिया.

  • सरफराज जी के गाँडेय विधायक पद से इस्तीफ़ा ने झारखण्ड की राजनीति में भूचाल ला दिया है,आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है.बेहतर होगा सरफराज जी इस्तीफ़े का राज खोलें,जनता को रहस्य बताएं कि इस्तीफ़ा अंतरात्मा की आवाज़ पर है,राज्यहित/जनहित/दलहित मे है या लोभ-लाभ के राजनीतिक दबाव मे?

    — Saryu Roy (@roysaryu) January 3, 2024 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के राजनीतिक सलाहकार और आर्थिक-राजनीतिक मामलों के जानकार अयोध्या मिश्रा का मानना है कि राजनीति में बयान मैटर नहीं करता. कल सीएम ने कहा कि कल्पना सोरेन के सीएम बनने की संभावना भाजपा की कल्पना भर है. लेकिन विधायकों के साथ बैठक के बाद वही बयान बदल भी सकता है. उनका मानना है कि सबकुछ इस बात पर निर्भर करता है कि आज सीएम आवास पर सत्ताधारी दलों के विधायकों की बैठक में क्या फॉर्मूला बनता है. लेकिन एक बात सही है कि वर्तमान हालात में बार्गेनिंग टेबल पर सीएम हेमंत सोरेन लूजर साबित होंगे. उनका यह भी मानना है कि झारखंड में कोई संवैधानिक क्राइसिस वाली स्थिति नहीं है. अगर ऐसा होता है तो गवर्नर या हाईकोर्ट तक बात जाती. फिलहाल, विधायक दल की बैठक के नतीजे सामने आने के बाद ही आगे की संभावनाओं का आकलन करना बेहतर होगा.

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अब चर्चा इस बात को लेकर शुरु हो गई है कि अगर सीएम हेमंत सोरेन को इस्तीफा देने की नौबत आती है तो उनकी जगह कौन लेगा. क्या शिबू सोरेन की एक बार फिर ताजपोशी हो सकती है. उन्होंने कल्पना सोरेन के नाम पर ब्रेक क्यों लगाया. सवाल यह भी उठ रहा है कि ईडी का अगला कदम क्या हो सकता है. क्या झारखंड राष्ट्रपति शासन की ओर बढ़ रहा है. क्योंकि सूत्रों से जानकारी मिल रही है कि सीआरपीएफ को भी अलर्ट मोड पर रख दिया गया है. ऐसे में क्या ईडी सीएम आवास पर भी दबिश देने की तैयारी में हैं.

इन सवालों और कयासों को समझने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने झारखंड की राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले निर्दलीय विधायक सरयू राय से बात की. उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन अब शिबू सोरेन को मुख्यमंत्री बनाएं या किसी अन्य विधायक को, इसका अब कोई खास महत्व नहीं दिख रहा है. सच तो यह है कि झारखंड की राजनीति के लिए यह साल गंजन भरा साबित होने वाला है. यह भी समझना होगा कि अगर नई सरकार के गठन की नौबत आती है तो हेमंत सोरेन को कई शर्तों पर हामी भरनी होगी. इस दौरान किस किस तरह की शर्त आ सकती है, यह समझना मुश्किल नहीं है. सरयू राय ने कहा कि फिलहाल ऐसा नहीं लगता कि राज्य में राष्ट्रपति शासन की नौबत आएगी क्योंकि गठबंधन दल के पास बहुमत है. रही बात ईडी की तो वह सीएम आवास में घुसने के लिए सक्षम है. यह इस बात पर निर्भर करेगा कि मुख्य सचिव और डीजीपी का क्या स्टैंड होता है. लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि सबसे पहले तो सरफराज अहमद को खुलकर कहना चाहिए कि आखिर उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा क्यों दिया.

  • सरफराज जी के गाँडेय विधायक पद से इस्तीफ़ा ने झारखण्ड की राजनीति में भूचाल ला दिया है,आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है.बेहतर होगा सरफराज जी इस्तीफ़े का राज खोलें,जनता को रहस्य बताएं कि इस्तीफ़ा अंतरात्मा की आवाज़ पर है,राज्यहित/जनहित/दलहित मे है या लोभ-लाभ के राजनीतिक दबाव मे?

    — Saryu Roy (@roysaryu) January 3, 2024 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के राजनीतिक सलाहकार और आर्थिक-राजनीतिक मामलों के जानकार अयोध्या मिश्रा का मानना है कि राजनीति में बयान मैटर नहीं करता. कल सीएम ने कहा कि कल्पना सोरेन के सीएम बनने की संभावना भाजपा की कल्पना भर है. लेकिन विधायकों के साथ बैठक के बाद वही बयान बदल भी सकता है. उनका मानना है कि सबकुछ इस बात पर निर्भर करता है कि आज सीएम आवास पर सत्ताधारी दलों के विधायकों की बैठक में क्या फॉर्मूला बनता है. लेकिन एक बात सही है कि वर्तमान हालात में बार्गेनिंग टेबल पर सीएम हेमंत सोरेन लूजर साबित होंगे. उनका यह भी मानना है कि झारखंड में कोई संवैधानिक क्राइसिस वाली स्थिति नहीं है. अगर ऐसा होता है तो गवर्नर या हाईकोर्ट तक बात जाती. फिलहाल, विधायक दल की बैठक के नतीजे सामने आने के बाद ही आगे की संभावनाओं का आकलन करना बेहतर होगा.

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