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हिंदू रीति रिवाज से जब बेटे ने नहीं किया अंतिम संस्कार तो नातिन ने दी मुखाग्नि

ग्वालियर में ईसाई धर्म अपना चुके बेटे ने मां के हिंदू धर्म से अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया था. जिसके बाद झारखंड से आयी नातिन ने हिंदू रीति रिवाज से क्रियाकर्म किया. वहीं भांजी ने आरोप लगाया कि धीरेंद्र अपनी पत्नी पर भी ईसाई धर्म अपनाने का दबाव बनाये हुए है. इस संदर्भ में पुलिस ने पत्नी से पूछताछ की है.

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Published : Jun 10, 2021, 9:28 PM IST

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नातिन ने नानी को दी मुखाग्नी

ग्वालियर। हिंदू धर्म से ईसाई धर्म अपना चुके सिटी सेंटर क्षेत्र के धीरेंद्र प्रताप के खिलाफ जिला और पुलिस प्रशासन को दिए गए आवेदन में फिलहाल उसकी पत्नी ने अपने पति के साथ रहने की इच्छा जाहिर की है. महिला ने यह भी कहा है कि वह अपने पति के दबाव में नहीं है. धीरेंद्र प्रताप की भांजी श्वेता सुमन ने पुलिस में दिए गए आवेदन में आरोप लगाया था कि धीरेंद्र ने अपनी मां यानी सरोज देवी पर ईसाई धर्म अपनाने के लिए दबाव बनाया था. वहीं अपनी पत्नी पर भी धीरेंद्र ने धर्म परिवर्तन के लिए दबाव बना रखा है.

जानकारी देती अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक

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दो जून को हुई थी मौत
गौरतलब है कि सरोज देवी की दो जून को मौत हो गई थी. उनकी मौत के बाद दो दिन तक उनके शव को सिर्फ इसलिए अंतिम संस्कार नहीं करने दिया गया क्योंकि धीरेंद्र अपनी मां का ईसाई धर्म के अनुरूप अंतिम संस्कार कराना चाहता था जबकि मृतिका सरोज देवी की नातिन श्वेता हिंदू धर्म के अनुसार अपनी नानी का अंतिम संस्कार करने की जिद पर अड़ी थी. आखिरकार उसे 1000 से ज्यादा किलोमीटर की यात्रा करके ग्वालियर पहुंचना पड़ा.

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नातिन ने दी मुखाग्नि.

हिंदू रीति रिवाज से किया अंतिम संस्कार
श्वेता बोकारो झारखंड में रहती हैं. पिछले महीने ही अपनी मां यानी सरोज देवी की बेटी का कोरोना वायरस से निधन हो गया था. श्वेता ने ग्वालियर पहुंचकर चार जून को अपने नानी का हिंदू रिवाज से अंतिम संस्कार लक्ष्मीगंज मुक्तिधाम में किया. इस मौके पर हिंदू संगठनों के लोग अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे. इस दौरान श्वेता ने जिला और पुलिस प्रशासन को एक आवेदन भी सौंपा था, जिसमें कहा गया था कि धीरेंद्र ने अपनी मां सरोज देवी के साथ मारपीट भी की थी. सरोज देवी ने ही उसे दो जून को झारखंड फोन करके घटना की जानकारी दी थी.

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हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ता भी हुए शामिल
हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ता भी इस मामले में सक्रिय हो गए हैं. उन्होंने कहा कि धर्मांतरण का जहर ग्वालियर भी आ चुका है, जिसका यह मामला ताजा उदाहरण है. उन्होंने पुलिस अधीक्षक से यह भी मांग की है कि कहीं धीरेंद्र की पिटाई से तो सरोज देवी की मौत नहीं हुई. इस बात की भी जांच की जानी चाहिए. धीरेंद्र की पत्नी पर भी जबरन धर्मांतरण का दबाव बनाया जा रहा है.

चार जून को किया गया अंतिम संस्कार

पुलिस का कहना है कि उन्होंने धीरेंद्र की पत्नी को बुलाकर इस मामले में पूछताछ की थी. उसने इस तरह की किसी भी घटना से इनकार किया है. इधर श्वेता अपनी नानी का चार जून को अंतिम संस्कार करने के बाद वापस बोकारो लौट चुकी हैं. लेकिन हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ता ने कहा कि वह इस पूरे मामले को देख रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि यदि वह नहीं होते तो सरोज देवी का हिंदू पद्धति के हिसाब से अंतिम संस्कार नहीं हो पाता.

ग्वालियर। हिंदू धर्म से ईसाई धर्म अपना चुके सिटी सेंटर क्षेत्र के धीरेंद्र प्रताप के खिलाफ जिला और पुलिस प्रशासन को दिए गए आवेदन में फिलहाल उसकी पत्नी ने अपने पति के साथ रहने की इच्छा जाहिर की है. महिला ने यह भी कहा है कि वह अपने पति के दबाव में नहीं है. धीरेंद्र प्रताप की भांजी श्वेता सुमन ने पुलिस में दिए गए आवेदन में आरोप लगाया था कि धीरेंद्र ने अपनी मां यानी सरोज देवी पर ईसाई धर्म अपनाने के लिए दबाव बनाया था. वहीं अपनी पत्नी पर भी धीरेंद्र ने धर्म परिवर्तन के लिए दबाव बना रखा है.

जानकारी देती अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक

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दो जून को हुई थी मौत
गौरतलब है कि सरोज देवी की दो जून को मौत हो गई थी. उनकी मौत के बाद दो दिन तक उनके शव को सिर्फ इसलिए अंतिम संस्कार नहीं करने दिया गया क्योंकि धीरेंद्र अपनी मां का ईसाई धर्म के अनुरूप अंतिम संस्कार कराना चाहता था जबकि मृतिका सरोज देवी की नातिन श्वेता हिंदू धर्म के अनुसार अपनी नानी का अंतिम संस्कार करने की जिद पर अड़ी थी. आखिरकार उसे 1000 से ज्यादा किलोमीटर की यात्रा करके ग्वालियर पहुंचना पड़ा.

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नातिन ने दी मुखाग्नि.

हिंदू रीति रिवाज से किया अंतिम संस्कार
श्वेता बोकारो झारखंड में रहती हैं. पिछले महीने ही अपनी मां यानी सरोज देवी की बेटी का कोरोना वायरस से निधन हो गया था. श्वेता ने ग्वालियर पहुंचकर चार जून को अपने नानी का हिंदू रिवाज से अंतिम संस्कार लक्ष्मीगंज मुक्तिधाम में किया. इस मौके पर हिंदू संगठनों के लोग अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे. इस दौरान श्वेता ने जिला और पुलिस प्रशासन को एक आवेदन भी सौंपा था, जिसमें कहा गया था कि धीरेंद्र ने अपनी मां सरोज देवी के साथ मारपीट भी की थी. सरोज देवी ने ही उसे दो जून को झारखंड फोन करके घटना की जानकारी दी थी.

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हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ता भी हुए शामिल
हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ता भी इस मामले में सक्रिय हो गए हैं. उन्होंने कहा कि धर्मांतरण का जहर ग्वालियर भी आ चुका है, जिसका यह मामला ताजा उदाहरण है. उन्होंने पुलिस अधीक्षक से यह भी मांग की है कि कहीं धीरेंद्र की पिटाई से तो सरोज देवी की मौत नहीं हुई. इस बात की भी जांच की जानी चाहिए. धीरेंद्र की पत्नी पर भी जबरन धर्मांतरण का दबाव बनाया जा रहा है.

चार जून को किया गया अंतिम संस्कार

पुलिस का कहना है कि उन्होंने धीरेंद्र की पत्नी को बुलाकर इस मामले में पूछताछ की थी. उसने इस तरह की किसी भी घटना से इनकार किया है. इधर श्वेता अपनी नानी का चार जून को अंतिम संस्कार करने के बाद वापस बोकारो लौट चुकी हैं. लेकिन हिंदू जागरण मंच के कार्यकर्ता ने कहा कि वह इस पूरे मामले को देख रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि यदि वह नहीं होते तो सरोज देवी का हिंदू पद्धति के हिसाब से अंतिम संस्कार नहीं हो पाता.

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