रांची: झारखंड में वकीलों की हत्या और उन पर हो रहे हमले को रोकने के लिए राज्य के 38 हजार अधिवक्ताओं ने एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की मांग की है. झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्णा ने कहा कि एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट की मांग लंबे समय से चल रही है. इसके लिए पूर्व की रघुवर सरकार को ज्ञापन दिया गया था. वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भी पत्र लिखा गया है. जल्द ही अधिवक्ताओं का एक दल मुख्यमंत्री से मिलकर एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट को लागू करने की मांग करेगा. एक्ट के लागू होने से अधिवक्ता निर्भीक रूप से अपने दायित्व का निर्वहन कर पाएंगे.
मध्य प्रदेश की तरह झारखंड में भी लागू हो एडवोकेट एक्ट
अधिवक्ताओं का कहना है कि एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू नहीं होने के कारण प्रोफेशनल ड्यूटी को पूरा करने में कई तरह की दिक्कत हो रही है. आए दिन अधिवक्ताओं की हत्या हो रही है. पिछले साल जुलाई में जमशेदपुर में एक वकील की गला रेतकर हत्या कर दी गई थी. दिसंबर 2019 में रांची में बदमाशों ने एक वकील को गोली मार दी थी. अधिवक्ताओं पर हो रहे हमले और बार-बार धमकी मिलने की वजह से वे केस लेने में भी डरते हैं. एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू होने के बाद इस एक्ट के तहत अधिवक्ताओं को सुरक्षा दी जाएगी. मध्यप्रदेश में एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट को कैबिनेट से मंजूरी दी गई है. उसी तर्ज पर झारखंड में भी इस एक्ट को लागू करने की मांग की जा रही है.
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एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट जरूरी क्यों ?
वकीलों का कहना है कि राज्य सरकार के कर्मियों को सुरक्षा प्रदान किया जा रहा है और डॉक्टरों के लिए प्रोटेक्शन एक्ट लाया गया तो अधिवक्ताओं के लिए प्रोटेक्शन एक्ट क्यों नहीं? अधिवक्ता अपनी जान पर खेलकर दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं. अधिवक्ताओं को भी जान का खतरा रहता है. ऐसे में एडवोकेट एक्ट जरूरी है ताकि वकील निर्भीक होकर अपनी ड्यूटी कर सकें. वकीलों का कहना है एक्ट नहीं होने से परिवार के लोग भी डरे रहते हैं. अधिवक्ता जो कानूनी लड़ाई लड़ते हैं उसमें दोनों पक्षों को जीतने होड़ रहती है. कई ऐसे मामले सामने आते हैं जब जीतने के लिए एक पक्ष के लोग दूसरे पक्ष को धमकी देते हैं.
एडवोकेट एक्ट में क्या हो ?
एडवोकेट एक्ट के तहत वकीलों की यह मांग है कि अधिवक्ता पर किसी भी थाने में एफआईआर दर्ज कराया जा रहा है तो उस थाने को एक बार झारखंड स्टेट बार काउंसिल से इंक्वायरी करनी चाहिए. परिषद यह बता सके कि अधिवक्ता पर किसी भी प्रकार की ड्यूटी ऑफ डिस्चार्ज में दबाव तो नहीं बनाया जा रहा है. ऑफिशियल कार्य करने में अगर कोई गलती होती है तो उसकी जांच भी परिषद करे. अगर कोई अधिवक्ता बड़े मुद्दे पर काम कर रहा है और उसे धमकी दी जा रही है तो राज्य सरकार उसे सुरक्षा उपलब्ध कराए.
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कैसे लागू होगा एडवोकेट एक्ट ?
झारखंड राज्य विधिक परिषद के द्वारा एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट का ड्राफ्ट राज्य सरकार के पास दे दिया गया है. अब राज्य सरकार इसे ड्राफ्ट कमेटी के पास भेजेगी. कमेटी उस ड्राफ्ट पर अपना प्रारूप तैयार करेगी. उस प्रारूप की एक प्रति फिर से राज्य विधिक परिषद को दी जाएगी. राज्य विधिक परिषद इसमें जरूरत के हिसाब से कुछ और जोड़ सकता है. इसके बाद तैयार प्रारूप कैबिनेट में स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा. वकीलों का कहना है कि इसे कैबिनेट में पास कर दिया जाए.
वकीलों की मांग-पूरे देश के लिए जरूरी है एडवोकेट एक्ट
वकीलों का कहना है कि एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट अब सिर्फ झारखंड के लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए जरूरी है. राज्य सरकार तो अपने राज्य में अधिवक्ताओं की सुरक्षा करेगी. इस पर केंद्र सरकार को भी विचार करने की जरूरत है. केंद्र सरकार अधिवक्ताओं के लिए एक ऐसा प्रोटेक्शन एक्ट बनाए ताकि सभी अधिवक्ता सुरक्षित रहें और निर्भीक रूप से कार्य कर सकें.