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राज्यसभा चुनाव: सत्तारूढ़ दलों में नहीं बन पा रही सहमति, बीजेपी में भी कुछ साफ नहीं, जानिए किनके नाम की चर्चा - मुख्तार अब्बास नकवी

झारखंड में दो सीटों के लिए होने वाले राज्यसभा चुनाव को लेकर सियासी हलकों में गतिविधि तेज है. एक तरफ सत्तारूढ़ झामुमो, कांग्रेस और राजद गठबंधन में अब तक समन्वय नहीं बन पाया है. वहीं, बीजेपी भी प्रत्याशियों के नाम की घोषणा नहीं कर पाई है. इन सबके बीच 10 जून को होनेवाले चुनाव के लिए 24 मई से नामांकन शुरू हो रहा है.

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Published : May 21, 2022, 7:32 PM IST

Updated : May 21, 2022, 9:17 PM IST

रांची: राज्यसभा की दो सीटों के लिए होनेवाले चुनाव को लेकर राजनीतिक समीकरण बनने और बिगड़ने शुरू हो गये है. जादुई आंकड़ा के सहारे दोनों सीट पाने की जुगत में लगे सत्तारूढ़ दल झामुमो-कांग्रेस के लिए यह चुनाव किसी चुनौती से कम नहीं है. दोनों दल प्रत्याशी को लेकर अभी भी एकमत नहीं हो पाये हैं. कांग्रेस ने पहली वरीयता के तहत प्रत्याशी देने का झामुमो के समक्ष दावा ठोंक दिया है. पिछले दिनों कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलकर रांची में यह प्रस्ताव दे चुके हैं. जिसपर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सहमति नहीं मिल पाई है.

ये भी पढ़ें- मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिले कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडेय, कई मसलों पर हुई चर्चा

झामुमो पहली वरीयता अपने पास रखकर एक सीट सुरक्षित रखना चाह रही है. हालांकि दोनों दलों के बीच अंतिम निर्णय दिल्ली में होने की संभावना है. जानकारी के मुताबिक जल्द ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात कर प्रत्याशी के नाम पर अंतिम मुहर लगायेंगे. कांग्रेस में जिन नामों की चर्चा है उसमें सुबोधकांत सहाय, कपिल सिब्बल, फुरकान अंसारी आदि शामिल हैं. सोनिया गांधी से मुलाकात कर रांची लौटे सुबोधकांत सहाय का मानना है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन गठबंधन के नेता हैं उनके निर्णय पर सबकुछ निर्भर करता है. उन्होंने कहा कि गठबंधन के अंदर कोई खास परेशानी नहीं है. इधर झामुमो नेता मनोज पांडे ने कहा है कि गठबंधन दोनों सीट पर चुनाव लड़ेगा और जादुई आंकड़े के बल पर 2016 में जिस तरह से भाजपा ने जीत दर्ज किया था उसी तरह गठबंधन भी जीत दर्ज करेगा.

नेताओं के बयान

ठगबंधन और भाजपा को मिलेगा एक-एक सीट: वर्तमान में राज्यसभा की दोनों सीट भाजपा के खाते में है. विधायकों की संख्या को देखते हुए संभावना यह जताई जा रही है कि एक सीट सत्तापक्ष तो दूसरी सीट भाजपा के खाते में जा सकती है. सत्तारूढ़ दल झामुमो-कांग्रेस-राजद इस बार दोनों सीट भाजपा से छीनने की कोशिश में हैं. हालांकि पूर्व स्पीकर और रांची के भाजपा विधायक सीपी सिंह ने सत्तारूढ़ झामुमो-कांग्रेस-राजद के गठबंधन को ठगबंधन बताते हुए कहा है कि एक सीट ठगबंधन को मिलेगा और दूसरी सीट भाजपा के खाते में जायेगी. उन्होंने कहा कि फॉर्मूला तय है और इसमें किसी तरह का कोई संदेह नहीं है. भाजपा जल्द ही प्रत्याशी की घोषणा करेगी. भाजपा की ओर से मुख्तार अब्बास नकवी और रघुवर दास के नाम की चर्चा जोरों पर है.

राज्यसभा चुनाव में तीसरा मोर्चा का होगा अहम: राज्यसभा चुनाव में सरयू राय के नवगठित तीसरा मोर्चा की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. वरिष्ठ विधायक सरयू राय के परामर्श से आजसू प्रमुख सुदेश महतो के नेतृत्व में बना यह गुट निर्णायक भूमिका अदा कर सकता है. बंधु तिर्की की सदस्यता समाप्त होने के बाद झारखंड विधानसभा में वर्तमान में 80 विधायक हैं, जिसमें झामुमो के सदस्यों की संख्या सर्वाधिक 30 है. वहीं, मुख्य विपक्षी दल भाजपा की 26, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की 16, आजसू के 2, भाकपा माले की एक, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की एक, राष्ट्रीय जनता दल की एक तथा निर्दलीय दो. झाविमो के तीन विधायकों में एक बाबूलाल मरांडी भाजपा विधायक दल के नेता हैं और उन्हें पिछले चुनाव में भाजपा के सदस्य के रूप में वोट डालने की अनुमति चुनाव आयोग ने दी थी. प्रदीप यादव वर्तमान में कांग्रेस के साथ हैं मगर विधानसभा में उन्हें मान्यता नहीं मिली है. ऐसे में सत्ताधारी दल की नजर दोनों सीटों पर है तो वहीं भाजपा एक सीट अपना सुरक्षित मान रही है. एक सीट को जीतने के लिए पहली वरीयता के 27.33 मतों की जरूरत होगी.

झारखंड में दलगत स्थिति
झारखंड में दलगत स्थिति

10 जून को है मतदान, 24 मई से नामांकन: भारत निर्वाचन आयोग ने झारखंड में राज्यसभा की खाली हो रहे दो सीटों पर 10 जून को चुनाव कराने का निर्णय लिया है. गौरतलब है कि झारखंड से वर्तमान में दो राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार और मुख्तार अब्बास नकवी का कार्यकाल आगामी सात जुलाई को खत्म हो रहा है. दोनों सीट के लिए आगामी 10 जून, 2022 को चुनाव होना है. इसके तहत 24 मई को नोटिफिकेशन जारी होगी. वहीं, 31 मई तक प्रत्याशी नॉमिनेशन कर सकते हैं. एक जून को नामांकन पत्रों की जांच होगी. वहीं, तीन जून तक प्रत्याशी नाम को वापस ले सकते हैं. 10 जून को सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक वोटिंग होगी. इसी दिन शाम पांच बजे से मतों की गिनती होगी. चुनाव की पूरी प्रक्रिया 13 जून से पहले पूरी कर ली जाएगी.

ये भी पढ़ें- 15 राज्यों की 57 राज्यसभा सीटों पर 10 जून को मतदान : निर्वाचन आयोग

2016 में राज्यसभा चुनाव बेहद रोचक: झारखंड में राज्यसभा चुनावों के दौरान क्रॉस वोटिंग का खेल होता आया है. वर्तमान में जो दो सीटे खाली हो रहीं हैं, उनमें से महेश पोद्दार वाली सीट पर 2016 के चुनाव में जीत मुश्किल दिख रही थी. क्योंकि वोट का अंकगणित भाजपा के फेवर में नहीं था. दूसरी तरफ मुख्य विपक्षी दल झामुमो अपने प्रत्याशी बसंत सोरेन की जीत को लेकर आश्वस्त था. लेकिन वोटिंग के दौरन क्रॉस वोटिंग से खेल हो गया. झामुमो के चमरा लिंडा बीमार पड़ गये. माले की तरफ से क्रॉस वोटिंग हो गई. लिहाजा, बसंत सोरेन की हार हो गई. तब झारखंड की कमान रघुवर दास के पास थी. यह चुनाव विवादों में रहा. आईपीएस अफसर अनुराग गुप्ता पर वोट के लिए योगेंद्र साव पर दबाव डालने का आरोप लगा. उनको लंबे समय तक निलंबन झेलना पड़ा.

2020 में सत्ता पक्ष को दोनों सीट जीतने में नहीं मिली सफलता: जून 2020 में प्रेमचंद गुप्ता और परिमल नथवाणी की सीट खाली होने पर सत्ताधारी दल झामुमो ने शिबू सोरेन और कांग्रेस ने शहजादा अनवर को प्रत्याशी बनाया था. वहीं भाजपा ने दीपक प्रकाश को. लेकिन सत्ताधारी दल के पास ज्यादा वोट होने के बावजूद दीपक प्रकाश को शिबू सोरेन से एक ज्यादा यानी 31 वोट हासिल हुए थे. सत्ता पक्ष की ओर से कांग्रेस के उम्मीदवार शहजादा अनवर को जीताने की भरपुर कोशिश की गई थी, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी. 2020 में एक सीट सत्ता पक्ष के पास और एक सीट लिहाजा, इस बार भी पक्ष और विपक्षी खेमे में अंकगणित का खेल शुरू हो गया है. लेकिन इस बार का चुनावी गणित इस बात पर निर्भर करेगा कि सीएम, बसंत सोरेन और मिथिलेश ठाकुर के मामले में चुनाव आयोग क्या फैसला लेता है.

रांची: राज्यसभा की दो सीटों के लिए होनेवाले चुनाव को लेकर राजनीतिक समीकरण बनने और बिगड़ने शुरू हो गये है. जादुई आंकड़ा के सहारे दोनों सीट पाने की जुगत में लगे सत्तारूढ़ दल झामुमो-कांग्रेस के लिए यह चुनाव किसी चुनौती से कम नहीं है. दोनों दल प्रत्याशी को लेकर अभी भी एकमत नहीं हो पाये हैं. कांग्रेस ने पहली वरीयता के तहत प्रत्याशी देने का झामुमो के समक्ष दावा ठोंक दिया है. पिछले दिनों कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलकर रांची में यह प्रस्ताव दे चुके हैं. जिसपर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सहमति नहीं मिल पाई है.

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झामुमो पहली वरीयता अपने पास रखकर एक सीट सुरक्षित रखना चाह रही है. हालांकि दोनों दलों के बीच अंतिम निर्णय दिल्ली में होने की संभावना है. जानकारी के मुताबिक जल्द ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात कर प्रत्याशी के नाम पर अंतिम मुहर लगायेंगे. कांग्रेस में जिन नामों की चर्चा है उसमें सुबोधकांत सहाय, कपिल सिब्बल, फुरकान अंसारी आदि शामिल हैं. सोनिया गांधी से मुलाकात कर रांची लौटे सुबोधकांत सहाय का मानना है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन गठबंधन के नेता हैं उनके निर्णय पर सबकुछ निर्भर करता है. उन्होंने कहा कि गठबंधन के अंदर कोई खास परेशानी नहीं है. इधर झामुमो नेता मनोज पांडे ने कहा है कि गठबंधन दोनों सीट पर चुनाव लड़ेगा और जादुई आंकड़े के बल पर 2016 में जिस तरह से भाजपा ने जीत दर्ज किया था उसी तरह गठबंधन भी जीत दर्ज करेगा.

नेताओं के बयान

ठगबंधन और भाजपा को मिलेगा एक-एक सीट: वर्तमान में राज्यसभा की दोनों सीट भाजपा के खाते में है. विधायकों की संख्या को देखते हुए संभावना यह जताई जा रही है कि एक सीट सत्तापक्ष तो दूसरी सीट भाजपा के खाते में जा सकती है. सत्तारूढ़ दल झामुमो-कांग्रेस-राजद इस बार दोनों सीट भाजपा से छीनने की कोशिश में हैं. हालांकि पूर्व स्पीकर और रांची के भाजपा विधायक सीपी सिंह ने सत्तारूढ़ झामुमो-कांग्रेस-राजद के गठबंधन को ठगबंधन बताते हुए कहा है कि एक सीट ठगबंधन को मिलेगा और दूसरी सीट भाजपा के खाते में जायेगी. उन्होंने कहा कि फॉर्मूला तय है और इसमें किसी तरह का कोई संदेह नहीं है. भाजपा जल्द ही प्रत्याशी की घोषणा करेगी. भाजपा की ओर से मुख्तार अब्बास नकवी और रघुवर दास के नाम की चर्चा जोरों पर है.

राज्यसभा चुनाव में तीसरा मोर्चा का होगा अहम: राज्यसभा चुनाव में सरयू राय के नवगठित तीसरा मोर्चा की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. वरिष्ठ विधायक सरयू राय के परामर्श से आजसू प्रमुख सुदेश महतो के नेतृत्व में बना यह गुट निर्णायक भूमिका अदा कर सकता है. बंधु तिर्की की सदस्यता समाप्त होने के बाद झारखंड विधानसभा में वर्तमान में 80 विधायक हैं, जिसमें झामुमो के सदस्यों की संख्या सर्वाधिक 30 है. वहीं, मुख्य विपक्षी दल भाजपा की 26, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की 16, आजसू के 2, भाकपा माले की एक, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की एक, राष्ट्रीय जनता दल की एक तथा निर्दलीय दो. झाविमो के तीन विधायकों में एक बाबूलाल मरांडी भाजपा विधायक दल के नेता हैं और उन्हें पिछले चुनाव में भाजपा के सदस्य के रूप में वोट डालने की अनुमति चुनाव आयोग ने दी थी. प्रदीप यादव वर्तमान में कांग्रेस के साथ हैं मगर विधानसभा में उन्हें मान्यता नहीं मिली है. ऐसे में सत्ताधारी दल की नजर दोनों सीटों पर है तो वहीं भाजपा एक सीट अपना सुरक्षित मान रही है. एक सीट को जीतने के लिए पहली वरीयता के 27.33 मतों की जरूरत होगी.

झारखंड में दलगत स्थिति
झारखंड में दलगत स्थिति

10 जून को है मतदान, 24 मई से नामांकन: भारत निर्वाचन आयोग ने झारखंड में राज्यसभा की खाली हो रहे दो सीटों पर 10 जून को चुनाव कराने का निर्णय लिया है. गौरतलब है कि झारखंड से वर्तमान में दो राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार और मुख्तार अब्बास नकवी का कार्यकाल आगामी सात जुलाई को खत्म हो रहा है. दोनों सीट के लिए आगामी 10 जून, 2022 को चुनाव होना है. इसके तहत 24 मई को नोटिफिकेशन जारी होगी. वहीं, 31 मई तक प्रत्याशी नॉमिनेशन कर सकते हैं. एक जून को नामांकन पत्रों की जांच होगी. वहीं, तीन जून तक प्रत्याशी नाम को वापस ले सकते हैं. 10 जून को सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक वोटिंग होगी. इसी दिन शाम पांच बजे से मतों की गिनती होगी. चुनाव की पूरी प्रक्रिया 13 जून से पहले पूरी कर ली जाएगी.

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2016 में राज्यसभा चुनाव बेहद रोचक: झारखंड में राज्यसभा चुनावों के दौरान क्रॉस वोटिंग का खेल होता आया है. वर्तमान में जो दो सीटे खाली हो रहीं हैं, उनमें से महेश पोद्दार वाली सीट पर 2016 के चुनाव में जीत मुश्किल दिख रही थी. क्योंकि वोट का अंकगणित भाजपा के फेवर में नहीं था. दूसरी तरफ मुख्य विपक्षी दल झामुमो अपने प्रत्याशी बसंत सोरेन की जीत को लेकर आश्वस्त था. लेकिन वोटिंग के दौरन क्रॉस वोटिंग से खेल हो गया. झामुमो के चमरा लिंडा बीमार पड़ गये. माले की तरफ से क्रॉस वोटिंग हो गई. लिहाजा, बसंत सोरेन की हार हो गई. तब झारखंड की कमान रघुवर दास के पास थी. यह चुनाव विवादों में रहा. आईपीएस अफसर अनुराग गुप्ता पर वोट के लिए योगेंद्र साव पर दबाव डालने का आरोप लगा. उनको लंबे समय तक निलंबन झेलना पड़ा.

2020 में सत्ता पक्ष को दोनों सीट जीतने में नहीं मिली सफलता: जून 2020 में प्रेमचंद गुप्ता और परिमल नथवाणी की सीट खाली होने पर सत्ताधारी दल झामुमो ने शिबू सोरेन और कांग्रेस ने शहजादा अनवर को प्रत्याशी बनाया था. वहीं भाजपा ने दीपक प्रकाश को. लेकिन सत्ताधारी दल के पास ज्यादा वोट होने के बावजूद दीपक प्रकाश को शिबू सोरेन से एक ज्यादा यानी 31 वोट हासिल हुए थे. सत्ता पक्ष की ओर से कांग्रेस के उम्मीदवार शहजादा अनवर को जीताने की भरपुर कोशिश की गई थी, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी. 2020 में एक सीट सत्ता पक्ष के पास और एक सीट लिहाजा, इस बार भी पक्ष और विपक्षी खेमे में अंकगणित का खेल शुरू हो गया है. लेकिन इस बार का चुनावी गणित इस बात पर निर्भर करेगा कि सीएम, बसंत सोरेन और मिथिलेश ठाकुर के मामले में चुनाव आयोग क्या फैसला लेता है.

Last Updated : May 21, 2022, 9:17 PM IST
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