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इस बार भी बिना नेता प्रतिपक्ष के चलेगा विधानसभा का सत्र! जानिए कहां फंसा हैं पेंच

पिछले तकरीबन डेढ साल से झारखंड विधानसभा की कार्यवाही बिना नेता प्रतिपक्ष के ही चल रही है. इस बार भी सदन में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी खाली दिखाई पड़ेगी. बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष बनाने पर तकरार जारी है. इस तकरार के पीछे की वजह कानूनी अड़चन से ज्यादा राजनीतिक पेंच है.

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Published : Feb 25, 2021, 8:21 PM IST

Updated : Feb 25, 2021, 10:38 PM IST

रांची: 26 फरवरी से विधानसभा का बजट सत्र शुरु होने वाला है. लेकिन अब तक बाबूलाल मरांडी के बीजेपी विधायक दल के नेता को लेकर विधानसभा अध्यक्ष के न्यायधिकरण मामला लंबित है. लिहाजा इस बार भी विधानसभा का सत्र बिना नेता प्रतिपक्ष के ही चलेगा.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें- हंगामेदार हो सकता है झारखंड विधानसभा का बजट सत्र, दोनों पक्ष बना रहे हैं रणनीति

कैसे फंसा पेंच

दरअसल, विधानसभा चुनाव 2019 में बाबूलाल की पार्टी जेवीएम को तीन सीटें मिली.. चुनाव के बाद बाद बाबूलाल मरांडी ने अमित शाह की मौजूदगी में अपनी पार्टी जेवीएम का विलय बीजेपी में करा दिया, और उन्हें बीजेपी विधायक दल का नेता घोषित किया गया. लेकिन उनकी पार्टी के दो विधायक प्रदीप यादव और बंधु तिर्की बीजेपी में नहीं गए. ये दोनों विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए. प्रदीप यादव विधायक दल के नेता थे, लिहाजा उन्होंने दावा किया कि जेवीएम का विलय कांग्रेस में हुआ है. पेंच यहीं फंस गया. वैसे तो चुनाव आयोग ने मान लिया है कि जेवीएम का बीजेपी में विलय हो गया है, लेकिन मामला विधानसभा में अटका हुआ है. फिलहाल विधानसभा अध्यक्ष के न्यायाधिकरण में मामले की सुनवाई हो रही है.

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गृह मंत्री अमित शाह के साथ बाबूलाल मरांडी (फाइल)

ये भी पढ़ें- बजट सत्र की तैयारी को लेकर स्पीकर ने अधिकारियों पर जताई नाराजगी, सदन में पूछे जा रहे प्रश्नों का नहीं मिला जवाब

स्पीकर को पत्र

इधर, बीजेपी नेता बिरंची नारायण ने स्पीकर को पत्र लिखकर कहा है कि प्रदीप यादव और बंधु तिर्की को कांग्रेस विधायक मान लें और बाबूलाल मरांडी को भाजपा विधायक के रुप में मान्यता दे दें. हालांकि बाबूलाल मरांडी ने अपनी पार्टी बीजेपी को इस मुद्दे पर सदन की कार्यवाही में किसी तरह का व्यवधान नहीं पहुंचाने का आग्रह किया है. 27 फरवरी यानी शनिवार को भाजपा विधायक दल की बैठक में पार्टी बजट सत्र को लेकर रणनीति बनायेगी. इस बैठक में ही बाबूलाल मरांडी के आग्रह पर निर्णय लिया जायेगा. इसके अलावे बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष बनाने में आ रही अड़चन पर भी बैठक में विकल्प की तलाश की जायेगी.

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विधानसभा अध्यक्ष रवींद्र नाथ महतो

ये भी पढ़ें- झारखंड विधानसभा अध्यक्ष ने नैतिक शिक्षा को बताया जरूरी, स्कूल में बेहतर पढ़ाई पर दिया जाएगा जो

कोई दूसरा हो बीजेपी का नेता

सत्तारूढ़ दल कांग्रेस,जेएमएम और राजद द्वारा लगातार बाबूलाल मरांडी को छोड़कर किसी अन्य को नेता प्रतिपक्ष का नाम देने का बीजेपी से मांग करती रही है. कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने एक बार फिर बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा है कि क्या बीजेपी के पास बाबूलाल के सिवा कोई और नेता नहीं हैं. बहरहाल राजनीतिक उठापटक के अलावे कानूनी पेंच में कुछ इस तरह उलझ गया है जहां से बाबूलाल को नेता प्रतिपक्ष बनने का रास्ता आसान होता हुआ नहीं दिख रहा है.

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विधानसभा में बाबूलाल मरांडी (फाइल)

ऐसे समझें पूरा मामला

2 मई 2006 : बाबूलाल मरांडी भारतीय जनता पार्टी से अलग हो गए

24 सितंबर 2006 : झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) पार्टी का गठन

11 जून 2009 : चुनाव आयोग ने जेवीएम को राज्यस्तरीय दल के रूप में मान्यता दी

24 जुलाई 2009 : चुनाव आयोग ने जेवीएम को कंघी चुनाव चिह्न आंवटित किया

11 फरवरी 2020 : जेवीएम की केंद्रीय कार्यसमिति की बैठक में विलय का प्रस्ताव

17 फरवरी 2020 : जेवीएम का भारतीय जनता पार्टी में विलय का एलान

24 फरवरी 2020 : बाबूलाल मरांडी बीजेपी विधायक दल के नेता चुने गए

6 मार्च 2020 : जेवीएम के बीजेपी में विलय को निर्वाचन आयोग ने मंजूरी दी

20 अगस्त 2020 : विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो ने दसवीं अनुसूची के दलबदल कानून के प्रावधानों के तहत बाबूलाल मरांडी, प्रदीप यादव और बंधु तिर्की को नोटिस भेजा

12 नवंबर 2020 : स्पीकर के न्यायाधिकरण की ओर से जारी नोटिस को हाइकोर्ट में चुनौती

17 दिसंबर 2020 : झारखंड हाईकोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष के नोटिस पर तत्काल अंतरिम रोक लगा दी

17 दिसंबर 2020 : विधानसभा अध्यक्ष ने जेएमएम के एक विधायक की शिकायत के आधार पर बाबूलाल को फिर नोटिस भेजा.

रांची: 26 फरवरी से विधानसभा का बजट सत्र शुरु होने वाला है. लेकिन अब तक बाबूलाल मरांडी के बीजेपी विधायक दल के नेता को लेकर विधानसभा अध्यक्ष के न्यायधिकरण मामला लंबित है. लिहाजा इस बार भी विधानसभा का सत्र बिना नेता प्रतिपक्ष के ही चलेगा.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें- हंगामेदार हो सकता है झारखंड विधानसभा का बजट सत्र, दोनों पक्ष बना रहे हैं रणनीति

कैसे फंसा पेंच

दरअसल, विधानसभा चुनाव 2019 में बाबूलाल की पार्टी जेवीएम को तीन सीटें मिली.. चुनाव के बाद बाद बाबूलाल मरांडी ने अमित शाह की मौजूदगी में अपनी पार्टी जेवीएम का विलय बीजेपी में करा दिया, और उन्हें बीजेपी विधायक दल का नेता घोषित किया गया. लेकिन उनकी पार्टी के दो विधायक प्रदीप यादव और बंधु तिर्की बीजेपी में नहीं गए. ये दोनों विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए. प्रदीप यादव विधायक दल के नेता थे, लिहाजा उन्होंने दावा किया कि जेवीएम का विलय कांग्रेस में हुआ है. पेंच यहीं फंस गया. वैसे तो चुनाव आयोग ने मान लिया है कि जेवीएम का बीजेपी में विलय हो गया है, लेकिन मामला विधानसभा में अटका हुआ है. फिलहाल विधानसभा अध्यक्ष के न्यायाधिकरण में मामले की सुनवाई हो रही है.

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गृह मंत्री अमित शाह के साथ बाबूलाल मरांडी (फाइल)

ये भी पढ़ें- बजट सत्र की तैयारी को लेकर स्पीकर ने अधिकारियों पर जताई नाराजगी, सदन में पूछे जा रहे प्रश्नों का नहीं मिला जवाब

स्पीकर को पत्र

इधर, बीजेपी नेता बिरंची नारायण ने स्पीकर को पत्र लिखकर कहा है कि प्रदीप यादव और बंधु तिर्की को कांग्रेस विधायक मान लें और बाबूलाल मरांडी को भाजपा विधायक के रुप में मान्यता दे दें. हालांकि बाबूलाल मरांडी ने अपनी पार्टी बीजेपी को इस मुद्दे पर सदन की कार्यवाही में किसी तरह का व्यवधान नहीं पहुंचाने का आग्रह किया है. 27 फरवरी यानी शनिवार को भाजपा विधायक दल की बैठक में पार्टी बजट सत्र को लेकर रणनीति बनायेगी. इस बैठक में ही बाबूलाल मरांडी के आग्रह पर निर्णय लिया जायेगा. इसके अलावे बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष बनाने में आ रही अड़चन पर भी बैठक में विकल्प की तलाश की जायेगी.

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विधानसभा अध्यक्ष रवींद्र नाथ महतो

ये भी पढ़ें- झारखंड विधानसभा अध्यक्ष ने नैतिक शिक्षा को बताया जरूरी, स्कूल में बेहतर पढ़ाई पर दिया जाएगा जो

कोई दूसरा हो बीजेपी का नेता

सत्तारूढ़ दल कांग्रेस,जेएमएम और राजद द्वारा लगातार बाबूलाल मरांडी को छोड़कर किसी अन्य को नेता प्रतिपक्ष का नाम देने का बीजेपी से मांग करती रही है. कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने एक बार फिर बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा है कि क्या बीजेपी के पास बाबूलाल के सिवा कोई और नेता नहीं हैं. बहरहाल राजनीतिक उठापटक के अलावे कानूनी पेंच में कुछ इस तरह उलझ गया है जहां से बाबूलाल को नेता प्रतिपक्ष बनने का रास्ता आसान होता हुआ नहीं दिख रहा है.

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विधानसभा में बाबूलाल मरांडी (फाइल)

ऐसे समझें पूरा मामला

2 मई 2006 : बाबूलाल मरांडी भारतीय जनता पार्टी से अलग हो गए

24 सितंबर 2006 : झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) पार्टी का गठन

11 जून 2009 : चुनाव आयोग ने जेवीएम को राज्यस्तरीय दल के रूप में मान्यता दी

24 जुलाई 2009 : चुनाव आयोग ने जेवीएम को कंघी चुनाव चिह्न आंवटित किया

11 फरवरी 2020 : जेवीएम की केंद्रीय कार्यसमिति की बैठक में विलय का प्रस्ताव

17 फरवरी 2020 : जेवीएम का भारतीय जनता पार्टी में विलय का एलान

24 फरवरी 2020 : बाबूलाल मरांडी बीजेपी विधायक दल के नेता चुने गए

6 मार्च 2020 : जेवीएम के बीजेपी में विलय को निर्वाचन आयोग ने मंजूरी दी

20 अगस्त 2020 : विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो ने दसवीं अनुसूची के दलबदल कानून के प्रावधानों के तहत बाबूलाल मरांडी, प्रदीप यादव और बंधु तिर्की को नोटिस भेजा

12 नवंबर 2020 : स्पीकर के न्यायाधिकरण की ओर से जारी नोटिस को हाइकोर्ट में चुनौती

17 दिसंबर 2020 : झारखंड हाईकोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष के नोटिस पर तत्काल अंतरिम रोक लगा दी

17 दिसंबर 2020 : विधानसभा अध्यक्ष ने जेएमएम के एक विधायक की शिकायत के आधार पर बाबूलाल को फिर नोटिस भेजा.

Last Updated : Feb 25, 2021, 10:38 PM IST
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