रांची: राजधानी से सटे पिठोरिया गांव में गर्मी का मौसम आते ही लोगों में पीने के पानी को लेकर हाहाकार मच जाता है. इसी पानी की किल्लत को दूर करने को लेकर पेयजल और स्वच्छता विभाग की ओर से करोड़ों की लागत से जलमीनार का निर्माण करावाया गया. जिसका उद्घाटन झारखंड सरकार और विभाग के मंत्री की ओर से किया गया. पिठोरिया गांव में पाइप लाइन से जलापूर्ति हो इसको लेकर जलमीनार को जुमार नदी से जोड़ा गया है. जिसके जरिए पानी सप्लाई का कार्य किया जाता है.
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गंदें पानी की सप्लाई
जलमीनार के बनने से ग्रामीणों में खुशी का माहौल था. एक उम्मीद जगी थी कि अब गांव में पानी की किल्लत खत्म हो जाएगी. लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. लोगों की पानी की समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है और सरकार की ओर से बनाया गया जलमीनार हाथी का दांत बना हुआ है. हालांकि कुछ दिन पहले 1 दिन छोड़ दूसरे दिन जलमीनार से पूरे गांव में पानी की सप्लाई की जाती थी. लेकिन वो भी पूरी तरह से गंदा पानी जो ना तो नहाने, ना ही खाना बनाने और ना ही जानवरों को पिलाने के काम आ सकता है. लेकिन पिछले 6-7 दिनों से इस पानी की सप्लाई गांव में होना बंद है. जिसके कारण ग्रामीणों को इधर-उधर भटकना पड़ रहा है और पानी की व्यवस्था करनी पड़ रही है.
मुखिया भी नहीं कर रहे कार्रवाई
पेयजल स्वच्छता विभाग की ओर से बनवाया गया करोड़ों की लागत का जलमीनार विफल होता नजर आ रहा है. ग्रामीणों का कहना है ऑपरेटर से बात करने पर उन्होंने कहा अगल-बगल के गांव वाले नदी में मछली पकड़ रहे थे. जिसके कारण पूरा पानी गंदा हो चुका है. जिसके कारण अभी पानी का सप्लाई नहीं दिया जा रहा है और आगे कुछ दिनों तक नहीं दिया जाएगा. जल मीनार से की जा रही जलापूर्ति से पूरे गांववासी असंतुष्ट हैं. जल सहिया समिति इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है. दुर्भाग्य की बात है कि गांव के मुखिया को सूचना मिलने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई.
पानी को तरस रहे ग्रामीण
ग्रामीणों का कहना है कि ऑपरेटर अपनी मनमानी से पानी की सप्लाई करता है. इंजीनियर को भी इसको लेकर कई बार शिकायत की गई है, लेकिन इंजीनियर इस ओर किसी भी प्रकार का कोई ध्यान नहीं देता है. हमलोगों को पानी के लिए तरसना पड़ रहा है. जल आपूर्ति को लेकर इंजीनियर कभी भी फील्ड में निरीक्षण नहीं करने आते हैं.