रांची: सरकार स्वच्छ भारत बनाने और जल संचयन के लिए कई प्रयास कर रही है. सरकार के इन प्रयासों को रांची के लोगों ने भी साकार करने की कोशिश की है. दरअसल, रांची के ग्रामीण इलाके में सुमार पिठोरिया के मधु साहू की टोली के कुछ ग्रामीण जल संचयन और स्वच्छता अभियान की मिसाल पेश कर रहे हैं.
भूमिगत होते तालाब को देख ग्रामीणों ने उठाया यह कदम
रांची के सुमार पिठोरिया में समय के साथ जैसे-जैसे विकास कार्यों में इजाफा हुआ, वैसे-वैसे सड़क और कॉन्क्रीट के जंगल बढ़ते गए. पानी की कमी से इलाके का नया तालाब भूमीगत होने लगा. गर्मी के मौसम में तालाब सूखने की कगार पर पहुंच गया. इसे देखते हुए कुछ ग्रामीण इस तालाब को बचाने के लिए आगे आए और अपनी कोशिशों से तालाब की तकदीर ही बदलकर रख दी.
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तालाब में कैसे भरा पानी
नया तालाब में पानी कम होता देख इस टोली के सदस्यों ने बरसात के दौरान सड़क के बगल से बहने वाले पानी को तालाब की ओर मोड़ दिया. जेसीबी से गड्ढा बनाकर बारिश के पानी को एक जगह रोका और उस पानी को मोटर पंप के सहारे तालाब तक पहुंचाया. आज आलम यह है कि जो तालाब कभी पानी की कमी झेल रहा था वो अब लबालब भर चुका है.
तालाब को स्वच्छ बनाने की भी कर रहे कोशिश
ग्रमीणों की इस टोली ने न सिर्फ यहां के एक सूखे तालाब को पानी से लबालब भर दिया है बल्कि तालाब को गंदा करने की कोशिश करने वालों को आगाह भी करते रहते हैं. इसके लिए टोली के सदस्य 12 टीमों में बंटकर काम करते हैं. साल के सभी दिन चौबीसों घंटे ये टीम नया तालाब और उसके आस-पास पहरेदारी करते हैं, ताकि कोई यहां गंदगी न फैलाये. दरअसल, इस गांव के करीब हर घर में शौचालय है फिर भी कुछ लोग आदत से लाचार होकर शौच के लिए बाहर निकलते हैं और तालाब के पानी को गंदा करने की कोशिश करते हैं. ऐसे लोगों से निपटने के लिए ग्रामीणों ने यह मुहिम चलाई है.
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लोगों का मिल रहा है भरपूर सहयोग
बुजुर्गों की सामाजिक संगठन के इन लोगों के टोली के किये जा रहे कार्य का लोगों का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है. धीरे-धीरे इन लोगों का कारवां बढ़ता जा रहा है और लोग जल संचयन के साथ साथ पिठोरिया में स्वच्छता अभियान को सफल बनाने के प्रयास में लग गए हैं.
पिठोरिया में है पानी की किल्लत
रांची से 16 किलोमीटर दूर पिठोरिया में पानी की भारी किल्लत है. गर्मी का मौसम शुरू होते ही यहां के तमाम चापाकल ठप हो जाते हैं. यहां कई तालाब भी हैं जो सूख जाते हैं. अभाव का जब दौर शुरू होता है तब लोग प्रशासन को कोसते हैं लेकिन अपने स्तर से जल संचयन की कोशिश नहीं करते. लेकिन अब पिठोरिया के ग्रामीण अपने स्तर से जल संचयन कर अन्य लोगों के लिए मिसाल पेश कर रहे हैं.