रांची: झारखंड एकेडमिक काउंसिल के उपाध्यक्ष फूल सिंह को सरकार की ओर से कार्यकाल के दौरान हटाए जाने को लेकर चुनौती देने वाली याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद झारखंड सरकार का आदेश गलत माना है.
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सुनवाई में क्या हुआ?
कोर्ट ने राज्य सरकार के आदेश को रद्द कर फूल सिंह को सभी तरह के बेनिफिट देने का आदेश दिया है. झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश डॉ. एसएन पाठक(Jharkhand High Court Judge Dr SN Pathak ) की अदालत में जैक उपाध्यक्ष फूल सिंह को कार्यकाल के दौरान सरकार की ओर से हटा दिया गया था. फूल सिंह ने सरकार के इस आदेश को झारखंड हाईकोर्ट में चुनौती दी. उसी याचिका पर अदालत में सुनवाई हुई. न्यायाधीश ने अपने आवासीय कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले पर सुनवाई की. वहीं याचिकाकर्ता के अधिवक्ता और प्रार्थी के अधिवक्ता अपने-अपने आवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े और अपना पक्ष रखा. अदालत ने मामले में दोनों पक्षों के दलील को सुना. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि सरकार की ओर से प्रार्थी को हटाया जाना गलत है. नियमानुसार जब एक बार नियुक्त कर दिया जाता है, तो उसे कार्यकाल के बीच में नहीं हटाया जा सकता है. सरकार की ओर से कहा गया कि नई सरकार अगर चाहे तो उसे हटा सकती है.
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2018 में हुई थी उपाध्यक्ष की नियुक्ति
झारखंड एकेडमिक काउंसिल में फूल सिंह को 15 सितंबर 2018 को उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था. उपाध्यक्ष का कार्यकाल 3 साल का होता है, लेकिन उससे पहले ही 3 सितंबर 2020 को उन्हें उपाध्यक्ष पद से हटाने का आदेश दिया गया. राज्य सरकार के इसी आदेश को झारखंड हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. उसी याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आदेश को रद्द कर उन्हें सभी प्रकार के लाभ देने का आदेश दिया है. फुल सिंह धनबाद के राजकमल शिशु मंदिर के प्राचार्य थे. उन्हें हटाकर डोरंडा कॉलेज के इतिहास विभाग के शिक्षक डॉक्टर शंकर लाल को उपाध्यक्ष बनाया गया है.