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रांची में हुआ वत्सल कार्यक्रम का आयोजन, केंद्रीय मंत्री के साथ बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष हुए शामिल - राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग

झारखंड की राजधानी में बच्चों की सुरक्षा और कानून को लेकर वत्सल कार्यक्रम का आयोजन हुआ. इस दौरान केंद्रीय मंत्री के साथ ही राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष भी मौजूद रहे. कार्यक्रम में बच्चों से जुड़े कानूनों पर चर्चा की गई.

Vatsal program in ranchi
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Published : Jul 30, 2023, 10:07 PM IST

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रांची: महिला एवं बाल विकास विभाग के द्वारा झारखंड की राजधानी रांची में वत्सल कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में महिला बाल विकास विभाग के केंद्रीय राज्य मंत्री मुंजपारा महेंद्र भाई मौजूद रहें. इसके अलावा राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष और राज्य बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे.

यह भी पढ़ें: Priyank Kanoongo in Ranchi: राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष ने किया बाल गृह का निरीक्षण, अव्यवस्था पर जताई नाराजगी

कार्यक्रम में आए लोगों को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आने के बाद बच्चों से जुड़े कानून में कई परिवर्तन लाए गए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासनकाल में बच्चों के जीवन में सुधार लाने के लिए जुवेनाइल एक्ट, पोक्सो एक्ट सहित कई कानूनों में कई परिवर्तन किए गए हैं. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का सपना है कि इस कार्यक्रम के तहत देश का एक भी बच्चा मूलभूत सुविधाओं से वंचित नहीं रहना चाहिए. उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य सहित अन्य सभी सुविधाएं उन्हें मिले यह सरकार की प्राथमिकता है.

400 सालों बाद बना ऐसा कठोर नियम: वहीं कार्यक्रम में मौजूद राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम के माध्यम से देश के बच्चों का भविष्य बेहतर बन सकेगा. भारत सरकार बच्चों के बेहतर भविष्य को बनाने के लिए और उन्हें सुरक्षित रखने के लिए संवेदनशील है.

उन्होंने कहा कि भारत में बच्चों के साथ यौनाचार करने वाले आरोपियों को मृत्युदंड दी जाएगी. यह नियम पहली बार लाया जा रहा है. अब तक की सरकार बच्चों के साथ यौनाचार को लेकर गंभीर नहीं थी, लेकिन वर्तमान में भारत सरकार ने 400 सालों बाद ऐसे कठोर नियम लाकर बच्चों को सुरक्षित रखने की पहल की है. उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम से लोगों को जागरूक किया जाएगा, ताकि आने वाले दिनों में देश के बच्चे खुद को सुरक्षित महसूस कर सकें.

संस्थाओं ने रखी अपनी बात: इस कार्यक्रम के दौरान मुख्य रूप से विचार किया गया कि देश के भविष्य को बचाने के लिए जो नियम बनाए गए हैं. उसमें क्या सुधार करना है और किसे बरकरार रखना है. इसी को लेकर बिहार, झारखंड, ओडिशा और बंगाल से आए सभी बच्चों को मदद करने वाली सभी संस्थाओं ने हिस्सा लिया और केंद्रीय मंत्री और आयोग के अध्यक्ष के समक्ष अपनी बात रखी.

अडॉप्टेशन पॉलिसी पर भी हुई चर्चा: वहीं कार्यक्रम में बच्चों को अडॉप्ट करने की पॉलिसी को लेकर भी चर्चा की गई. सरकार के नए नियमावली के तहत अडॉप्ट करने वाले कई अभिभावक कार्यक्रम में पहुंचे और पॉलिसी को बेहतर बताते हुए उसकी प्रशंसा की. एक दंपति ने कहा कि उन्हें किसी भी चीज की कमी नहीं थी. धन दौलत के साथ पद और रुतबा भी था, लेकिन उनके घर में एक बच्चे की कमी थी, जिसे उन्होंने अडॉप्ट कर पूरा कर लिया.

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रांची: महिला एवं बाल विकास विभाग के द्वारा झारखंड की राजधानी रांची में वत्सल कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में महिला बाल विकास विभाग के केंद्रीय राज्य मंत्री मुंजपारा महेंद्र भाई मौजूद रहें. इसके अलावा राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष और राज्य बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे.

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कार्यक्रम में आए लोगों को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आने के बाद बच्चों से जुड़े कानून में कई परिवर्तन लाए गए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासनकाल में बच्चों के जीवन में सुधार लाने के लिए जुवेनाइल एक्ट, पोक्सो एक्ट सहित कई कानूनों में कई परिवर्तन किए गए हैं. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का सपना है कि इस कार्यक्रम के तहत देश का एक भी बच्चा मूलभूत सुविधाओं से वंचित नहीं रहना चाहिए. उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य सहित अन्य सभी सुविधाएं उन्हें मिले यह सरकार की प्राथमिकता है.

400 सालों बाद बना ऐसा कठोर नियम: वहीं कार्यक्रम में मौजूद राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम के माध्यम से देश के बच्चों का भविष्य बेहतर बन सकेगा. भारत सरकार बच्चों के बेहतर भविष्य को बनाने के लिए और उन्हें सुरक्षित रखने के लिए संवेदनशील है.

उन्होंने कहा कि भारत में बच्चों के साथ यौनाचार करने वाले आरोपियों को मृत्युदंड दी जाएगी. यह नियम पहली बार लाया जा रहा है. अब तक की सरकार बच्चों के साथ यौनाचार को लेकर गंभीर नहीं थी, लेकिन वर्तमान में भारत सरकार ने 400 सालों बाद ऐसे कठोर नियम लाकर बच्चों को सुरक्षित रखने की पहल की है. उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम से लोगों को जागरूक किया जाएगा, ताकि आने वाले दिनों में देश के बच्चे खुद को सुरक्षित महसूस कर सकें.

संस्थाओं ने रखी अपनी बात: इस कार्यक्रम के दौरान मुख्य रूप से विचार किया गया कि देश के भविष्य को बचाने के लिए जो नियम बनाए गए हैं. उसमें क्या सुधार करना है और किसे बरकरार रखना है. इसी को लेकर बिहार, झारखंड, ओडिशा और बंगाल से आए सभी बच्चों को मदद करने वाली सभी संस्थाओं ने हिस्सा लिया और केंद्रीय मंत्री और आयोग के अध्यक्ष के समक्ष अपनी बात रखी.

अडॉप्टेशन पॉलिसी पर भी हुई चर्चा: वहीं कार्यक्रम में बच्चों को अडॉप्ट करने की पॉलिसी को लेकर भी चर्चा की गई. सरकार के नए नियमावली के तहत अडॉप्ट करने वाले कई अभिभावक कार्यक्रम में पहुंचे और पॉलिसी को बेहतर बताते हुए उसकी प्रशंसा की. एक दंपति ने कहा कि उन्हें किसी भी चीज की कमी नहीं थी. धन दौलत के साथ पद और रुतबा भी था, लेकिन उनके घर में एक बच्चे की कमी थी, जिसे उन्होंने अडॉप्ट कर पूरा कर लिया.

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