रांची: राजधानी के हेसल पिस्का मोड पर आदिवासी समाज के विभिन्न संगठनों ने सरना धर्म कोड लागू कराने को लेकर बैठक की. बैठक की अध्यक्षता आदिवासी सेना अध्यक्ष शिवा कच्छप और संचालन संजय तिर्की ने की.
सरना धर्म कोड का प्रस्ताव पारित
बैठक में इस बात पर सहमति बनी की प्रकृति पुजारी सरना का पूजा करते हैं, इसलिए सरना धर्म कोड उचित है. उनलोगों ने आदिवासी धर्म कोड की मांग को खारिज किया और सर्वसहमति से सरना धर्म कोड का प्रस्ताव पारित किया. सरना धर्म कोड की मांग को लेकर अंदोलन को व्यापक रूप देने के लिए झारखंड, ओडिशा, बंगाल, छत्तीसगढ़, बिहार, मध्यप्रदेश और अन्य राज्यों का सघन दौरा किया जाएगा, ताकि इसे देशव्यापी स्वरूप मिल सके.
ये भी पढ़ें-कोलकाता से साइबर अपराधी राहुल केशरी गिरफ्तार, ठगी कर बनाई करोड़ों की संपत्ति
संगोष्ठी का आयोजन
आदिवासी सेना अध्यक्ष शिवा कच्छप ने कहा कि आदिवासी समाज को समाप्त करने की साजिश रची जा रही है. आखिर भारत के इतनी अधिक अबादी को कैसे धर्म कोड से बाहर रखा गया है. यह धर्म कोड एक धार्मिक पहचान देता है. उन्होंने बताया कि पूरे भारत में आदिवासियों की संख्य 17 करोड़ है. उनके आस्तित्व का क्या होगा. राज्य सरकार की विशेष सत्र बुलाने का तिथी की घोषणा स्वागत योग है. 7 नवंबर को सभी समाजिक संगठनों के प्रतिनिधीयों के साथ संगोष्ठी का आयोजन होगा.
वहीं, अगुवा संजय तिर्की ने कहा कि सरना धर्म कोड उनलोगों के अस्तित्व की पहचान है और वो इसे मिटने नहीं देंगे. इसे हर हाल में लेकर रहेंगे. इस बैठक में मुख्य रूप से सती तिर्की, अनिता गाडी, मंटू तिर्की, सुभाष गाडी, अनिल तिर्की, गुड्डू तिर्की, नंदू तिर्की, शंकर तिर्की, अन्नु मुंडा, बितो तिर्की, रीना उरांव, शोभा तिर्की और काली तिर्की शामिल रहे.