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यूपीएससी टॉपर शुभम कुमार से खास बातचीत, कहा- होनहार छात्रों को सरकार से मिलना चाहिए इंस्टीट्यूशनल सपोर्ट - झारखंड खबर

रांची में यूपीएससी टॉपर शुभम कुमार ने छात्रों के साथ अपने अनुभव साझा किया. इस दौरान उन्होंने बताया कि किस तरह से वो इस मुकाम तक पहुंचे और आगे क्या क्या करना चाहते हैं?

UPSC topper Shubham Kumar
UPSC topper Shubham Kumar
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Published : Dec 1, 2021, 6:41 PM IST

Updated : Dec 1, 2021, 11:06 PM IST

रांची: संघ लोक सेवा आयोग यानी UPSC के सिविल सेवा परीक्षा 2020 के यूपीएससी टॉपर शुभम कुमार ने आईएएस बनने का सपना देखने वाले छात्रों के साथ अपना अनुभव साझा किया. रांची के आर्यभट्ट सभागार में आयोजित कार्यक्रम के दौरान उन्होंने बताया कि लक्ष्य तक पहुंचने के लिए सेल्फ कॉन्फिडेंस और डेडिकेशन का होना बेहद जरूरी है.

ये भी पढ़ें- ईटीवी भारत से बोले UPSC 2020 टॉपर शुभम कुमार- ये अभी शुरुआत है

कटिहार के कदवा प्रखंड के कुम्हरी गांव से निकलकर आईआईटी, मुम्बई तक का सफर तय करने के बाद शुभम ने खुद में एक इंजीनियर की जगह प्रशासक को पाया. फिर लक्ष्य को साधने में जुट गए और तीन कोशिशों के बाद उन्हें यह मुकाम हासिल हुआ. रांची में यूपीएससी टॉपर शुभम कुमार से हमारे ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह ने कई मसलों पर बातचीत की.

यूपीएससी टॉपर शुभम कुमार से खास बातचीत

सवाल - इतने प्रतिष्ठित संस्थान से इंजीनियर बनने के बावजूद सिविल सेवा को क्यों चुना. एक बेहतर इंजीनियर की भी भूमिका निभा सकते थे.

जवाब - इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद इंटर्नशिप के दौरान मुझे एहसास हुआ कि अगर मैं कोर इंजीनियरिंग के फिल्ड में गया तो मेरी प्रतिभा निखरकर सामने नहीं आ पाएगी. क्योंकि कहीं न कहीं मेरा झुकाव एडमिनिश्ट्रेशन की तरफ था. इसलिए मैंने सिविल सेवा को चुना. यह भावना कॉलेज के दिनों में ही दिमाग में बैठ गई थी. मुझे जनसेवा में सुकून दिखता है. वैसे मेरी इंजीनियरिंग का नॉलेज एक लोक सेवक के रूप में भी काम आएगा.

सवाल - यूपीएससी टॉपर को युवा फॉलो करते हैं. लेकिन यही टॉपर अपनी सेवा के दौरान काम के मामले में टॉप पर क्यों नहीं दिखते.

जवाब - आईएएस सर्विस एनोनीमिटी प्रिंसिपल पर काम करती है. देश में जो भी परिवर्तन दिख रहे हैं उसमें कहीं न कहीं आईएएस अफसकों की अहम भूमिका है. कोविड काल के दौरान इस बात को सबने देखा भी है. कैसे विपरित हालात में भी आईएएस अफसरों ने अपने-अपने स्तर से व्यवस्था को बनाए रखने में भूमिका निभायी. हमारी भी कोशिश होगी कि बतौर एक आईएएस अपना सौ फीसदी दे सकूं.

सवाल - आप एक छोटे से गांव से निकलकर इस मुकाम तक पहुंचे हैं. क्या आप गांवों के होनहार गरीब छात्रों को उनके सपने पूरे करने के लिए कोई प्लेटफॉर्म तैयार करना चाहेंगे.

जवाब - मैं जिस भी रोल में रहूंगा, छात्रों के संपर्क में रहूंगा. सिर्फ यूपीएससी के लिए ही नहीं उनके करियर गाईडेंस में भी सपोर्ट करूंगा. मेरे मानना है कि ऐसे बच्चों के लिए सरकार की तरफ से इंस्टीट्यूशनल सपोर्ट मिलना चाहिए.

बेहद शांत, सौम्य और मृदुभाषी स्वभाव के शुभम को सुनने के लिए रांची का आर्यभट्ट सभागार छात्र-छात्राओं से खचाखच भरा हुआ था. इस दौरान 2010 बैच के आईएएस राजीव रंजन ने छात्रों से अपना अनुभव साझा किया. उन्होंने कहा कि यह सोचना कि एकेडमिक में मेरिट में रहने वाले ही आईएएस बनते हैं, यह बिल्कुल गलत धारना है.

रांची के सिटी एसपी सौरभ कुमार ने छात्रों से कहा कि उनकी पढ़ाई एक सामान्य स्कूल और कॉलेज में हुई. लेकिन जीवन के एक पड़ाव पर ऐसा लगा कि यूपीएससी क्रैक करना है. इसलिए डेडिकेशन के साथ पढ़ाई में जुट गया और सफलता हासिल की. आपको बता दें कि इस सेमिनार को आयोजित कराने में नेशनल एसोसिएशन ऑफ सिविल सर्वेंट, रांची विश्वविद्यालय और जिला प्रशासन ने अहम भूमिका निभाई.

रांची: संघ लोक सेवा आयोग यानी UPSC के सिविल सेवा परीक्षा 2020 के यूपीएससी टॉपर शुभम कुमार ने आईएएस बनने का सपना देखने वाले छात्रों के साथ अपना अनुभव साझा किया. रांची के आर्यभट्ट सभागार में आयोजित कार्यक्रम के दौरान उन्होंने बताया कि लक्ष्य तक पहुंचने के लिए सेल्फ कॉन्फिडेंस और डेडिकेशन का होना बेहद जरूरी है.

ये भी पढ़ें- ईटीवी भारत से बोले UPSC 2020 टॉपर शुभम कुमार- ये अभी शुरुआत है

कटिहार के कदवा प्रखंड के कुम्हरी गांव से निकलकर आईआईटी, मुम्बई तक का सफर तय करने के बाद शुभम ने खुद में एक इंजीनियर की जगह प्रशासक को पाया. फिर लक्ष्य को साधने में जुट गए और तीन कोशिशों के बाद उन्हें यह मुकाम हासिल हुआ. रांची में यूपीएससी टॉपर शुभम कुमार से हमारे ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह ने कई मसलों पर बातचीत की.

यूपीएससी टॉपर शुभम कुमार से खास बातचीत

सवाल - इतने प्रतिष्ठित संस्थान से इंजीनियर बनने के बावजूद सिविल सेवा को क्यों चुना. एक बेहतर इंजीनियर की भी भूमिका निभा सकते थे.

जवाब - इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद इंटर्नशिप के दौरान मुझे एहसास हुआ कि अगर मैं कोर इंजीनियरिंग के फिल्ड में गया तो मेरी प्रतिभा निखरकर सामने नहीं आ पाएगी. क्योंकि कहीं न कहीं मेरा झुकाव एडमिनिश्ट्रेशन की तरफ था. इसलिए मैंने सिविल सेवा को चुना. यह भावना कॉलेज के दिनों में ही दिमाग में बैठ गई थी. मुझे जनसेवा में सुकून दिखता है. वैसे मेरी इंजीनियरिंग का नॉलेज एक लोक सेवक के रूप में भी काम आएगा.

सवाल - यूपीएससी टॉपर को युवा फॉलो करते हैं. लेकिन यही टॉपर अपनी सेवा के दौरान काम के मामले में टॉप पर क्यों नहीं दिखते.

जवाब - आईएएस सर्विस एनोनीमिटी प्रिंसिपल पर काम करती है. देश में जो भी परिवर्तन दिख रहे हैं उसमें कहीं न कहीं आईएएस अफसकों की अहम भूमिका है. कोविड काल के दौरान इस बात को सबने देखा भी है. कैसे विपरित हालात में भी आईएएस अफसरों ने अपने-अपने स्तर से व्यवस्था को बनाए रखने में भूमिका निभायी. हमारी भी कोशिश होगी कि बतौर एक आईएएस अपना सौ फीसदी दे सकूं.

सवाल - आप एक छोटे से गांव से निकलकर इस मुकाम तक पहुंचे हैं. क्या आप गांवों के होनहार गरीब छात्रों को उनके सपने पूरे करने के लिए कोई प्लेटफॉर्म तैयार करना चाहेंगे.

जवाब - मैं जिस भी रोल में रहूंगा, छात्रों के संपर्क में रहूंगा. सिर्फ यूपीएससी के लिए ही नहीं उनके करियर गाईडेंस में भी सपोर्ट करूंगा. मेरे मानना है कि ऐसे बच्चों के लिए सरकार की तरफ से इंस्टीट्यूशनल सपोर्ट मिलना चाहिए.

बेहद शांत, सौम्य और मृदुभाषी स्वभाव के शुभम को सुनने के लिए रांची का आर्यभट्ट सभागार छात्र-छात्राओं से खचाखच भरा हुआ था. इस दौरान 2010 बैच के आईएएस राजीव रंजन ने छात्रों से अपना अनुभव साझा किया. उन्होंने कहा कि यह सोचना कि एकेडमिक में मेरिट में रहने वाले ही आईएएस बनते हैं, यह बिल्कुल गलत धारना है.

रांची के सिटी एसपी सौरभ कुमार ने छात्रों से कहा कि उनकी पढ़ाई एक सामान्य स्कूल और कॉलेज में हुई. लेकिन जीवन के एक पड़ाव पर ऐसा लगा कि यूपीएससी क्रैक करना है. इसलिए डेडिकेशन के साथ पढ़ाई में जुट गया और सफलता हासिल की. आपको बता दें कि इस सेमिनार को आयोजित कराने में नेशनल एसोसिएशन ऑफ सिविल सर्वेंट, रांची विश्वविद्यालय और जिला प्रशासन ने अहम भूमिका निभाई.

Last Updated : Dec 1, 2021, 11:06 PM IST
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