रांची: साल 2019 के लोकसभा चुनाव में झारखंड ने नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी को निराश नहीं किया था और तब राज्य की 14 में से 12 लोकसभा सीट एनडीए (11 भाजपा + 1आजसू) की झोली में गया था. उस समय राज्य की दो लोकसभा सीटें सिंहभूम और राजमहल में भाजपा क्रमशः कांग्रेस की उम्मीदवार गीता कोड़ा और झारखंड मुक्ति मोर्चा के उम्मीदवार विजय हांसदा से चुनाव हार गई थी.
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अब इन दो सीटों पर कैसे 2024 लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का कमल खिले, इसके लिए भाजपा के चाणक्य ने अपनी रणनीति को धरातल पर उतारना शुरू कर दिया है. नये साल 2023 के जनवरी महीने के पहले सप्ताह में ही, संभवतः 07 जनवरी को अमित शाह पश्चिमी सिंहभूम के चाईबासा आ रहे हैं (Amit Shah Chaibasa visit). जहां वह पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे. अमित शाह के संभावित सिंहभूम दौरे ने राज्य में राजनीतिक बयानबाजी को तेज कर दी है.
भाजपा के छल प्रपंच में नहीं फंसने वाली है राज्य की जनता- कांग्रेस: भारतीय जनता पार्टी के चाणक्य कहे जानेवाले अमित शाह के चाईबासा के संभावित दौरे पर प्रतिक्रिया देते हुए झारखंड कांग्रेस के प्रदेश महासचिव राकेश सिन्हा ने कहा कि अमित शाह या भारतीय जनता पार्टी का कोई भी बड़ा नेता चाईबासा आए या कहीं और, अब राज्य की जनता इनके छल, प्रपंच और षड्यंत्र में फंसने वाली नहीं है. राकेश सिन्हा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश और दिल्ली MCD के नतीजे बताते हैं कि देश की जनता इनको स्वीकार करने की स्थिति में नहीं है. वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडे ने कहा कि झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सरकार ने इतनी बड़ी लकीर खींच दी है कि अमितशाह चाहे लाख कोशिश कर लें इस बार उनका खाता राज्य में नहीं खुलेगा.
'अमित शाह के दौरे की खबर भर से घबराई हुई है कांग्रेस-झामुमो': वहीं भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा ने कहा कि भाजपा के चाणक्य अमित शाह के संभावित चाईबासा दौरे को लेकर कांग्रेस और झामुमो के नेता घबराए हुए हैं, इसलिए घबराहट में ऐसी बयानबाजी कर रहे हैं. प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा ने कहा कि सत्ताधारी दल को राज्य में विधि व्यवस्था की बदतर हालात को सुधारने और राज्य के युवाओं को रोजगार के वादे पूरे करने में ध्यान लगाना चाहिए ना कि अमित शाह के दौरे को लेकर बयानबाजी करनी चाहिए.
अमित शाह के चाईबासा दौरे का मतलब समझिए: साल 2019 में लोकसभा और विधानसभा आम चुनाव में कोल्हान वह इलाका रहा था, जो भाजपा के लिए वाटर लू साबित हुआ था. लोकसभा चुनाव में तो कोल्हान से एक सीट भाजपा की झोली में गयी भी थी, लेकिन विधानसभा चुनाव में पूरे कोल्हान प्रमंडल से ही भारतीय जनता पार्टी का कमोबेश सूपड़ा साफ हो गया था. यहां तक कि तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास भी अपनी सीट नहीं बचा सके थे. कोल्हान में झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और निर्दलीय उम्मीदवार की जीत हुई थी, लेकिन भाजपा का खाता नहीं खुल सका था. ऐसे में अब नए वर्ष में अमित शाह के चाईबासा दौरे से जाहिर है कि एक ओर जहां उनका लक्ष्य सिंहभूम लोकसभा सीट पर जीत की संभावनाओं को पुख्ता करना है तो दूसरी ओर 2019 विधानसभा चुनाव जैसी स्थिति भाजपा की न हो, इसके लिए भी अभी से ही रणनीति बनाने की है. जाहिर है कि ऐसे में झामुमो और कांग्रेस अमितशाह के दौरे को लेकर ज्यादा मुखर इसलिए हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि अगर भाजपा इस इलाके में मजबूत हुई तो सीधा नुकसान कांग्रेस और झामुमो को ही होगा.