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झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र पर अनिश्चितता बरकरार, 23 सितंबर से पहले करना होगा आहूत

झारखंड विधानसभा के पहले मानसून सत्र को लेकर संशय बना हुआ है. मंत्री और विधायकों के कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद अब संसदीय कार्य विभाग इसको लेकर मंथन कर रहा है कि मानसून सत्र बुलाया जाए या नहीं. तकनीकी जानकारों के अनुसार बजट सत्र इस साल 23 मार्च को समाप्त हुआ है. ऐसे में 23 सितंबर तक मानसून सत्र बुलाया जा सकता है.

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विधनसभा सत्र को लेकर संशय
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Published : Aug 21, 2020, 3:05 PM IST

रांची: पंचम झारखंड विधानसभा के पहले मानसून सत्र को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है. प्रदेश में मंत्री और विधायकों में कोरोना संक्रमण पाए जाने के बाद अब संसदीय कार्य विभाग इसको लेकर मंथन कर रहा है कि मानसून सेशन बुलाया जाए या नहीं. संसदीय कार्य विभाग कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रदेश के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के जिम्मे है कि वो सत्र को लेकर क्या फैसला करते हैं. स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के कोरोना संक्रमित होने के बाद अन्य कैबिनेट सहयोगियों की तरह आलमगीर आलम भी फिलहाल होम क्वॉरेंटाइन में हैं.

जानकारी देते संवाददाता



क्या प्रक्रिया होगी मानसून सत्र बुलाने की
मानसून सत्र बुलाने के लिए इससे जुड़ा एक प्रस्ताव संसदीय कार्य विभाग से बढ़ाया जाएगा. उसके बाद राज्य कैबिनेट से उसे पारित कराया जाएगा या फिर उस कैबिनेट की बैठक की प्रत्याशा में घटनोत्तर स्वीकृति लेकर गवर्नर के पास भेजा जाएगा. वहां से सहमति मिलने के बाद विधानसभा सचिवालय उस अवधि को नोटिफाई करेगा. तकनीकी जानकारों के अनुसार बजट सत्र इस साल 23 मार्च को समाप्त हुआ है. ऐसे में 23 सितंबर तक मानसून सत्र बुलाया जा सकता है.


विशाल है नई विधानसभा, लेकिन फिर भी है रिस्क
इस विषय में विभाग का साफ तौर पर दावा है कि सरकार फिलहाल इस तरफ ज्यादा फोकस नहीं कर रही है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि नए विधानसभा भवन में सोशल डिस्टेंसिंग के लिए पर्याप्त जगह तो है, लेकिन वहां सेंट्रलाइज्ड एयरकंडीशनिंग है. ऐसे में एक तरफ जहां सोशल डिस्टेंसिंग तो मेंटेन हो जाएगी, लेकिन एयर कंडीशनिंग की वजह से संक्रमण का खतरा भी बना रहेगा.

कुछ ऐसे हैं पुराने आंकड़े
झारखंड गठन से लेकर अब तक हुए मानसून सत्र की कार्य दिवस पर नजर डालें तो प्रथम झारखंड विधानसभा के दौरान अलग-अलग वर्षों में मानसून सत्र की अवधि सबसे लंबी थी. अलग-अलग वर्षों में कुल मिलाकर 30 दिन का कार्य दिवस मानसून सत्र में बीता, जबकि सबसे कम समय तृतीय झारखंड विधानसभा में मिला, जिसमें 2011 से 2014 के बीच 15 कार्य दिवस मानसून सत्र के लिए आवंटित हुए. वहीं चतुर्थ विधानसभा के दौरान 2015 से 2019 के बीच 29 कार्य दिवस रहा, जबकि द्वितीय झारखंड विधानसभा के दौरान 2006 से 2008 तक 19 कार्य दिवस मानसून सत्र के लिए आवंटित हुए.

इसे भी पढ़ें:- राज्यसभा चुनाव 2016 मामला: निलंबित एडीजी 31अगस्त को डीजीपी के सामने रखेंगे अपना पक्ष


इन विधायकों को झेलना पड़ा संक्रमण
राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार अब तक राज्य में 27000 से अधिक लोगों में कोरोना संक्रमण पाया गया है. वहीं जनप्रतिनिधियों की बात करें तो झारखंड विधानसभा के सदस्यों में भी यह संक्रमण फैला है. सबसे पहले राज्य के पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर कोरोना से संक्रमित हुए. उसके बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता और टुंडी से विधायक मथुरा महतो में भी संक्रमण पाया गया. अन्य संक्रमित विधायकों में बीजेपी के सीपी सिंह, आजसू पार्टी के लंबोदर महतो, आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो और कांग्रेस की दीपिका पांडे सिंह के नाम शामिल हैं.

रांची: पंचम झारखंड विधानसभा के पहले मानसून सत्र को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है. प्रदेश में मंत्री और विधायकों में कोरोना संक्रमण पाए जाने के बाद अब संसदीय कार्य विभाग इसको लेकर मंथन कर रहा है कि मानसून सेशन बुलाया जाए या नहीं. संसदीय कार्य विभाग कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रदेश के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के जिम्मे है कि वो सत्र को लेकर क्या फैसला करते हैं. स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के कोरोना संक्रमित होने के बाद अन्य कैबिनेट सहयोगियों की तरह आलमगीर आलम भी फिलहाल होम क्वॉरेंटाइन में हैं.

जानकारी देते संवाददाता



क्या प्रक्रिया होगी मानसून सत्र बुलाने की
मानसून सत्र बुलाने के लिए इससे जुड़ा एक प्रस्ताव संसदीय कार्य विभाग से बढ़ाया जाएगा. उसके बाद राज्य कैबिनेट से उसे पारित कराया जाएगा या फिर उस कैबिनेट की बैठक की प्रत्याशा में घटनोत्तर स्वीकृति लेकर गवर्नर के पास भेजा जाएगा. वहां से सहमति मिलने के बाद विधानसभा सचिवालय उस अवधि को नोटिफाई करेगा. तकनीकी जानकारों के अनुसार बजट सत्र इस साल 23 मार्च को समाप्त हुआ है. ऐसे में 23 सितंबर तक मानसून सत्र बुलाया जा सकता है.


विशाल है नई विधानसभा, लेकिन फिर भी है रिस्क
इस विषय में विभाग का साफ तौर पर दावा है कि सरकार फिलहाल इस तरफ ज्यादा फोकस नहीं कर रही है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि नए विधानसभा भवन में सोशल डिस्टेंसिंग के लिए पर्याप्त जगह तो है, लेकिन वहां सेंट्रलाइज्ड एयरकंडीशनिंग है. ऐसे में एक तरफ जहां सोशल डिस्टेंसिंग तो मेंटेन हो जाएगी, लेकिन एयर कंडीशनिंग की वजह से संक्रमण का खतरा भी बना रहेगा.

कुछ ऐसे हैं पुराने आंकड़े
झारखंड गठन से लेकर अब तक हुए मानसून सत्र की कार्य दिवस पर नजर डालें तो प्रथम झारखंड विधानसभा के दौरान अलग-अलग वर्षों में मानसून सत्र की अवधि सबसे लंबी थी. अलग-अलग वर्षों में कुल मिलाकर 30 दिन का कार्य दिवस मानसून सत्र में बीता, जबकि सबसे कम समय तृतीय झारखंड विधानसभा में मिला, जिसमें 2011 से 2014 के बीच 15 कार्य दिवस मानसून सत्र के लिए आवंटित हुए. वहीं चतुर्थ विधानसभा के दौरान 2015 से 2019 के बीच 29 कार्य दिवस रहा, जबकि द्वितीय झारखंड विधानसभा के दौरान 2006 से 2008 तक 19 कार्य दिवस मानसून सत्र के लिए आवंटित हुए.

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इन विधायकों को झेलना पड़ा संक्रमण
राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार अब तक राज्य में 27000 से अधिक लोगों में कोरोना संक्रमण पाया गया है. वहीं जनप्रतिनिधियों की बात करें तो झारखंड विधानसभा के सदस्यों में भी यह संक्रमण फैला है. सबसे पहले राज्य के पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर कोरोना से संक्रमित हुए. उसके बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता और टुंडी से विधायक मथुरा महतो में भी संक्रमण पाया गया. अन्य संक्रमित विधायकों में बीजेपी के सीपी सिंह, आजसू पार्टी के लंबोदर महतो, आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो और कांग्रेस की दीपिका पांडे सिंह के नाम शामिल हैं.

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