ETV Bharat / state

Jagte Raho: गोल्डन आवर्स आपको देगा साइबर क्रिमिनल्स के खिलाफ मौका, जानें क्या है इसके रूल्स - रांची में साइबर ठगी

झारखंड में साइबर अपराध का दायरा बढ़ता जा रहा है. साइबर क्रिमिनल्स नए-नए हथकंडे अपनाकर लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं. लेकिन अब गोल्डन आवर्स लोगों को साइबर क्रिमिनल्स के खिलाफ एक मौका देगा उसे रोकने और उसे पकड़वाने का. ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट से जानिए, क्या है गोल्डन आवर्स और क्या हैं इसके रूल्स?

trying-to-stop-cyber-crime-with-golden-hour
झारखंड में साइबर अपराध
author img

By

Published : Mar 4, 2022, 6:13 PM IST

Updated : Mar 4, 2022, 6:53 PM IST

रांचीः इंटरनेट की दुनिया के व्यापक फैलाव ने सबसे ज्यादा मौका साइबर अपराधियों के लिए पैदा किया है. साइबर अपराध के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. साइबर ठग अलग-अलग हथकंडे अपनाकर लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं. रिवार्ड, कैशबैक, लॉटरी, सेक्सटॉर्शन, इंटरनेट पर मदद करने जैसे लालच देकर फोन कॉल, एसएमएस, ईमेल जैसी टेक्नोलॉजी की मदद से साइबर ठगी को अंजाम दिया जा रहा है. लेकिन आपको यह जानकारी होनी चाहिए कि जिस तरह से अगर किसी व्यक्ति के साथ सड़क हादसा हो जाए और उसे गोल्डन आवर में अस्पताल पहुंचा दिया जाए तो उसकी जान बच सकती है कुछ ऐसा ही साइबर अपराध को लेकर भी है, अगर आप गोल्डन आवर्स में कुछ स्टेप्स उठा लें तो आपसे ठगी की गई रकम भी वापस लौट सकती है और साइबर अपराधी भी शिकंजे में आ सकते हैं.

इसे भी पढ़ें- सावधानः झारखंड में साइबर अपराधियों ने इजाद किया ठगी का नया तरीका, जानिए फ्रॉड से बचने के उपाय

जानिए क्या है गोल्डन आवरः इंटरनेट की पहुंच अब हर वर्ग के हाथों तक है लेकिन काफी कम इंटरनेट यूजर्स हैं, जिन्हें साइबर सिक्योरिटी और प्राइवेसी जैसे मामलो की जानकारी है. इस बारे में जागरूक ना होने का मतलब है, साइबर क्रिमिनल्स की चांदी होना और आपका ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार होना. इंटरनेट की दुनिया पहले से ही खतरनाक थी लेकिन कोविड संक्रमण के बाद उपजे हालात में इसका खतरा व्यापक हो गया है. एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि पिछले 4 वर्षों के अंतराल में साइबर अपराध के मामलों में 15% की बढ़ोतरी हुई है. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह लोगों का जागरूक नहीं होना है. अक्सर लोग साइबर था कि होने के बाद इसी उधेड़बुन में रह जाते हैं कि वह कहां जाएं, क्या करें? लेकिन यहां ध्यान रहे कि फ्रॉड होने के बाद के 2-3 घंटे बहुत ही अहम होते हैं, जिसमें आपके पैसे बचाए जा सकते हैं. सबसे जरूरी है कि अगर आपके साथ साइबर ठगी हो जाए तो आप तुरंत बिना देर किए इसकी शिकायत दर्ज करवाएं. साथ ही ठगी को लेकर सारी डिटेल्स साइबर थाना से शेयर करें.

देखें स्पेशल रिपोर्ट



हेल्पलाइन नंबर और बेबसाइट पर तुरंत दर्ज करवाएं शिकायतः साइबर अपराध के बढ़ते मामले को लेकर एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है, अगर आपके साथ कोई साइबर फ्रॉड होता है तो तुरंत ही हेल्पलाइन नंबर 1555260 पर फोन कर सूचित करें. शिकायत के 7-8 मिनट में भी उस बैंक या ई-साइट को एक अलर्ट मैसेज चला जाएगा, जिसमें आपके खाते से पैसे चुराकर डाले गए होंगे और पैसों को होल्ड कर दिया जाएगा. इस तरह आपके समय रहते फोन कर देने की वजह से पैसे खाते से निकाले जाने से पहले ही उसे होल्ड करने के चलते आप नुकसान से बच जाएंगे. ध्यान रहे कि फ्रॉड होने के बाद के 2-3 घंटे बहुत ही अहम होते हैं, जिसमें आपके पैसे बचाए जा सकते हैं. ऐसे में फ्रॉड होने के बाद जल्द से जल्द शिकायत करें. हेल्पलाइन नंबर के अलावा https://cybercrime.gov.in/ पर भी शिकायत की जा सकती है.

रांची साइबर डीएसपी यशोधरा के अनुसार नेशनल साइबर क्राइम रिर्पोटिंग पोर्टल एक सशक्त माध्यम है. साइबर अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए इस पोर्टल पर पुलिस के साथ-साथ साइबर एक्सपर्ट और बैंक के अधिकारी भी अलर्ट रहते हैं यह सूचना देने पर त्वरित कार्रवाई होती है. इसके अलावा ऑनलाइन ठगी के बाद बैंकों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है. ऐसे में अगर आपको लगता है कि आपके साथ बैंक फ्रॉड हुआ है तो तुरंत बैंक की लोकल ब्रांच या फिर रिलेशनशिप मैनेजर से संपर्क करें. बैंक की सहायता से एटीएम कार्ड/क्रेडिट को ब्लॉक कर दें. अगर आपने ऑनलाइन ट्रांजैक्शन किया है और उस के माध्यम से आप से ठगी की गई है तो आप तुरंत अपने ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के सभी माध्यमों को ब्लॉक कर दें. पुलिस के पास जब आप शिकायत दर्ज करवाएंगे उसके बाद आप के खाते से साइबर अपराधियों ने जिस खाते में पैसे ट्रांसफर किए हैं उसे पुलिस के द्वारा फ्रिज करवा दिया जाता है. अगर यह काम 2 से 3 घंटे में कर लिया जाता है तो आपके पैसे यकीनन वापस आ जाएंगे.

इसे भी पढ़ें- Jagte Raho: ऑनलाइन पेमेंट एप्स के रेप्लिका एप से रहें सावधान...साइबर ठग ऐसे बना रहे शिकार


जानकारी और सावधानी ही बचाव हैः यह तय है कि लालच और घर बैठे सुविधा पाने की लालसा ही साइबर अपराधियों के चुंगल में लोगों को फंसने के लिए मजबूर करता है. लालच कम समय में ज्यादा पैसे कमाने की और सुविधा की गूगल पर सर्च कर हेल्पलाइन नंबर सहित दूसरे सुविधाओं का उपयोग कर लें. लेकिन यह जान लें कि गूगल पर साइबर अपराध में अपना जाल बिछाकर रखा हुआ है. ओरिजिनल वेबसाइट की कॉपी बनाकर वह आपको अपने जाल में फंसाते हैं और फिर ठगी को अंजाम देते हैं. ऐसे में जरूरी है कि सबसे पहले अपने लालच को त्याग दें. उसके लिए कभी भी गुमनाम नंबर से आए प्राइज जीतने वाले मेसेज और ईमेल पर गलती से भी क्लिक ना करें. सोशल मीडिया पर अनजान लोगों की फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार करने से बचें. बैंक डिटेल्स और ओटीपी जैसी जानकारियां किसी के साथ साझा ना करें. ई-कॉमर्स साइट का इस्तेमाल करते वक्त सावधान रहें और जहां तक हो सके, कैश ऑन डिलिवरी का ही विकल्प चुनें.

आंकड़े भयवाह, राजधानी में सबसे ज्यादा मामलाः झारखंड की राजधानी रांची में साइबर ठगी का पहला मामला साल 2003 में थाना में दर्ज हुआ था. इस मामले में साइबर ठग को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया और पीड़ित को पैसे भी वापस दिलवाया गया. लेकिन धीरे-धीरे साइबर अपराध का दायरा बढ़ता गया आलम यह है कि रांची सहित राज्यभर में हर महीने अब 80 से ज्यादा आइटी एक्ट के मामले दर्ज हो रहे हैं. पिछले पांच वर्षों के भीतर (2016 से 2021) अलग-अलग साइबर थानों सहित अन्य थानों में 5496 मामले दर्ज हुए हैं. इनमें सबसे ज्यादा 1400 मामले रांची में दर्ज हुए हैं. वहीं सबसे कम सिमडेगा और खूंटी जिला में आइटी एक्ट से संबंधित मामले दर्ज हुए हैं. ये आंकड़े ऐसे हैं, जिनपर एफआइआर हुए. लेकिन हजारों मामले वैसे हैं जो केवल जांच तक सिमटी हुई है, इनकी अलग-अलग फाइलें खुलती गयी. साइबर ठगी के मामले तो दर्ज हो रहे लेकिन अपराधियों को पकड़ने में पुलिस काफी पीछे है. कुछ ही मामलों में पुलिस साइबर अपराधियों को गिरफ्तार कर पाती है. इन्हेंं पकड़ना पुलिस के लिए चुनौती साबित हो रही है.

स्पेशल टीम कर रही कामः राजधानी में साइबर अपराध से निपटने के लिए स्पेशल टीम काम कर रही है. इस टीम ने पिछले 1 साल के भीतर लगभग 200 से अधिक मामले निपटाए हैं. लेकिन अभी भी राजधानी में 13 मामले साइबर अपराध के लंबित है. रांची पुलिस के साइबर टीम के द्वारा पिछले 4 सालों में ठगी के 50 लाख से ज्यादा रकम की रिकवरी भी की गयी है. सबसे ज्यादा रिकवरी साल 2020 और 21 में किया गया. इस दौरान साइबर पुलिस के द्वारा 2020 में 7.50 लाख और 2021 में 10 लाख रुपए रिकवर किए गए. साइबर पुलिस के अनुसार कुछ मामलों में पैसे रिकवर हुए हैं लेकिन उससे संबंधित डाटा पीड़ितों के द्वारा पैसे वापस आ जाने के बाद भी उन्हें नहीं मिल पाए हैं. उनके पास उन्हीं रिकवरी का डाटा है, जिनके पैसे कोर्ट के माध्यम से बैंकों में वापस गए.

रांचीः इंटरनेट की दुनिया के व्यापक फैलाव ने सबसे ज्यादा मौका साइबर अपराधियों के लिए पैदा किया है. साइबर अपराध के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. साइबर ठग अलग-अलग हथकंडे अपनाकर लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं. रिवार्ड, कैशबैक, लॉटरी, सेक्सटॉर्शन, इंटरनेट पर मदद करने जैसे लालच देकर फोन कॉल, एसएमएस, ईमेल जैसी टेक्नोलॉजी की मदद से साइबर ठगी को अंजाम दिया जा रहा है. लेकिन आपको यह जानकारी होनी चाहिए कि जिस तरह से अगर किसी व्यक्ति के साथ सड़क हादसा हो जाए और उसे गोल्डन आवर में अस्पताल पहुंचा दिया जाए तो उसकी जान बच सकती है कुछ ऐसा ही साइबर अपराध को लेकर भी है, अगर आप गोल्डन आवर्स में कुछ स्टेप्स उठा लें तो आपसे ठगी की गई रकम भी वापस लौट सकती है और साइबर अपराधी भी शिकंजे में आ सकते हैं.

इसे भी पढ़ें- सावधानः झारखंड में साइबर अपराधियों ने इजाद किया ठगी का नया तरीका, जानिए फ्रॉड से बचने के उपाय

जानिए क्या है गोल्डन आवरः इंटरनेट की पहुंच अब हर वर्ग के हाथों तक है लेकिन काफी कम इंटरनेट यूजर्स हैं, जिन्हें साइबर सिक्योरिटी और प्राइवेसी जैसे मामलो की जानकारी है. इस बारे में जागरूक ना होने का मतलब है, साइबर क्रिमिनल्स की चांदी होना और आपका ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार होना. इंटरनेट की दुनिया पहले से ही खतरनाक थी लेकिन कोविड संक्रमण के बाद उपजे हालात में इसका खतरा व्यापक हो गया है. एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि पिछले 4 वर्षों के अंतराल में साइबर अपराध के मामलों में 15% की बढ़ोतरी हुई है. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह लोगों का जागरूक नहीं होना है. अक्सर लोग साइबर था कि होने के बाद इसी उधेड़बुन में रह जाते हैं कि वह कहां जाएं, क्या करें? लेकिन यहां ध्यान रहे कि फ्रॉड होने के बाद के 2-3 घंटे बहुत ही अहम होते हैं, जिसमें आपके पैसे बचाए जा सकते हैं. सबसे जरूरी है कि अगर आपके साथ साइबर ठगी हो जाए तो आप तुरंत बिना देर किए इसकी शिकायत दर्ज करवाएं. साथ ही ठगी को लेकर सारी डिटेल्स साइबर थाना से शेयर करें.

देखें स्पेशल रिपोर्ट



हेल्पलाइन नंबर और बेबसाइट पर तुरंत दर्ज करवाएं शिकायतः साइबर अपराध के बढ़ते मामले को लेकर एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है, अगर आपके साथ कोई साइबर फ्रॉड होता है तो तुरंत ही हेल्पलाइन नंबर 1555260 पर फोन कर सूचित करें. शिकायत के 7-8 मिनट में भी उस बैंक या ई-साइट को एक अलर्ट मैसेज चला जाएगा, जिसमें आपके खाते से पैसे चुराकर डाले गए होंगे और पैसों को होल्ड कर दिया जाएगा. इस तरह आपके समय रहते फोन कर देने की वजह से पैसे खाते से निकाले जाने से पहले ही उसे होल्ड करने के चलते आप नुकसान से बच जाएंगे. ध्यान रहे कि फ्रॉड होने के बाद के 2-3 घंटे बहुत ही अहम होते हैं, जिसमें आपके पैसे बचाए जा सकते हैं. ऐसे में फ्रॉड होने के बाद जल्द से जल्द शिकायत करें. हेल्पलाइन नंबर के अलावा https://cybercrime.gov.in/ पर भी शिकायत की जा सकती है.

रांची साइबर डीएसपी यशोधरा के अनुसार नेशनल साइबर क्राइम रिर्पोटिंग पोर्टल एक सशक्त माध्यम है. साइबर अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए इस पोर्टल पर पुलिस के साथ-साथ साइबर एक्सपर्ट और बैंक के अधिकारी भी अलर्ट रहते हैं यह सूचना देने पर त्वरित कार्रवाई होती है. इसके अलावा ऑनलाइन ठगी के बाद बैंकों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है. ऐसे में अगर आपको लगता है कि आपके साथ बैंक फ्रॉड हुआ है तो तुरंत बैंक की लोकल ब्रांच या फिर रिलेशनशिप मैनेजर से संपर्क करें. बैंक की सहायता से एटीएम कार्ड/क्रेडिट को ब्लॉक कर दें. अगर आपने ऑनलाइन ट्रांजैक्शन किया है और उस के माध्यम से आप से ठगी की गई है तो आप तुरंत अपने ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के सभी माध्यमों को ब्लॉक कर दें. पुलिस के पास जब आप शिकायत दर्ज करवाएंगे उसके बाद आप के खाते से साइबर अपराधियों ने जिस खाते में पैसे ट्रांसफर किए हैं उसे पुलिस के द्वारा फ्रिज करवा दिया जाता है. अगर यह काम 2 से 3 घंटे में कर लिया जाता है तो आपके पैसे यकीनन वापस आ जाएंगे.

इसे भी पढ़ें- Jagte Raho: ऑनलाइन पेमेंट एप्स के रेप्लिका एप से रहें सावधान...साइबर ठग ऐसे बना रहे शिकार


जानकारी और सावधानी ही बचाव हैः यह तय है कि लालच और घर बैठे सुविधा पाने की लालसा ही साइबर अपराधियों के चुंगल में लोगों को फंसने के लिए मजबूर करता है. लालच कम समय में ज्यादा पैसे कमाने की और सुविधा की गूगल पर सर्च कर हेल्पलाइन नंबर सहित दूसरे सुविधाओं का उपयोग कर लें. लेकिन यह जान लें कि गूगल पर साइबर अपराध में अपना जाल बिछाकर रखा हुआ है. ओरिजिनल वेबसाइट की कॉपी बनाकर वह आपको अपने जाल में फंसाते हैं और फिर ठगी को अंजाम देते हैं. ऐसे में जरूरी है कि सबसे पहले अपने लालच को त्याग दें. उसके लिए कभी भी गुमनाम नंबर से आए प्राइज जीतने वाले मेसेज और ईमेल पर गलती से भी क्लिक ना करें. सोशल मीडिया पर अनजान लोगों की फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार करने से बचें. बैंक डिटेल्स और ओटीपी जैसी जानकारियां किसी के साथ साझा ना करें. ई-कॉमर्स साइट का इस्तेमाल करते वक्त सावधान रहें और जहां तक हो सके, कैश ऑन डिलिवरी का ही विकल्प चुनें.

आंकड़े भयवाह, राजधानी में सबसे ज्यादा मामलाः झारखंड की राजधानी रांची में साइबर ठगी का पहला मामला साल 2003 में थाना में दर्ज हुआ था. इस मामले में साइबर ठग को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया और पीड़ित को पैसे भी वापस दिलवाया गया. लेकिन धीरे-धीरे साइबर अपराध का दायरा बढ़ता गया आलम यह है कि रांची सहित राज्यभर में हर महीने अब 80 से ज्यादा आइटी एक्ट के मामले दर्ज हो रहे हैं. पिछले पांच वर्षों के भीतर (2016 से 2021) अलग-अलग साइबर थानों सहित अन्य थानों में 5496 मामले दर्ज हुए हैं. इनमें सबसे ज्यादा 1400 मामले रांची में दर्ज हुए हैं. वहीं सबसे कम सिमडेगा और खूंटी जिला में आइटी एक्ट से संबंधित मामले दर्ज हुए हैं. ये आंकड़े ऐसे हैं, जिनपर एफआइआर हुए. लेकिन हजारों मामले वैसे हैं जो केवल जांच तक सिमटी हुई है, इनकी अलग-अलग फाइलें खुलती गयी. साइबर ठगी के मामले तो दर्ज हो रहे लेकिन अपराधियों को पकड़ने में पुलिस काफी पीछे है. कुछ ही मामलों में पुलिस साइबर अपराधियों को गिरफ्तार कर पाती है. इन्हेंं पकड़ना पुलिस के लिए चुनौती साबित हो रही है.

स्पेशल टीम कर रही कामः राजधानी में साइबर अपराध से निपटने के लिए स्पेशल टीम काम कर रही है. इस टीम ने पिछले 1 साल के भीतर लगभग 200 से अधिक मामले निपटाए हैं. लेकिन अभी भी राजधानी में 13 मामले साइबर अपराध के लंबित है. रांची पुलिस के साइबर टीम के द्वारा पिछले 4 सालों में ठगी के 50 लाख से ज्यादा रकम की रिकवरी भी की गयी है. सबसे ज्यादा रिकवरी साल 2020 और 21 में किया गया. इस दौरान साइबर पुलिस के द्वारा 2020 में 7.50 लाख और 2021 में 10 लाख रुपए रिकवर किए गए. साइबर पुलिस के अनुसार कुछ मामलों में पैसे रिकवर हुए हैं लेकिन उससे संबंधित डाटा पीड़ितों के द्वारा पैसे वापस आ जाने के बाद भी उन्हें नहीं मिल पाए हैं. उनके पास उन्हीं रिकवरी का डाटा है, जिनके पैसे कोर्ट के माध्यम से बैंकों में वापस गए.

Last Updated : Mar 4, 2022, 6:53 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.