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सरकारी खर्चे पर विदेश में पढ़ेंगे झारखंड के आदिवासी युवा, सरकार देगी स्कॉलरशिप

झारखंड के आदिवासी युवाओं को अब विदेशों में पढ़ने का मौका मिलेगा. मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा परदेशीय छात्रवृत्ति योजना 2020 के माध्यम से आदिवासी युवाओं को एक बेहतर प्लेटफार्म मिलेगा. इस तरीके की छात्रवृत्ति योजना लागू करने वाला झारखंड देश का पहला राज्य है. इस योजना के तहत चयनित छात्रों को शिक्षण शुल्क सहित सभी खर्च राज्य सरकार वहन करेगी.

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झारखंड के आदिवासी युवाओं को अब विदेशों में पढ़ने का मिलेगा मौका
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Published : Jan 6, 2021, 7:51 PM IST

Updated : Jan 8, 2021, 2:46 PM IST

रांची: झारखंड के आदिवासी युवाओं को अब विदेशों में पढ़ने का मौका मिलेगा. मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा परदेशीय छात्रवृत्ति योजना के तहत सरकार झारखंड के युवाओं को एक बेहतर मौका दे रही है. अनुसूचित जनजाति के प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को ऑक्सफोर्ड, कैंब्रिज और आयरलैंड जैसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा ग्रहण करने का अवसर दिया जा रहा है. इस योजना की झारखंड के युवाओं ने प्रशंसा की है.

देखें स्पेशल स्टोरी

आदिवासी युवाओं के संभावनाओं को अवसर में बदलने का मौका

झारखंड के पहले आदिवासी मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा थे, जिन्होंने इंग्लैंड में शिक्षा ग्रहण कर राज्य और देश का मान बढ़ाया था. वह संविधान सभा के सदस्य रहे और झारखंड आंदोलन की नींव भी रखी. उस दौरान वह भारतीय हॉकी टीम के कप्तान थे. एक बार फिर झारखंड के युवाओं को सशक्त और आदिवासी युवाओं के संभावनाओं को अवसर में बदलने का मौका मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन देने जा रहे हैं. झारखंड सरकार राज्य के प्रतिभावान आदिवासी छात्र-छात्राओं को ऑक्सफोर्ड और कैंब्रिज जैसे प्रतिष्ठित विदेशी यूनिवर्सिटी में उच्च शिक्षा ग्रहण करने का अवसर देने जा रही है.

ये भी पढ़ें-किशोरगंज बवालः सीएम हेमंत सोरेन ने कहा, कुछ लोग घात लगाकर मेरे इंतजार में बैठे थे, नहीं बख्शे जाएंगे उपद्रवी

परदेशीय छात्रवृत्ति योजना का मिलेगा लाभ

मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा परदेशीय छात्रवृत्ति योजना 2020 के माध्यम से आदिवासी युवाओं को एक बेहतर प्लेटफार्म मिलेगा. इस तरीके की छात्रवृत्ति योजना लागू करने वाला झारखंड देश का पहला राज्य है. इस योजना के तहत चयनित छात्रों को शिक्षण शुल्क, पुस्तक, आवश्यक उपकरण, वार्षिक अनुरक्षण भत्ता, वीजा शुल्क, हवाई यात्रा खर्च, स्वास्थ्य बीमा का प्रीमियम और स्थानीय खर्च राज्य सरकार वहन करेगी. शिक्षण शुल्क का भुगतान संबंधित विश्वविद्यालय को और अन्य खर्च का भुगतान डीबीटी के माध्यम से छात्रों के बैंक अकाउंट में जाएगा.

योजना की कितनी जानकारी युवाओं को है

इसे लेकर ईटीवी भारत की टीम ने कुछ विद्यार्थियों से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि इस योजना की पूरी जानकारी विभिन्न माध्यमों से उन्हें मिल रही है, लेकिन इसके बावजूद शिक्षण संस्थानों में जागरूकता के लिए विद्यार्थियों के बीच जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन सरकार को करने की जरूरत है. वाकई में इस योजना को अगर धरातल पर उतारा जाता है तो झारखंड के ट्राइबल युवाओं के लिए इससे बेहतर योजना हो ही नहीं सकती है. जयपाल सिंह मुंडा के बाद यहां के आदिवासी युवा भी विदेशों में पढ़ने जाएंगे और कैंब्रिज और ऑक्सफोर्ड जैसे विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा हासिल करेंगे. हेमंत सरकार के इस योजना को आदिवासी युवाओं ने बेहतर बताते हुए इसकी सराहना की है.

ये भी पढ़ें-शांति सभा को लेकर ग्रामीणों की तैयारियां पूरी, जनप्रतिनिधियों ने बताया गैर कानूनी

किन विषयों में शिक्षा ग्रहण करेंगे छात्र

हेमंत सरकार का मानना है कि अलग झारखंड राज्य गठन के बाद भी झारखंड वासियों को अपनी प्रतिभा निखारने का सही अवसर अभी तक नहीं मिल पाया है. ऐसे में झारखंड के युवाओं को राज्य और देश के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अवसर प्रदान करने के लिए छात्रवृत्ति योजना का शुभारंभ किया गया है. अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक और पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की ओर से अनुसूचित जनजाति के 10 चयनित प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को अब हर साल उच्चस्तरीय शिक्षा, मास्टर डिग्री, एमफिल के लिए छात्रवृत्ति दी जाएगी. यह छात्र छात्राएं मानव विज्ञान, कृषि, कला संस्कृति, जलवायु परिवर्तन, अर्थशास्त्र, विधि, मीडिया एंड कम्युनिकेशन और पर्यटन समेत कुल 22 विषयों में 1 या 2 वर्ष के पाठ्यक्रम या शोध के क्षेत्र में मास्टर डिग्री ग्रहण कर राज्य की समृद्धि के वाहक बनेंगे.

कौन उठा सकते हैं योजना का लाभ

मास्टर या एम फिल डिग्री के लिए अभ्यर्थियों को स्नातक की डिग्री में 55 फीसदी अंक या समकक्ष संबंधित विषय में 2 साल का शिक्षण कार्य वांछनीय होगा. वैसे आवेदक जिनके पास अनुभव हो, उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी. आवेदक की उम्र 40 साल से अधिक नहीं होनी चाहिए. आवेदक को झारखंड राज्य का स्थानीय निवासी होना चाहिए और इसके लिए जाति प्रमाण-पत्र अनिवार्य होगा. आवेदक के माता-पिता की संपूर्ण पारिवारिक आमदनी 12 लाख सालाना से अधिक नहीं होनी चाहिए. आवेदन के साथ आयकर रिटर्न की प्रति उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा. एक ही माता-पिता या अभिभावक से एक से अधिक बच्चे योजना के पात्र नहीं होंगे. इस योजना का लाभ किसी भी छात्र-छात्राओं को किसी भी पाठ्यक्रम विशेष के लिए मात्र एक बार मिलेगी. योजना अंतर्गत भारत सरकार और राज्य सरकार के मंत्री के बच्चे शामिल नहीं किए जाएंगे.

ये भी पढ़ें-सिमडेगा: बेटे ने की लाठी से पीट-पीट कर मां की हत्या, पुलिस ने किया गिरफ्तार

हर साल 10 अभ्यर्थियों को विदेश में पढ़ने का अवसर

इस योजना को धरातल पर उतारने वाला झारखंड देश का पहला राज्य है. इसके तहत हर साल 10 अभ्यर्थियों को विदेश में पढ़ने का अवसर दिया जाएगा. चयनित विद्यार्थियों को चयन की तिथि से दो निरंतर शैक्षणिक साल के भीतर विदेश में योजना अंतर्गत चिन्हित मान्यता प्राप्त विधि संस्थान में प्रवेश लेना सुनिश्चित करना होगा. चयनित छात्रों को नोटरी पब्लिक एक हजार का स्टांप लगेगा. हर साल इसके लिए आदिवासी कल्याण आयुक्त झारखंड के स्तर से समाचार पत्रों में विज्ञापन भी जारी करेगा. पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन जमा होगा. आवेदन की जांच की जाएगी. समिति की रिपोर्ट के बाद चयनित छात्रों की अनुशंसा की जाएगी. फिर छात्रों को विदेश में पढ़ने का मौका दिया जाएगा.

कितनी हद तक कारगर होगी योजना

हालांकि, शिक्षाविदों ने सरकार को सुझाव दिया है कि इस योजना के क्रियान्वयन को लेकर निगरानी रखनी होगी. किसी भी तरीके के गोलमाल की आशंका को देखते हुए एक कमेटी गठित कर पूरे योजना की मॉनिटरिंग करने की जरूरत है. हालांकि, सरकार की यह योजना तो अच्छी है, लेकिन झारखंड में आधारभूत संरचना और बेहतर सुविधा की बहुत कमी है. खासकर ट्राइबल क्षेत्रों में प्रशासन की पहुंच काफी कम है. इस वजह से वो इलाके काफी पिछड़े हैं. कोरोना काल में जब ऑनलाइन क्लासेस की बात आई, सुदूरवर्ती आदिवासी इलाकों में प्रशासन की पहुंच न के बराबर रही. बच्चे सही से पढ़ाई भी नहीं कर पाए. वजह वहां नेटवर्क का न होना रहा. इस तरह से कई इलाके हैं जहां प्राथमिक स्कूल भी नहीं है. कई जगह स्कूल हैं तो पर्याप्त संख्या में शिक्षक नहीं हैं. आदिवासी छात्रों के लिए सरकार की यह योजना सुनने में तो बहुत अच्छी लगती है, लेकिन यह किस हद तक कारगर साबित होगी देखने वाली बात होगी.

रांची: झारखंड के आदिवासी युवाओं को अब विदेशों में पढ़ने का मौका मिलेगा. मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा परदेशीय छात्रवृत्ति योजना के तहत सरकार झारखंड के युवाओं को एक बेहतर मौका दे रही है. अनुसूचित जनजाति के प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को ऑक्सफोर्ड, कैंब्रिज और आयरलैंड जैसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा ग्रहण करने का अवसर दिया जा रहा है. इस योजना की झारखंड के युवाओं ने प्रशंसा की है.

देखें स्पेशल स्टोरी

आदिवासी युवाओं के संभावनाओं को अवसर में बदलने का मौका

झारखंड के पहले आदिवासी मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा थे, जिन्होंने इंग्लैंड में शिक्षा ग्रहण कर राज्य और देश का मान बढ़ाया था. वह संविधान सभा के सदस्य रहे और झारखंड आंदोलन की नींव भी रखी. उस दौरान वह भारतीय हॉकी टीम के कप्तान थे. एक बार फिर झारखंड के युवाओं को सशक्त और आदिवासी युवाओं के संभावनाओं को अवसर में बदलने का मौका मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन देने जा रहे हैं. झारखंड सरकार राज्य के प्रतिभावान आदिवासी छात्र-छात्राओं को ऑक्सफोर्ड और कैंब्रिज जैसे प्रतिष्ठित विदेशी यूनिवर्सिटी में उच्च शिक्षा ग्रहण करने का अवसर देने जा रही है.

ये भी पढ़ें-किशोरगंज बवालः सीएम हेमंत सोरेन ने कहा, कुछ लोग घात लगाकर मेरे इंतजार में बैठे थे, नहीं बख्शे जाएंगे उपद्रवी

परदेशीय छात्रवृत्ति योजना का मिलेगा लाभ

मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा परदेशीय छात्रवृत्ति योजना 2020 के माध्यम से आदिवासी युवाओं को एक बेहतर प्लेटफार्म मिलेगा. इस तरीके की छात्रवृत्ति योजना लागू करने वाला झारखंड देश का पहला राज्य है. इस योजना के तहत चयनित छात्रों को शिक्षण शुल्क, पुस्तक, आवश्यक उपकरण, वार्षिक अनुरक्षण भत्ता, वीजा शुल्क, हवाई यात्रा खर्च, स्वास्थ्य बीमा का प्रीमियम और स्थानीय खर्च राज्य सरकार वहन करेगी. शिक्षण शुल्क का भुगतान संबंधित विश्वविद्यालय को और अन्य खर्च का भुगतान डीबीटी के माध्यम से छात्रों के बैंक अकाउंट में जाएगा.

योजना की कितनी जानकारी युवाओं को है

इसे लेकर ईटीवी भारत की टीम ने कुछ विद्यार्थियों से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि इस योजना की पूरी जानकारी विभिन्न माध्यमों से उन्हें मिल रही है, लेकिन इसके बावजूद शिक्षण संस्थानों में जागरूकता के लिए विद्यार्थियों के बीच जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन सरकार को करने की जरूरत है. वाकई में इस योजना को अगर धरातल पर उतारा जाता है तो झारखंड के ट्राइबल युवाओं के लिए इससे बेहतर योजना हो ही नहीं सकती है. जयपाल सिंह मुंडा के बाद यहां के आदिवासी युवा भी विदेशों में पढ़ने जाएंगे और कैंब्रिज और ऑक्सफोर्ड जैसे विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा हासिल करेंगे. हेमंत सरकार के इस योजना को आदिवासी युवाओं ने बेहतर बताते हुए इसकी सराहना की है.

ये भी पढ़ें-शांति सभा को लेकर ग्रामीणों की तैयारियां पूरी, जनप्रतिनिधियों ने बताया गैर कानूनी

किन विषयों में शिक्षा ग्रहण करेंगे छात्र

हेमंत सरकार का मानना है कि अलग झारखंड राज्य गठन के बाद भी झारखंड वासियों को अपनी प्रतिभा निखारने का सही अवसर अभी तक नहीं मिल पाया है. ऐसे में झारखंड के युवाओं को राज्य और देश के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अवसर प्रदान करने के लिए छात्रवृत्ति योजना का शुभारंभ किया गया है. अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक और पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की ओर से अनुसूचित जनजाति के 10 चयनित प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को अब हर साल उच्चस्तरीय शिक्षा, मास्टर डिग्री, एमफिल के लिए छात्रवृत्ति दी जाएगी. यह छात्र छात्राएं मानव विज्ञान, कृषि, कला संस्कृति, जलवायु परिवर्तन, अर्थशास्त्र, विधि, मीडिया एंड कम्युनिकेशन और पर्यटन समेत कुल 22 विषयों में 1 या 2 वर्ष के पाठ्यक्रम या शोध के क्षेत्र में मास्टर डिग्री ग्रहण कर राज्य की समृद्धि के वाहक बनेंगे.

कौन उठा सकते हैं योजना का लाभ

मास्टर या एम फिल डिग्री के लिए अभ्यर्थियों को स्नातक की डिग्री में 55 फीसदी अंक या समकक्ष संबंधित विषय में 2 साल का शिक्षण कार्य वांछनीय होगा. वैसे आवेदक जिनके पास अनुभव हो, उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी. आवेदक की उम्र 40 साल से अधिक नहीं होनी चाहिए. आवेदक को झारखंड राज्य का स्थानीय निवासी होना चाहिए और इसके लिए जाति प्रमाण-पत्र अनिवार्य होगा. आवेदक के माता-पिता की संपूर्ण पारिवारिक आमदनी 12 लाख सालाना से अधिक नहीं होनी चाहिए. आवेदन के साथ आयकर रिटर्न की प्रति उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा. एक ही माता-पिता या अभिभावक से एक से अधिक बच्चे योजना के पात्र नहीं होंगे. इस योजना का लाभ किसी भी छात्र-छात्राओं को किसी भी पाठ्यक्रम विशेष के लिए मात्र एक बार मिलेगी. योजना अंतर्गत भारत सरकार और राज्य सरकार के मंत्री के बच्चे शामिल नहीं किए जाएंगे.

ये भी पढ़ें-सिमडेगा: बेटे ने की लाठी से पीट-पीट कर मां की हत्या, पुलिस ने किया गिरफ्तार

हर साल 10 अभ्यर्थियों को विदेश में पढ़ने का अवसर

इस योजना को धरातल पर उतारने वाला झारखंड देश का पहला राज्य है. इसके तहत हर साल 10 अभ्यर्थियों को विदेश में पढ़ने का अवसर दिया जाएगा. चयनित विद्यार्थियों को चयन की तिथि से दो निरंतर शैक्षणिक साल के भीतर विदेश में योजना अंतर्गत चिन्हित मान्यता प्राप्त विधि संस्थान में प्रवेश लेना सुनिश्चित करना होगा. चयनित छात्रों को नोटरी पब्लिक एक हजार का स्टांप लगेगा. हर साल इसके लिए आदिवासी कल्याण आयुक्त झारखंड के स्तर से समाचार पत्रों में विज्ञापन भी जारी करेगा. पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन जमा होगा. आवेदन की जांच की जाएगी. समिति की रिपोर्ट के बाद चयनित छात्रों की अनुशंसा की जाएगी. फिर छात्रों को विदेश में पढ़ने का मौका दिया जाएगा.

कितनी हद तक कारगर होगी योजना

हालांकि, शिक्षाविदों ने सरकार को सुझाव दिया है कि इस योजना के क्रियान्वयन को लेकर निगरानी रखनी होगी. किसी भी तरीके के गोलमाल की आशंका को देखते हुए एक कमेटी गठित कर पूरे योजना की मॉनिटरिंग करने की जरूरत है. हालांकि, सरकार की यह योजना तो अच्छी है, लेकिन झारखंड में आधारभूत संरचना और बेहतर सुविधा की बहुत कमी है. खासकर ट्राइबल क्षेत्रों में प्रशासन की पहुंच काफी कम है. इस वजह से वो इलाके काफी पिछड़े हैं. कोरोना काल में जब ऑनलाइन क्लासेस की बात आई, सुदूरवर्ती आदिवासी इलाकों में प्रशासन की पहुंच न के बराबर रही. बच्चे सही से पढ़ाई भी नहीं कर पाए. वजह वहां नेटवर्क का न होना रहा. इस तरह से कई इलाके हैं जहां प्राथमिक स्कूल भी नहीं है. कई जगह स्कूल हैं तो पर्याप्त संख्या में शिक्षक नहीं हैं. आदिवासी छात्रों के लिए सरकार की यह योजना सुनने में तो बहुत अच्छी लगती है, लेकिन यह किस हद तक कारगर साबित होगी देखने वाली बात होगी.

Last Updated : Jan 8, 2021, 2:46 PM IST

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