रांची/पलामू: झारखंड में मणिपुर की घटना को लेकर विरोध बढ़ता जा रहा है. आदिवासी संगठनों के द्वारा लगातार विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं. रविवार को आदिवासी समाज के सरना समिति की ओर से हरमू चौक से अरगोड़ा मैदान तक पैदल मार्च किया गया, जिसमें सैकड़ों की संख्या में आदिवासी संगठन के सामाजिक कार्यकर्ता और महिलाएं शामिल हुईं.
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प्रदर्शन करने पहुंचे रांची पाड़हा सरना प्रार्थना सभा के कार्यकर्ताओं ने कहा कि आज देश में चरम स्तर पर मानवता शर्मसार हो रही है. मणिपुर की घटना में जिस तरह से दो आदिवासी महिलाओं को सरेआम पुलिस के संरक्षण में निर्वस्त्र किया गया है. यह कहीं से भी जायज नहीं है. वहीं उन्होंने मध्यप्रदेश में हुए आदिवासी के मुंह पर पेशाब करने की घटना की भी घोर निंदा की. उन्होंने कहा कि यदि सरकार आदिवासी, दलित और पिछड़ों के संरक्षण के लिए ठोस कदम नहीं उठाएगी तो आने वाले समय में झारखंड सहित पूरे देश के आदिवासी और पिछड़ा समाज एकजुट होकर सड़क पर उतरने को बाध्य हो जाएंगे. पैदल मार्च में शहर और आसपास के गांव के सैकड़ों लोग शामिल हुए. जिसमें मणिपुर के मुख्यमंत्री को बर्खास्त करने की मांग की गई.
पलामू में कांग्रेस की महिला अध्यक्ष ने किया प्रेस कॉन्फ्रेंस: वहीं आदिवासी संगठनों से साथ ही कांग्रेस की ओर से भी विरोध किया जा रहा है. पलामू जिले में कांग्रेस महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष गुंजन सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मणिपुर की घटना के लिए केंद्र और मणिपुर सरकार को दोषी ठहराया. उन्होंने कहा कि आज मणिपुर 80 दिनों से जल रहा है. मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने की जरूरत है. मणिपुर के सीएम को इस्तीफा दे देना चाहिए.
गुंजन सिंह ने कहा कि मणिपुर में जातीय हिंसा चरम पर है, लेकिन देश के पीएम चुप हैं. मणिपुर घटना को राजस्थान और छत्तीसगढ़ से जोड़ा जा रहा है, जो गलत है. मणिपुर की घटना पर राजनीति गलत है. उन्होंने कहा कि आज देश मे महिलाएं असुरक्षित हैं. उन्होंने कहा कि जिस तरह कौरवों का नाश हुआ था, उसी तरह भाजपा का भी नाश होना तय है. आज देश की आधी आबादी असुरक्षित महसूस कर रही है, इसका खामियाजा केंद्र की सरकार को भुगतना होगा.