रांचीः गिरिडीह के पारसनाथ स्थित सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल की श्रेणी से हटाने की मांग को लेकर शुरू हुआ आंदोलन समय के साथ और तीव्र होता जा रहा है. मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात समेत कई राज्यों में चल रहे आंदोलन के बीच आज रांची में भी जैन समाज के लोग सड़कों पर उतरे. दूसरी तरफ सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल घोषित किये जाने के विरोध में राजस्थान के जयपुर में 10 दिन से आमरण अनशन पर बैठे जैन मुनि सुज्ञेयसागर महाराज ने प्राण त्याग दिया है.
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मामले की गंभीरता को देखते हुए ईटीवी भारत की टीम ने पर्यटन मंत्री हफीजुल हसन (Tourism Minister Hafizul Hasan) से फोन पर संपर्क किया. वह फिलहाल देवघर के मधुपुर स्थित अपने विधानसभा क्षेत्र में हैं. उन्होंने कहा कि कल ही जैन समाज का एक प्रतिनिधिमंडल मिला था. उन्होंने कहा कि जैन समाज को भरोसा दिलाते हुए कहा कि इस मसले पर फैसला लेते वक्त इस बात का ख्याल रखा जाएगा कि जैन धर्म की आस्था पर चोट ना पहुंचे. उन्होंने कहा कि पारसनाथ को पर्यटन क्षेत्र घोषित करने का फैसला तत्कालीन रघुवर सरकार ने लिया था. लेकिन अब इसको बदलने को लेकर मांग उठ रही है. उन्होंने कहा कि इस मामले में अगर कोई फेरबदल की जरूरत होगी तो सरकार जरूर करेगी.
पर्यटन मंत्री ने कहा कि वह जैन समाज के प्रतिनिधिमंडल से सीएम की मुलाकात करवाने के लिए पहल करेंगे. पर्यटन मंत्री ने कहा कि जैन समाज के लोगों का मानना है कि संबंधित इलाके में मुर्गी पालन और मछली पालन को बढ़ावा देने की बात चल रही है. इससे वहां मांस-मछली के सेवन का प्रचलन शुरू हो जाएगा. इससे उनकी आस्था को ठेस पहुंचेगी. हालांकि उन्होंने इस सवाल का सीधा जवाब नहीं दिया कि आखिर सम्मेद शिखर जी को पर्यटन स्थल की श्रेणी से हटाया जाएगा या नहीं.
पर्यटन मंत्री की बातों से स्पष्ट है कि इस मामले में अंतिम फैसला मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लेना है. लेकिन सवाल है कि राज्य सरकार किसी निष्कर्ष पर पहुंचने में देरी क्यों कर रही है. वो भी तब जब केंद्र सरकार की ओर से मुख्य सचिव को पत्र भेजकर ईको सेंसिटिव जोन के नेचर में बदलाव के लिए प्रस्ताव मांगा जा चुका है. जानकारों का कहना है कि इस क्षेत्र के पर्यटन स्थल की श्रेणी से बाहर निकालने का फैसला लेना इतना आसान नहीं है जितना लोग समझ रहे हैं.