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रिम्स में शिक्षकों की नियुक्ति में आरक्षण समाप्त करने का निर्णय, टीएमए ने जताया विरोध

रिम्स में चिकित्सा शिक्षकों की नियुक्ति और प्रोन्नति में आरक्षण समाप्त होने के निर्णय का ट्राइबल मेडिकल एसोसिएशन ने विरोध किया है. इसे लेकर उन्होंने सीएम हेमंत सोरेन को एक पत्र भी लिखा है. उन्होंने कहा है कि अगर इस समस्याओं का समाधान नहीं होता है तो आंदोलन की जाएगी.

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रिम्स
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Published : Feb 25, 2021, 3:54 AM IST

रांची: रिम्स के गवर्निंग बॉडी की बैठक में चिकित्सा शिक्षकों की नियुक्ति और प्रोन्नति में आरक्षण समाप्त होने के निर्णय का ट्राइबल मेडिकल एसोसिएशन ने विरोध किया है. टीएमए ने विरोध जताकर मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है. उन्होंने कहा कि झारखंड के सभी मेडिकल/डेंटल कॉलेज में शैक्षणिक पदों से आरक्षण समाप्त करने के संबंध में पूर्व की सरकार के द्वारा चिकित्सा शिक्षकों की कमी का हवाला देकर 7 नवंबर 2015 को एक संकल्प जारी किया गया था, जिसमें यह कहा गया था कि राज्य में चिकित्सा महाविद्यालयों में डॉक्टरों और शिक्षकों की नियुक्ति और प्रोन्नति में आरक्षण नियमावली लागू नहीं होगी, जिसे रिम्स गवर्निंग बॉडी ने भी मान लिया है, इसके कारण राज्य के मूलवासी और आदिवासी को सीधा नुकसान पहुंच रहा है.

इसे भी पढे़ं: स्वास्थ्य सचिव ने रिम्स के अधिकारियों के साथ की बैठक, लिए गए कई अहम निर्णय


ट्राइबल मेडिकल एसोसिएशन(टीएमए) ने पत्र में लिखा है कि एम्स, आईआईटी, आईआईएम, पीजीआई सरीखे उच्च शैक्षणिक संस्थानों में भी आरक्षण नियमावली का पालन होता है, साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री का ध्यान आकृष्ट कराते हुए बताया है कि आरक्षित वर्ग की अनुपलब्धता और कमी की स्थिति में ही अन्य वर्ग के अभ्यर्थियों की नियुक्ति संविदा पर तब तक के लिए की जा सकती है, जब तक आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी उपलब्ध ना हो जाए.

आंदोलन की चेतावनी
वहीं ट्राइबल मेडिकल एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र में यह भी कहा है कि अगर शैक्षणिक पदों से आरक्षण हटाने के संबंधित स्वास्थ्य विभाग के संकल्प को समाप्त करने पर निर्णय नहीं लिया जाता है, तो राज्य के आदिवासियों और मूल वासियों को उचित हक दिलाने के लिए वह आंदोलन करने को मजबूर हो जाएंगे.

रांची: रिम्स के गवर्निंग बॉडी की बैठक में चिकित्सा शिक्षकों की नियुक्ति और प्रोन्नति में आरक्षण समाप्त होने के निर्णय का ट्राइबल मेडिकल एसोसिएशन ने विरोध किया है. टीएमए ने विरोध जताकर मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है. उन्होंने कहा कि झारखंड के सभी मेडिकल/डेंटल कॉलेज में शैक्षणिक पदों से आरक्षण समाप्त करने के संबंध में पूर्व की सरकार के द्वारा चिकित्सा शिक्षकों की कमी का हवाला देकर 7 नवंबर 2015 को एक संकल्प जारी किया गया था, जिसमें यह कहा गया था कि राज्य में चिकित्सा महाविद्यालयों में डॉक्टरों और शिक्षकों की नियुक्ति और प्रोन्नति में आरक्षण नियमावली लागू नहीं होगी, जिसे रिम्स गवर्निंग बॉडी ने भी मान लिया है, इसके कारण राज्य के मूलवासी और आदिवासी को सीधा नुकसान पहुंच रहा है.

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ट्राइबल मेडिकल एसोसिएशन(टीएमए) ने पत्र में लिखा है कि एम्स, आईआईटी, आईआईएम, पीजीआई सरीखे उच्च शैक्षणिक संस्थानों में भी आरक्षण नियमावली का पालन होता है, साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री का ध्यान आकृष्ट कराते हुए बताया है कि आरक्षित वर्ग की अनुपलब्धता और कमी की स्थिति में ही अन्य वर्ग के अभ्यर्थियों की नियुक्ति संविदा पर तब तक के लिए की जा सकती है, जब तक आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी उपलब्ध ना हो जाए.

आंदोलन की चेतावनी
वहीं ट्राइबल मेडिकल एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र में यह भी कहा है कि अगर शैक्षणिक पदों से आरक्षण हटाने के संबंधित स्वास्थ्य विभाग के संकल्प को समाप्त करने पर निर्णय नहीं लिया जाता है, तो राज्य के आदिवासियों और मूल वासियों को उचित हक दिलाने के लिए वह आंदोलन करने को मजबूर हो जाएंगे.

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