रांची: कहते हैं बच्चे देश के भविष्य होते हैं इसीलिए देश के भविष्य को किसी भी हालत में मजबूत करना है, लेकिन झारखंड इस मामले में काफी पीछे दिख रहा है. क्योंकि बच्चों को बेहतर भविष्य देने के लिए सबसे पहले उनके स्वास्थ्य को बेहतर बनाना होता है. तभी वो आगे जाकर समाज में उत्कृष्ट कार्य कर पाएंगे, लेकिन झारखंड अपने बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर बेफिक्र और बेशुद्ध है.
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इंटेंसिव केयर यूनिट की कमी
राजधानी के प्रसिद्ध शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. राजेश कुमार बताते हैं कि बच्चों के अस्पताल में आपातकालीन की व्यवस्था बहुत मजबूत होनी चाहिए, क्योंकि बच्चे का स्वास्थ्य नाजुक होता है. इसीलिए इंटेंसिव केयर यूनिट अच्छे से संसाधन पूर्ण होना चाहिए ताकि विपरीत परिस्थिति में भी बच्चे की जान बचाई जा सके. उन्होंने बताया कि अगर छोटे बच्चों के बेहतर क्रिटिकल केयर की बात करें तो यह सुविधा सरकारी स्तर पर सिर्फ रिम्स में ही उपलब्ध है और राज्य में कहीं भी फिलहाल यह व्यवस्था उपलब्ध नहीं कराई गई है. वहीं उन्होंने पूरे राज्य के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि अभी भी झारखंड के कई जिलों में एक भी बच्चे के डॉक्टर नहीं है, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है.
बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर समस्याएं
- जिले में नहीं है बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था
- जिले के अस्पताल से राजधानी तक लाने में बच्चों के एंबुलेंस की नहीं है बेहतर सुविधा
- राजधानी के अलावा जिले के किसी अस्पताल में सरकारी स्तर पर नहीं है पेडियाट्रिक सर्जरी की व्यवस्था
- सरकारी स्तर पर बच्चों के डॉक्टरों की है घोर कमी
मेडिकल स्टाफ की कमी
वहीं रिम्स के पेडियाट्रिक विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर अभिषेक रंजन बताते हैं कि राजधानी के रिम्स अस्पताल में संसाधन और मेडिकल मशीनों की उपलब्धता प्रचुर मात्रा में है. अगर रिम्स में कुछ कमी है तो वह सिर्फ मानव बल की कमी है. जरूरत है कि मेडिकल स्टाफ की नियुक्ति की जाए ताकि बच्चों को और भी बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराई जा सके.
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छोटे जिले में नहीं हो पाता बच्चों का इलाज
वहीं, गुमला जिला से अपने 3 वर्षीय बेटी का एक निजी अस्पताल में इलाज कराने पहुंचे शहजाद खान कहते हैं कि गुमला जिला में एक भी अच्छा सरकारी अस्पताल नहीं है. राजधानी में एक-दो अस्पताल हैं भी तो वहां पर मरीजों की अत्यधिक भीड़ है, जिस वजह से हम आम लोगों को निजी अस्पतालों की तरफ रुख करना पड़ता है, जिससे हम पर आर्थिक बोझ भी पड़ता है.
राजधानी रांची में बच्चों के इलाज की है व्यवस्था
रांची के सिविल सर्जन बताते हैं कि राजधानी में बच्चों के इलाज के लिए बेहतर व्यवस्था कराई गई है. खासकर के सदर अस्पताल में एसएनसीयू की भी सुविधा है. गौरतलब है कि राज्य में लगभग एक करोड़ बच्चे हैं जो राज्य के भविष्य हैं, लेकिन अगर वह अस्वस्थ रहेंगे तो क्या वह देश और राज्य के लिए बेहतर कार्य कर पाएंगे, इसीलिए राज्य के बेहतर भविष्य के निर्माण के लिए जरूरी है कि बच्चों को राज्य सरकार बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराए, ताकि कुपोषण शिशु मृत्यु दर जैसे समस्याओं से निजात मिल सके.