रांची: झारखंड मंत्रालय के सभागार कक्ष में मंगलवार को राज्य स्तरीय विद्यालय संवर्धन कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम के दौरान बेहतर कार्य करने वाले स्कूली शिक्षकों और अधिकारियों को सम्मानित किया गया.
शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने वाले राज्य के स्कूली शिक्षकों को शिक्षा विभाग की ओर से सम्मानित किया गया. झारखंड मंत्रालय सभागार में आयोजित राज्य स्तरीय विद्यालय संवर्धन कार्यक्रम के दौरान राज्य के कई शिक्षकों को सम्मानित किया गया. इस मौके पर मुख्य सचिव डीके तिवारी और शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव एपी सिंह समेत कई स्कूलों के प्रधानाध्यापक और संबंधित कर्मचारी शामिल हुए. इस दौरान मुख्य सचिव डीके तिवारी ने शिक्षकों को संबोधित किया और कई महत्वपूर्ण दिशा निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग स्कूलों में शिक्षा के मानक स्तर को तय करे और उसी मानक के अनुरूप स्कूलों की ग्रेडिंग हो ताकी शिक्षकों के परफार्मेंस का भी पैमाना बने. उन्होंने सरकारी स्कूलों के प्रमाणीकरण और छात्रों के 10वीं और 12वीं के बाद उसके करियर से जुड़े पोर्टल को आवश्यक बताया है.
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर जोर
कार्यक्रम के दौरान मुख्य सचिव ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता के लिए शिक्षकों की क्षमता निर्माण के साथ-साथ उचित वातावरण महत्वपूर्ण है. आज समाज के लिए गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा ही उद्देश्य है. शिक्षा विभाग का दायित्व भी यही है कि वह स्कूलों में शिक्षा को कैसे बेहतर करे और उसके लिए शिक्षकों के प्रशिक्षण और अन्य कमियों को समय रहते दूर करने का प्रयास करे.
स्थानीय रोल मॉडल हो विकसित
मुख्य सचिव ने स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में स्थानीय रोल मॉडल डेवलप करने पर बल दिया है. इससे हर छात्र, शिक्षक और अभिभावक एक दूसरे को जान पाएंगे. उन्होंने कहा कि इसे लेकर हर प्रखंड में एक लीडर स्कूल की परिकल्पना की गई है. शैक्षणिक माहौल से युक्त एक ऐसा स्कूल जिसमें सभी छात्र पढ़ना चाहें और अभिभावक पढ़ाना चाहे. एक स्कूल दूसरे स्कूल के साथ स्वस्थ प्रतिस्पर्धा कर खुद आगे बढ़ें. उन्होंने राज्य भर से आए शिक्षकों और शिक्षा अधिकारियों को इस दिशा में आगे बढ़ने का आह्वान किया.
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करियर पोर्टल के माध्यम से रोजगार की संभावना
मुख्य सचिव ने कहा कि शिक्षा विभाग के करियर पोर्टल की जरूरतों के अनुसार लगातार अपग्रेड करते रहने की आवश्यकता पर भी बल दिया गया है. सिर्फ डिग्रियां जुटाना शिक्षा का मानक नहीं हो सकता है. शिक्षा को रोजगार और सामाजिक स्तर का आधार बनाना होगा. उन्होंने हर स्कूल के एक कुशाग्र छात्र को अपने जूनियर छात्र को एडॉप्ट कर पढ़ाने पर बल देते हुए कहा कि इसका व्यापक लाभ मिल सकता है.