रांची: झारखंड सरकार राज्य में जनसंख्या नियंत्रण पर काफी जोर दे रही है. सरकार प्रजनन दर को 2.1 पर लाने के लिए काफी मशक्कत कर रही है और परिवार नियोजन की कई योजनाएं चला रही है. बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए हो रहे प्रयास पर कोरोना ने बहुत बुरा असर डाला है. राज्य में बंध्याकरण और पुरुष नसबंदी लक्ष्य से दूर हो गया है. राजधानी रांची की स्थिति तो और भी खराब है.
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सिविल सर्जन ने साधी चुप्पी, नोडल पदाधिकारी बोले-कोरोना के चलते दूर रह गया लक्ष्य
रांची पुरुष नसबंदी, महिला बंध्याकरण, कॉपर टी और PPIUCD सब में पीछे छूट गया. आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2019-20 और 2020-21 में 40-45% लक्ष्य ही हासिल किया जा सका. रांची जिले की फैमिली प्लानिंग की लचर स्थिति पर जब हमने सिविल सर्जन डॉ. विनोद कुमार से सवाल पूछा तो उन्होंने चुप्पी साध ली. नोडल पदाधिकारी डॉ. पंकज का कहना है कि कोरोना के चलते पूरा स्वास्थ्य तंत्र कोविड मैनेजमेंट में लगा था. ज्यादातर सरकारी अस्पताल को कोविड अस्पताल बना दिया गया था. यहां तक कि पेरिफेरी के डॉक्टर, नर्सों और अन्य स्टाफ को भी कोविड ड्यूटी में लगा दिया गया था. इसी के चलते फैमिली प्लानिंग का प्रोग्राम बहुत प्रभावित हुआ.
9 जिलों में प्रजनन दर
आंकड़े बताते हैं कि सिर्फ रांची में फैमिली प्लानिंग अभियान कोरोना की वजह से प्रभावित नहीं हुआ है बल्कि पूरे राज्य में कमोबेश ऐसी ही स्थिति रही. यह स्थिति तब रही जब 2019-20 वाला ही टारगेट 2020-21 में दिया गया. झारखंड के 24 में से 9 जिले ऐसे हैं जहां प्रजनन दर 3 से ऊपर है.
ये जिले हैं-
- पाकुड़
- दुमका
- साहिबगंज
- गोड्डा
- चतरा
- लोहरदगा
- गुमला
- गढ़वा
- पश्चिमी सिंहभूम
30 सितंबर तक चलेगा विशेष कार्यक्रम
परिवार नियोजन का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए विश्व गर्भ निरोधक दिवस के उपलक्ष्य में 30 सितंबर तक विशेष कार्यक्रम चलाया जाएगा और लोगों को परिवार नियोजन के साधनों को अपनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा. राज्य में फैमिली प्लानिंग देख रहीं गुंजन खलखो यह तो मानती हैं कि कई जिलों में परिवार नियोजन कार्यक्रम की उपलब्धि कोरोना की वजह से कम रही लेकिन ओवरऑल यह संतोषजनक है. उन्होंने कहा कि कई परेशानियों के बावजूद राज्य स्तर पर उपलब्धि ठीक ठाक रही.