रांची: झारखंड में टाना भगतों की एक अलग पहचान है. इन्हें बापू का सच्चा अनुयायी कहा जाता है. आज भी यह समाज चरखा लगे झंडे की पूजा करता है. सिर पर गांधी टोपी इनकी पहचान है, लेकिन चतरा में अशोका कोलियरी प्रोजेक्ट के कारण इनपर उजड़ने का खतरा मंडरा रहा है. लिहाजा, कोलियरी का काम बंद कराने और जमीन की बंदोबस्ती के कागज की मांग को लेकर चतरा के टाना भगतों का एक प्रतिनिधिमंडल प्रोजेक्ट भवन आ पहुंचें. सीएम से तो इनकी मुलाकात नहीं हुई, लेकिन वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने इनकी बातों को सुना.
टाना भगत के साथ दुर्व्यवहार
ईश्वर टाना भगत ने कहा कि चतरा के कल्याणपुर में हमारे पूर्वजों ने जंगल और खूंटकटी जमीन पर पसीना बहाकर उसके खेती लायक बनाया, लेकिन दशकों गुजरने के बाद भी संबंधित जमीन की बंदोबस्ती उनके नाम से नहीं हुई. अब यहां अशोका कोलियरी प्रोजेक्ट के तहत कोयला निकासी के लिए काम शुरू किया जा रहा है. इसका विरोध करने पर जिला प्रशासन के लोग उनसे दुर्व्यवहार करते हैं. उन्हें जबरन उजाड़ा जा रहा है. सरकार को चाहिए कि जिस जमीन पर टाना भगत दशकों से खेती करते आ रहे हैं उसकी बंदोबस्ती होनी चाहिए.
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महिलाओं का हुआ अपमान
चतरा के ठेठांगी से आए प्रदीप टाना भगत ने कहा कि मंगलवार यानी 6 अक्टूबर को पूरा फोर्स भरकर खुदाई शुरू की गई है. इसका विरोध करने पर मारपीट की गई. महिलाओं को अपमानित किया गया.
नए सिरे से दिलाएंगे न्याय
टाना भगत की बात सुनने के बाद वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि वे समझते हैं टाना भगतों के साथ ज्यादती हुई है. पहले भी हुई है और अब भी जारी है. इनको जो अधिकार मिलना चाहिए था, मिला नहीं. आजादी की लड़ाई में इन्होंने जमीन खोया. कांग्रेस सरकार ने इनके हित में टाना भगत लैंड रिस्टोरेश एक्ट बनाया, लेकिन फिर भी इनको लाभ नहीं मिल पाया. वे मानते हैं कि इन्हें न्याय नहीं मिला. लेकिन वे नये सिरे से उनको न्याय दिलाएंगे.