ETV Bharat / state

सुषमा स्वराज का निधन, पूरे देश में शोक की लहर

देश की पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का निधन हो गया. दिल्ली के एम्स में उन्होंने अंतिम सांस ली.

नहीं रहीं सुषमा
author img

By

Published : Aug 7, 2019, 12:09 AM IST

नई दिल्ली: बीजेपी की वरिष्ठ नेत्री और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की देर शाम दिल्ली के AIIMS में निधन हो गया. उन्हें देर शाम हार्ट अटैक आने के बाद उनके परिजनों ने एम्स में भर्ती करवाया गया था.

सुषमा स्वराज का निधन

सुषमा स्वराज की तबियत बिगड़ने पर उन्हें रात में करीब 10 बजे एम्स लाया गया था. उनका हालचाल जानने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी एम्स पहुंचे, जिसके बाद 11 बजकर 18 मिनट पर एम्स की ओर से उनकी निधन की जानकारी दी गई.

आपको बता दें पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रही थीं. इसी वजह से उन्होंने लोकसभा का चुनाव भी नहीं लड़ा था.

नई दिल्ली: बीजेपी की वरिष्ठ नेत्री और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की देर शाम दिल्ली के AIIMS में निधन हो गया. उन्हें देर शाम हार्ट अटैक आने के बाद उनके परिजनों ने एम्स में भर्ती करवाया गया था.

सुषमा स्वराज का निधन

सुषमा स्वराज की तबियत बिगड़ने पर उन्हें रात में करीब 10 बजे एम्स लाया गया था. उनका हालचाल जानने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी एम्स पहुंचे, जिसके बाद 11 बजकर 18 मिनट पर एम्स की ओर से उनकी निधन की जानकारी दी गई.

आपको बता दें पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रही थीं. इसी वजह से उन्होंने लोकसभा का चुनाव भी नहीं लड़ा था.

Intro:आजादी के बाद आज तक इन संथाल आदिवासी गॉव में बिजली,पानी,सड़क ,स्वास्थ्य नही पंहुचा। सुखी लकड़ी और बांस बेचकर अपना गृहस्थी जीवन चलाने को मजबूर आदिवासी।
संथाल परगना इन संथाल के नाम से ब्रिटिश हुकूमत ने नामकरण किया था। संथाल परगना में सहिबगंज,दुमका,पाकुड़,गोड्डा,देवघर आता है इन जिलों में संथाल आदिवासी समाज बहुतायत रूप में पाया जाता है। इनका मुख्य पेश लकड़ी ,और बांस बेचकर जीवन यापन चलाना। आजादी के बाद 72 साल बितनो को है लेकिन डिजिटल इंडिया से 100 कोस दूर है है सिविधा।


Body:आजादी के बाद आज तक इन संथाल आदिवासी गॉव में बिजली,पानी,सड़क ,स्वास्थ्य नही पंहुचा। सुखी लकड़ी और बांस बेचकर अपना गृहस्थी जीवन चलाने को मजबूर आदिवासी।
स्टोरी-स्पेशल-सहिबगंज-- आजादी के 72 साल के बाद भी इन संथाल की बस्ती में जमीनी सुविधा नही पहुची। पहाड़ो पर बसने वाले कई गॉव में आज तक बिजली नही पहुची । इन गॉव तक पहुचने के लिए सड़क नही बन पाया। इन लोगो को पीने के लिए पानी की कोई सुविधा नही है चार से पांच किमी चलकर झरना से पानी लेकर प्यास बुझाते है और खाना बनाते है।
इन आदिवासी का मुख्य पेशा पहाड़ो पर से सुखी लकड़ी और बांस को समतल जमीन पर लाकर हांट में बेचना या स्कूलों में या लोगो के घर घर जाकर आने पोन दाम में बेचकर वापस पहाड़ो चढ़ जाते है। जो भी बेचकर पैसा मिलता है उससे आटा, दाल,चावल,नमक और पीने का बोतल पानी खरीदकर पहाड़ो पर बसे गॉव में चले जाते है।
पहाड़ो पर कई ऐसे गॉव है जहाँ मूलभूत सुविधा आज तक नही पहुचा। तेतरिया,अदरो गॉव,दुर्गा पहाड़, खुटा पहाड़,दुमकी पहाड़,करम पहाड़,जार,खेसारी पहाड़ में बसने वालो इन आदिवादी गॉवो में सरकार की योजना नही पहुचीं।
कुछ संथाली महिला का कहना है कि मीडिया वाला आता है फ़ोटो खिंचकर चला जाता है और इस गॉव के लिए कुछ नही करता है कहा कि इन गॉवो में आज तक बिजली नही पहुचीं। पोल का खम्बा गाड़ दिया है लेकिन आज तक बिजली का आता पता नही है। समतल सड़क से इन गॉवो तक पहुचने के लिए सड़क नही बन पाया है बारिश हो जाय तो आना जाना बंद हो जाता है। पानी का कोई प्रबंध नही हुआ। कोसो दूर झरना से पानी लाने के लिए जाते है। समय अधिक लगता है । इन गॉव में स्वास्थ्य की सुविधा नही है। आज भी पूर्वजो जैसी जिंदगी जी रहे है। कोई भी सुविधा नही मिल पाया है।
कुछ संथाली युवकों का कहना है कि पहाड़ से सूखी लकड़ी और बांस लाकर बेंचते है इसी से परिवार चलता है। दूसरा कोई साधन नही है गाय,भैस,बैल, सुवर को पालते है। कहा कि रबी और खरीफ फसल में फसल को काटते है। जो मजदूरी मिलता है उससे परिवार चलाते है।
बाइट-- सुनीता टुड्डू, मेरी मुर्मू,
बाइट-- सलखन मुर्मू
पेयजल पदाधिकारी ने कहा कि 14 वे मद से इन आदिवादी गॉवो में पानी की सुविधा दी जाएगी। रिटेंडर कि प्रकिर्या के तहत इन गॉवो में सोलर से पानी पहुचाया जाएगा। आशा है बहुत जल्द आकांक्षी योजना के साथ इन गांव में पानी की समुचित व्यवस्था करा दी जाएगी।
बाइट- विजय एडविन, पीएचडी पदाधिकारी,सहिबगंज
उपायुक्त ने कहा कि आकांक्षी योजना के तहत बिजली,पानी, स्वास्थ्य ,शिक्षा की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। कहा कि इन आदिवासी को गाय अनुदान पर दी जाएगी। रोजगार भी मिलेगा और दूध खाकर स्वास्थ्य रहेंगे।
बाइट-- राजीव रंजन,डीसी,सहिबगंज


Conclusion:देखना होगा कि इन संथाल आदिवासी समाज का कब उत्थान होता है क्या खबर का असर पड़ता है या नही।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.