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हर घर सर्वेक्षण अभियान की शुरुआत, ग्रामीण इलाकों में कोरोना को फैलने से रोकने की मुहिम

झारखंड के तीन करोड़ लोगों की कोरोना से सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए घर-घर जाकर सर्वेक्षण को सफल बनाने का प्रशिक्षण कार्यक्रम 21 मई से शुरू हो गया है. सर्दी, बुखार और कोरोना से मिलते-जुलते लक्षण वाले लोगों को आइसोलेट करने की व्यवस्था की जाएगी.

survey campaign started to prevent corona infection in ranchi
राजधानी में मुख्यमंत्री के निर्देश पर कोरोना संक्रमण रोकने के लिए हर घर सर्वेक्षण अभियान शुरू, जानिए क्या है खास
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Published : May 23, 2021, 12:30 PM IST

रांचीः कोरोना की दूसरी लहर से ग्रामीणों को बचाने के लिए राज्य सरकार ने सबसे बड़े हेल्थ सर्वे कार्यक्रम की शुरुआत की है. स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी, नर्स, आंगनबाड़ी की सेविका, दीदी, सहिया और पंचायत स्तर के अधिकारियों के सहयोग से हर एक घर के दरवाजे पर जाकर स्वास्थ्य कार्यकर्ता सर्दी, बुखार और कोरोना से मिलते-जुलते लक्षण वाले लोगों को पंचायत स्तर पर आइसोलेट करने की व्यवस्था करेंगे.

इसे भी पढ़ें- झारखंड में कोरोना की रफ्तार हुई कम, 24 घंटे में मिले 2,037 नए मरीज, 41 लोगों की गई जान

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दिए हैं निर्देश

बता दें कि सीएम की ओर से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को संक्रमण के प्रसार को सीमित करने के लिए डोर-टू-डोर अभियान की योजना बनाने और शुरू करने के निर्देश पर अमल की प्रक्रिया शुरू हो गई है. अपर मुख्य सचिव ने इस संबंध में सभी उपायुक्तों को घर-घर जाकर अभियान की विस्तृत योजना के लिए पत्र जारी किया है. एनआरएचएम झारखंड को आरएटी परीक्षण और लक्षणों के आधार पर संभावित कोविड रोगियों की पहचान के लिए फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण की जिम्मेदारी दी गई है.

शुरू हुआ प्रशिक्षण कार्यक्रम

झारखंड के तीन करोड़ लोगों की कोरोना से सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सखी मंडल की दीदी समेत हजारों स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और अन्य हितधारकों को घर-घर जाकर सर्वेक्षण को सफल बनाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम 21 मई को शुरू हुआ. प्रशिक्षण राज्य के हर ब्लॉक में आयोजित की गई है. प्रखंड प्रशिक्षण दल की ओर से एएनएम, सीएचओ, एमपीडब्ल्यू और सहिया दीदी को प्रशिक्षित किया जा रहा है. परीक्षण प्रारूप के अलावा फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं को ऑक्सीमीटर परिणाम तापमान और अन्य संबंधित लक्षणों को पढ़ने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है. ये संभावित संक्रमित रोगी की पहचान करने में मदद करेगा, जिसे बाद में कोविड-19 परीक्षण के लिए परीक्षण केंद्रों में भेजा जा सकता है. सभी एमओआईसी और एएनएम के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम वर्चुअल सत्रों के साथ शुरू हुआ है. प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान सभी प्रतिभागियों को डोर टू डोर अभियान कार्यक्रम की अवधारणा के बारे में जानकारी दी गई. सर्वेक्षण के लिए जाते समय कोविड उपयुक्त सुरक्षा व्यवहार, रोगी में लक्षण और RAT परीक्षण के बारे में बताया जा रहा है.

हेल्थ सर्वे की मुख्य बातें

  • घर-घर जाकर कोरोना लक्षण वालों के सर्वेक्षण की प्रक्रिया शुरू
  • स्वास्थ्य कर्मियों को दिया जा रहा है प्रशिक्षण
  • हर पंचायत में संचालित होंगे आइसोलेशन सेंटर
  • ग्रामीण आबादी में संक्रमण प्रसार को रोकना है सरकार का उद्देश्य

चिकित्सा सहायता सुनिश्चित करने के लिए डोर-टू-डोर सर्वेक्षण

डोर टू डोर सर्वे के दौरान फ्रंटलाइन वर्कर्स की टीम संबंधित पंचायत के हर घर का दौरा करेगी. इस दौरान किसी घर में कोई भी सकारात्मक मामला, पिछले दो महीनों में किसी की भी मौत या कोविड के लक्षणों वाले व्यक्ति की पहचान के लिए हर घर का सर्वेक्षण किया जाएगा. अगर परिवार का कोई सदस्य संक्रमित पाया जाता है, तो टीम ये सुनिश्चित करेगी कि परिवार के अन्य सदस्यों का भी परीक्षण हो. इसके लिए एक परीक्षण केंद्र भी काम करेगा. अगर किसी में कोविड के लक्षण पाए जाते हैं, तो उन्हें जल्द से जल्द परीक्षण के लिए ले जाया जाएगा. प्रत्येक पंचायत में एक क्वॉरेंटाइन सेंटर भी संचालित होगा, ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि जो कोई भी पॉजिटिव पाया जाता है, वो अपने परिवार के अन्य लोगों से दूर रहे. प्रत्येक रोगी की स्वास्थ्य स्थिति की जांच के लिए प्रत्येक जांच केंद्र पर एक सहिया के साथ एक सीएचओ को नियुक्त किया जाएगा. किसी भी व्यक्ति के स्वास्थ्य में किसी भी प्रकार की गिरावट दिखाई देने पर उसे तुरंत नजदीकी कोविड देखभाल केंद्र में भेजा जा सकता है. कोई भी संक्रमित रोगी, जिसमें हल्के लक्षण हैं और घर पर अलग-थलग रहने के लिए फिट बैठता है, उसे सभी आवश्यक जानकारी और दवा के साथ कोविड देखभाल चिकित्सा किट प्रदान की जाएगी.

रांचीः कोरोना की दूसरी लहर से ग्रामीणों को बचाने के लिए राज्य सरकार ने सबसे बड़े हेल्थ सर्वे कार्यक्रम की शुरुआत की है. स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी, नर्स, आंगनबाड़ी की सेविका, दीदी, सहिया और पंचायत स्तर के अधिकारियों के सहयोग से हर एक घर के दरवाजे पर जाकर स्वास्थ्य कार्यकर्ता सर्दी, बुखार और कोरोना से मिलते-जुलते लक्षण वाले लोगों को पंचायत स्तर पर आइसोलेट करने की व्यवस्था करेंगे.

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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दिए हैं निर्देश

बता दें कि सीएम की ओर से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को संक्रमण के प्रसार को सीमित करने के लिए डोर-टू-डोर अभियान की योजना बनाने और शुरू करने के निर्देश पर अमल की प्रक्रिया शुरू हो गई है. अपर मुख्य सचिव ने इस संबंध में सभी उपायुक्तों को घर-घर जाकर अभियान की विस्तृत योजना के लिए पत्र जारी किया है. एनआरएचएम झारखंड को आरएटी परीक्षण और लक्षणों के आधार पर संभावित कोविड रोगियों की पहचान के लिए फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण की जिम्मेदारी दी गई है.

शुरू हुआ प्रशिक्षण कार्यक्रम

झारखंड के तीन करोड़ लोगों की कोरोना से सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सखी मंडल की दीदी समेत हजारों स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और अन्य हितधारकों को घर-घर जाकर सर्वेक्षण को सफल बनाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम 21 मई को शुरू हुआ. प्रशिक्षण राज्य के हर ब्लॉक में आयोजित की गई है. प्रखंड प्रशिक्षण दल की ओर से एएनएम, सीएचओ, एमपीडब्ल्यू और सहिया दीदी को प्रशिक्षित किया जा रहा है. परीक्षण प्रारूप के अलावा फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं को ऑक्सीमीटर परिणाम तापमान और अन्य संबंधित लक्षणों को पढ़ने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है. ये संभावित संक्रमित रोगी की पहचान करने में मदद करेगा, जिसे बाद में कोविड-19 परीक्षण के लिए परीक्षण केंद्रों में भेजा जा सकता है. सभी एमओआईसी और एएनएम के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम वर्चुअल सत्रों के साथ शुरू हुआ है. प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान सभी प्रतिभागियों को डोर टू डोर अभियान कार्यक्रम की अवधारणा के बारे में जानकारी दी गई. सर्वेक्षण के लिए जाते समय कोविड उपयुक्त सुरक्षा व्यवहार, रोगी में लक्षण और RAT परीक्षण के बारे में बताया जा रहा है.

हेल्थ सर्वे की मुख्य बातें

  • घर-घर जाकर कोरोना लक्षण वालों के सर्वेक्षण की प्रक्रिया शुरू
  • स्वास्थ्य कर्मियों को दिया जा रहा है प्रशिक्षण
  • हर पंचायत में संचालित होंगे आइसोलेशन सेंटर
  • ग्रामीण आबादी में संक्रमण प्रसार को रोकना है सरकार का उद्देश्य

चिकित्सा सहायता सुनिश्चित करने के लिए डोर-टू-डोर सर्वेक्षण

डोर टू डोर सर्वे के दौरान फ्रंटलाइन वर्कर्स की टीम संबंधित पंचायत के हर घर का दौरा करेगी. इस दौरान किसी घर में कोई भी सकारात्मक मामला, पिछले दो महीनों में किसी की भी मौत या कोविड के लक्षणों वाले व्यक्ति की पहचान के लिए हर घर का सर्वेक्षण किया जाएगा. अगर परिवार का कोई सदस्य संक्रमित पाया जाता है, तो टीम ये सुनिश्चित करेगी कि परिवार के अन्य सदस्यों का भी परीक्षण हो. इसके लिए एक परीक्षण केंद्र भी काम करेगा. अगर किसी में कोविड के लक्षण पाए जाते हैं, तो उन्हें जल्द से जल्द परीक्षण के लिए ले जाया जाएगा. प्रत्येक पंचायत में एक क्वॉरेंटाइन सेंटर भी संचालित होगा, ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि जो कोई भी पॉजिटिव पाया जाता है, वो अपने परिवार के अन्य लोगों से दूर रहे. प्रत्येक रोगी की स्वास्थ्य स्थिति की जांच के लिए प्रत्येक जांच केंद्र पर एक सहिया के साथ एक सीएचओ को नियुक्त किया जाएगा. किसी भी व्यक्ति के स्वास्थ्य में किसी भी प्रकार की गिरावट दिखाई देने पर उसे तुरंत नजदीकी कोविड देखभाल केंद्र में भेजा जा सकता है. कोई भी संक्रमित रोगी, जिसमें हल्के लक्षण हैं और घर पर अलग-थलग रहने के लिए फिट बैठता है, उसे सभी आवश्यक जानकारी और दवा के साथ कोविड देखभाल चिकित्सा किट प्रदान की जाएगी.

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