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छठी जेपीएससी में सुप्रीम कोर्ट ने 326 चयनित छात्रों को रखा बहाल, हाई कोर्ट के फैसले को ठहराया गलत - Jharkhand News

6th JPSC में सुप्रीम कोर्ट ने 326 चयनित छात्रों को बहाल रखा और Jharkhand High Court के द्वारा दिए गए फैसले को गलत करार दिया, जिसमें की 62 चयनित अभ्यर्थी नौकरी से बाहर हो रहे थे.

Supreme Court Decision in sixth JPSC
Supreme Court Decision in sixth JPSC
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Published : Aug 25, 2022, 1:19 PM IST

Updated : Aug 25, 2022, 3:20 PM IST

रांची: छठी जेपीएससी में सुप्रीम कोर्ट ने 326 चयनित छात्रों को बहाल रखा और हाई कोर्ट के द्वारा दिए गए फैसले को गलत करार दिया. झारखंड हाई कोर्ट के इस फैसले में 62 चयनित अभ्यर्थी बाहर हो रहे थे. छठी जेपीएससी रिवाइज्ड रिजल्ट को चुनौती देने वाली याचिका पर 28 जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई पूरी हो गई थी. अदालत ने आदेश (Supreme Court Decision in sixth JPSC) सुरक्षित रख लिया था. उसकी समय से सभी पक्षों को फैसले का इंतजार था.

इसे भी पढ़ें: छठी जेपीएससी मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी, अदालत ने आदेश रखा सुरक्षित

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता की दलीलें: सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस सीटी रवि कुमार की खंडपीठ में मामले पर सुनवाई हुई थी. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता शुभाशीष सोरेन ने अदालत में दलील देते हुए कहा कि पेपर वन का अंक जोड़ा जाना सही है लेकिन, यह मुख्य परीक्षा से ही जोड़ा जाना चाहिए, ताकि सभी अभ्यर्थियों को एक समान साक्षात्कार में मौका दिया जा सके. इसलिए उन्होंने सुप्रीम अदालत से यह गुहार लगाई कि फिर से साक्षात्कार लेने का आदेश दिया जाए. उन्होंने कहा था कि राज्य सरकार या जेपीएससी ने किसी भी तरह की सर्कुलर में कोई बदलाव नहीं किया है. जिस पर अदालत ने उन्हें लिखित जवाब पेश करने को कहा था.

अभ्यर्थियों के अधिवक्ता की दलीलें: रिजल्ट में बाहर किए गए अभ्यर्थियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल एवं वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस पटवालिया ने पक्ष रखा. मौके पर वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस पटवालिया ने पक्ष रखते हुए जेपीएससी के द्वारा रिवाइज्ड रिजल्ट के मार्किंग पैटर्न को सही बताया है. वहीं वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत को बताया कि जेपीएससी ने कई बार अपना स्टैंड बदला है इसलिए पेपर 1 का अंक फाइनल मेरिट लिस्ट में नहीं जुड़ सकता इसके लिए कई बाध्यताएं हैं. इसके साथ ही उन्होंने पूरी प्रक्रिया को रद्द करने की मांग की थी.

अभ्यर्थियों ने किया रिवाइज्ड रिजल्ट का विरोध: इस मामले में नौकरी कर रहे वैसे अभ्यार्थी जो रिवाइज्ड रिजल्ट में बाहर हो रहे थे. उनकी ओर से अदालत में रिवाइज रिजल्ट का विरोध कर कहा गया कि यह उचित नहीं है. रिवाइज्ड रिजल्ट निकाला जाना ही गलत है. जेपीएससी बार-बार अपना स्टैंड बदल रहा है. बगैर नोटिफिकेशन के रिजल्ट चेंज कैसे किया जा सकता है. अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था.

रिवाइज्ड रिजल्ट से अभ्यर्थियों को क्या नुकसान था: दरअसल, झारखंड हाई कोर्ट के डबल बेंच ने 23 फरवरी 2022 को छठी जेपीएससी की पूर्व मेरिट लिस्ट रद्द कर नई मेरिट लिस्ट जारी करने का आदेश दिया था. डबल बेंच ने एकल पीठ के आदेश को बरकरार रखा था. झारखंड हाई कोर्ट के आदेश के बाद नई मेरिट लिस्ट में 326 सफल अभ्यर्थियों में से 62 की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा था. हाईकोर्ट के इसी आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट में खंडपीठ ने अपने फैसले में झारखंड हाई कोर्ट के सिंगल बेंच और डबल बेंच का आदेश निरस्त कर एसएलपी एलाव कर दिया है.

रांची: छठी जेपीएससी में सुप्रीम कोर्ट ने 326 चयनित छात्रों को बहाल रखा और हाई कोर्ट के द्वारा दिए गए फैसले को गलत करार दिया. झारखंड हाई कोर्ट के इस फैसले में 62 चयनित अभ्यर्थी बाहर हो रहे थे. छठी जेपीएससी रिवाइज्ड रिजल्ट को चुनौती देने वाली याचिका पर 28 जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई पूरी हो गई थी. अदालत ने आदेश (Supreme Court Decision in sixth JPSC) सुरक्षित रख लिया था. उसकी समय से सभी पक्षों को फैसले का इंतजार था.

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याचिकाकर्ता के अधिवक्ता की दलीलें: सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस सीटी रवि कुमार की खंडपीठ में मामले पर सुनवाई हुई थी. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता शुभाशीष सोरेन ने अदालत में दलील देते हुए कहा कि पेपर वन का अंक जोड़ा जाना सही है लेकिन, यह मुख्य परीक्षा से ही जोड़ा जाना चाहिए, ताकि सभी अभ्यर्थियों को एक समान साक्षात्कार में मौका दिया जा सके. इसलिए उन्होंने सुप्रीम अदालत से यह गुहार लगाई कि फिर से साक्षात्कार लेने का आदेश दिया जाए. उन्होंने कहा था कि राज्य सरकार या जेपीएससी ने किसी भी तरह की सर्कुलर में कोई बदलाव नहीं किया है. जिस पर अदालत ने उन्हें लिखित जवाब पेश करने को कहा था.

अभ्यर्थियों के अधिवक्ता की दलीलें: रिजल्ट में बाहर किए गए अभ्यर्थियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल एवं वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस पटवालिया ने पक्ष रखा. मौके पर वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस पटवालिया ने पक्ष रखते हुए जेपीएससी के द्वारा रिवाइज्ड रिजल्ट के मार्किंग पैटर्न को सही बताया है. वहीं वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत को बताया कि जेपीएससी ने कई बार अपना स्टैंड बदला है इसलिए पेपर 1 का अंक फाइनल मेरिट लिस्ट में नहीं जुड़ सकता इसके लिए कई बाध्यताएं हैं. इसके साथ ही उन्होंने पूरी प्रक्रिया को रद्द करने की मांग की थी.

अभ्यर्थियों ने किया रिवाइज्ड रिजल्ट का विरोध: इस मामले में नौकरी कर रहे वैसे अभ्यार्थी जो रिवाइज्ड रिजल्ट में बाहर हो रहे थे. उनकी ओर से अदालत में रिवाइज रिजल्ट का विरोध कर कहा गया कि यह उचित नहीं है. रिवाइज्ड रिजल्ट निकाला जाना ही गलत है. जेपीएससी बार-बार अपना स्टैंड बदल रहा है. बगैर नोटिफिकेशन के रिजल्ट चेंज कैसे किया जा सकता है. अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था.

रिवाइज्ड रिजल्ट से अभ्यर्थियों को क्या नुकसान था: दरअसल, झारखंड हाई कोर्ट के डबल बेंच ने 23 फरवरी 2022 को छठी जेपीएससी की पूर्व मेरिट लिस्ट रद्द कर नई मेरिट लिस्ट जारी करने का आदेश दिया था. डबल बेंच ने एकल पीठ के आदेश को बरकरार रखा था. झारखंड हाई कोर्ट के आदेश के बाद नई मेरिट लिस्ट में 326 सफल अभ्यर्थियों में से 62 की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा था. हाईकोर्ट के इसी आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट में खंडपीठ ने अपने फैसले में झारखंड हाई कोर्ट के सिंगल बेंच और डबल बेंच का आदेश निरस्त कर एसएलपी एलाव कर दिया है.

Last Updated : Aug 25, 2022, 3:20 PM IST
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