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200 दिनों का हो मनरेगा कार्यदिवस, सुदेश महतो ने सरकार से की मांग - मनरेगा

कोरोना के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में हो रही परेशानी को देखते हुए पूर्व उपमुख्यमंत्री और आजसू अध्यक्ष सुदेश महतो ने मनरेगा कार्य दिवस को 100 दिन के बजाय 200 दिनों का करने की मांग की है.

ranchi
आजसू
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Published : May 13, 2021, 9:39 PM IST

रांची: कोरोना में सब परेशान है, कई लोगों को नौकरी नहीं मिल रही है, खास कर के ग्रामीण इलाकों में नौकरी की बहुत दिक्कत है. इसी को देखते हुए पूर्व उपमुख्यमंत्री और आजसू अध्यक्ष सुदेश महतो ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मनरेगा मजदूरों के लिए 200 कार्यदिवस की मांग की है.

ये भी पढ़े- कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों का सरकार रखेगी ध्यान, CM ने जारी किया हेल्पलाइन नंबर

200 दिनों का हो मनरेगा

सुदेश माहतो ने कहा कि इस वर्ष 2021-22 में प्रभावित लोगों को आर्थिक संबल प्रदान करने के लिए मनरेगा में निर्धारित 100 दिनों के रोजगार को बढ़ाकर प्रति परिवार 200 दिन किया जाना चाहिए. जिससे ग्रामीण मजदूरों की आय बनी रहे. उन्होंने राज्य के मनरेगा मजदूरों के बकाया राशि जारी करने की मांग करते हुए कहा कि इसके अतिरिक्त राशि भी मजदूरों को तत्काल उपलब्ध कराई जाए. उन्होंने कहा कि मनरेगा ग्रामीण श्रमिकों की जीवन रेखा है. लॉकडाउन के कारण दिहाड़ी मजदूर, लघु सीमांत किसान, कृषि श्रमिक और निर्माण श्रमिक सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं. ऐसे संकट काल में ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक रूप से पिछड़े और लॉकडाउन के कारण प्रभावित लोगों को आर्थिक संबल प्रदान करने का सबसे अच्छा उपाय मनरेगा योजना ही है.

आर्थिक पैकेज का हो एलान

सुदेश महतो ने इसके साथ ही राज्य सरकार से अपील करते हुए कहा कि एक आर्थिक राहत पैकेज की घोषणा सरकार को करनी चाहिए. कोरोना के दूसरे लहर के कारण राज्य के गरीब किसान, मजदूर, व्यापारी भी बर्बादी के कगार पर हैं.

रांची: कोरोना में सब परेशान है, कई लोगों को नौकरी नहीं मिल रही है, खास कर के ग्रामीण इलाकों में नौकरी की बहुत दिक्कत है. इसी को देखते हुए पूर्व उपमुख्यमंत्री और आजसू अध्यक्ष सुदेश महतो ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मनरेगा मजदूरों के लिए 200 कार्यदिवस की मांग की है.

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200 दिनों का हो मनरेगा

सुदेश माहतो ने कहा कि इस वर्ष 2021-22 में प्रभावित लोगों को आर्थिक संबल प्रदान करने के लिए मनरेगा में निर्धारित 100 दिनों के रोजगार को बढ़ाकर प्रति परिवार 200 दिन किया जाना चाहिए. जिससे ग्रामीण मजदूरों की आय बनी रहे. उन्होंने राज्य के मनरेगा मजदूरों के बकाया राशि जारी करने की मांग करते हुए कहा कि इसके अतिरिक्त राशि भी मजदूरों को तत्काल उपलब्ध कराई जाए. उन्होंने कहा कि मनरेगा ग्रामीण श्रमिकों की जीवन रेखा है. लॉकडाउन के कारण दिहाड़ी मजदूर, लघु सीमांत किसान, कृषि श्रमिक और निर्माण श्रमिक सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं. ऐसे संकट काल में ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक रूप से पिछड़े और लॉकडाउन के कारण प्रभावित लोगों को आर्थिक संबल प्रदान करने का सबसे अच्छा उपाय मनरेगा योजना ही है.

आर्थिक पैकेज का हो एलान

सुदेश महतो ने इसके साथ ही राज्य सरकार से अपील करते हुए कहा कि एक आर्थिक राहत पैकेज की घोषणा सरकार को करनी चाहिए. कोरोना के दूसरे लहर के कारण राज्य के गरीब किसान, मजदूर, व्यापारी भी बर्बादी के कगार पर हैं.

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