रांची: राजधानी के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में क्रानियोसिनेस्टोसिस नाम के बीमारी से ग्रसित एक बच्चे का जटिल ऑपरेशन कर डॉक्टरों ने जान बचा ली है. डॉक्टर ने कहा कि यह बीमारी लाखों में एक लोगों को होती है. इसीलिए इसका इलाज भी काफी मुश्किल है. डॉक्टर सीबी सहाय के नेतृत्व में न्यूरोलॉजी विभाग के सभी डॉक्टरों ने इस जटिल और कठिन ऑपरेशन को सफल बनाया.
ये भी पढ़ें: लगातार हो रही बारिश की वजह से रांची में आई फ्लू का बढ़ रहा संक्रमण, रिम्स में प्रतिदिन बढ़ रही मरीजों की संख्या
राज्य का सबसे बड़े अस्पताल रिम्स आए दिन अपने कार्यों के लिए चर्चा का विषय बना रहता है. कभी यह अपने लापरवाही के लिए चर्चा का विषय बना रहता है तो कभी यह अपने अच्छे कार्यों के लिए जाना जाता है. शुक्रवार को भी रिम्स के डॉक्टरों ने एक जटिल और कठिन ऑपरेशन को सफलतापूर्वक कर रिम्स का नाम रोशन किया.
बचपन से ही थी बीमारी: दरअसल झालदा के 8 वर्षीय राहुल को जन्म से ही क्रानियोसिनेस्टोसिस नामक दुर्लभ बीमारी थी. पिछले आठ वर्षो से राहुल इस बीमारी से परेशान था. डॉक्टरों ने बताया इस बीमारी की वजह से मरीज के सिर का आकार काफी बिगड़ जाता है. जिस वजह से दिमाग का समुचित विकास भी नहीं हो पाता है. कुछ ऐसी ही स्थिति राहुल की हो गई थी.
थक हार कर पहुंचे थे रिम्स: राहुल के माता-पिता ने बताया कि मरीज राहुल को कोलकाता, गुवाहाटी जैसे शहरों में इलाज करा कर थक गए. सभी डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए. कई जगह से हार कर उन्होंने अपने बच्चे को रिम्स में एडमिट कराया और डॉक्टर सीबी सहाय की निगरानी में बच्चे का इलाज शुरू करवाया. इलाज में लाखों रुपये इलाज के नाम पर खर्च कर चुके थे. रुपये खर्च करने के बावजूद भी राहुल का इलाज नहीं हो पाया. कई जगहों से निराशा हाथ लगने के बाद मरीज रिम्स के न्यूरोलॉजी विभाग के डॉक्टर सीबी सहाय के यूनिट में भर्ती हुए.
हड्डियों को लाया गया आकार में: कई दिनों तक चले इलाज के बाद डॉक्टर सीबी सहाय ने अपनी टीम के साथ मरीज के सिर का ऑपरेशन करने का निर्णय लिया. मरीज का ऑपरेशन बहुत ही जटिल और कठिन था. बावजूद डॉक्टरों ने यह निर्णय लिया और शुक्रवार को मरीज का सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया. डॉक्टर सीबी सहाय ने बताया कि ऑपरेशन में सिर की विभिन्न हड्डियों को काटकर सीधा किया गया साथ ही सही आकार में लाया गया. बच्चे को ऑपरेशन करने के बाद कई घंटे तक डॉक्टर के निगरानी में रखा गया. डॉक्टर ने बताया कि फिलहाल बच्चे की स्थिति सामान्य है और उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही बच्चे को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया जाएगा.
जानिए, क्या होता है क्रानियोसिनेस्टोसिसः यह एक प्रकार से जन्म दोष है, जिसमें बच्चे की खोपड़ी की हड्डियां बहुत जल्दी एक साथ जुड़ जाती है. यह शिशु का मस्तिष्क पूरी तरह विकसित होने से पहले होता है. जैसे-जैसे बच्चे का मस्तिष्क बढ़ता है, खोपड़ी अधिक विकृत हो सकती है. इसके अलावा जिनेटिक फैक्टर्स, सिंड्रोमिक या पर्यावरण से प्रभावित होने या फिर प्रीमैच्यूर बेबी के रूप में जन्म लेने से भी ये बीमारी हो सकती है. इस बीमारी के मुख्य लक्षण में सांस की समस्या, नींद ना आना, शारीरिक विकास में व्यवधान आना, आंखों की रोशनी कम होना भी शामिल है.