रांचीः पूर्व केंद्रीय मंत्री (Former union minister) सुबोधकांत सहाय ने कहा है कि एचईसी (HEC) झारखंड का गौरव है. यह देश में स्थापित उद्योगों का मदर प्लांट भी है, लेकिन भाजपा की गलत नीतियों के कारण एचईसी बर्बादी की कगार पर पहुंच गया है. सुबोधकांत सहाय शनिवार को कांग्रेस स्टेट हेड क्वार्टर में संवाददाता सम्मेलन में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि एचईसी को बचाने के लिए अपनी आखिरी क्षमता तक प्रयास करते रहेंगे.
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पूंजी के अभाव में नहीं शुरू हो रहा काम
उन्होंने कहा कि एचईसी में लगभग पांच हजार मजूदर स्थायी और अस्थायी रूप से कार्यरत हैं. करीब डेढ़ लाख की आबादी इस टाउनशिप है. वर्तमान में एचईसी में अफसरों को पांच महीने और मजदूरों को चार महीने से वेतन नहीं मिल रहा है.
साथ ही एचईसी के पास लगभग दो हजार करोड़ रुपये का कार्यादेश है लेकिन पूंजी न होने के कारण काम नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि पिछले 19 महीने से बीएचईल के चेयरमैन को ही एचईसी के चेयरमैन का अतिरिक्त प्रभार दिया गया हैं, जो सिर्फ चार बार ही कार्यालय आए हैं.
2004 में जिंदा करने का किया प्रयास
उन्होंने कहा कि वर्ष 2004 में जब यूपीए सरकार थी और हम मंत्री थे, तो विशेष पैकेज देकर एचईसी को जिंदा करने का प्रयास किया था. भारी उद्योग मंत्री जावेडकर से फोन पर बात कर एचईसी की वस्तुस्थिति से अवगत कराया है और कहा कि झारखंड और देश की अस्मिता के लिए एचईसी का चालू रहना अनिवार्य है. उन्होंने कहा कि एचईसी की जमीन को बेचकर नहीं, बल्कि लीज पर देकर भी पैसे की उगाही की जा सकती है.
मुख्यमंत्री से किया आग्रह
सुबोधकांत सहाय ने कहा कि भारी उद्योग मंत्री से आश्वासन मिला है. उन्होंने केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा से भी आग्रह करते हुए कहा है कि झारखंड की अस्मिता की रक्षा के लिए एचईसी को बचाने के लिए प्रयास करें. इसके साथ ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी संज्ञान लेकर एचईसी को पुर्नजीवित करने की अपील की.