रांची: झारखंड में 2016 से चल रहे हाई स्कूल शिक्षकों की नियुक्ति सरकार के लिए गले की हड्डी बन गई है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर झारखंड कर्मचारी चयन आयोग को 15 मार्च तक नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कर लेनी है. इन सबके बीच झारखंड कर्मचारी चयन आयोग के द्वारा 25 जनवरी को पूर्व में दो बार काउंसलिंग के दौरान अनुपस्थित रहे अभ्यर्थियों को एक बार फिर मौका दिए जाने के निर्णय का विरोध शुरू हो गया है.
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इसको लेकर रांची में प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों ने झारखंड कर्मचारी चयन आयोग के सामने प्रदर्शन किया. जेएसएससी के इस निर्णय के विरोध में परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों ने आयोग के कार्यालय का घेराव किया. राज्य के विभिन्न जिलों से आए सैकड़ों अभ्यर्थियों ने जेएसएससी पर इस नियुक्ति में गड़बड़ी करने का आशंका जताते हुए पूर्व में काउंसलिंग के दौरान अनुपस्थित रहे अभ्यर्थियों को मौका नहीं देने की मांग कर रहे थे.
आक्रोशित छात्रों ने सरकार और जेएसएससी की कार्यशैली पर नाराजगी जताते हुए कहा कि 2016 से या नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है और आज तक यह पूरा नहीं हुआ है. सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश का पालन झारखंड कर्मचारी चयन आयोग नहीं कर रहा है, जिसके कारण छात्र सड़क पर हैं. छात्रों के हंगामे के बीच झारखंड कर्मचारी चयन आयोग ने आक्रोशित छात्रों में से दो तीन छात्रों को अपनी बातों को रखने के लिए आयोग कार्यालय बुलाया है. जहां जल्द ही इस परीक्षा के राज्य स्तरीय मेरिट लिस्ट निकालने का आश्वासन दिया गया और जिन अभ्यर्थियों का मेरिट लिस्ट में काउंसलिंग नहीं हो पाया है उन्हें काउंसलिंग कराने की बात कही गई.
कानूनी लड़ाई में उलझता रहा हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति परीक्षा 2016ः हाईस्कूल शिक्षक नियुक्ति परीक्षा 2016 लंबे समय से कानूनी लड़ाई में उलझता रहा है. 2016 की नियोजन नीति के तहत झारखंड के 13 अनुसूचित जिलों के सभी तृतीय व चतुर्थ वर्गीय पदों को उसी जिले के लिए स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षित किया गया था. वहीं गैर अनुसूचित जिला में बाहरी अभ्यर्थियों को भी आवेदन करने की छूट दी गई थी.
इसी नीति के तहत वर्ष 2016 में अनुसूचित जिलों में 8,423 और गैर अनुसूचित जिलों में 9,149 पदों पर हाई स्कूल शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की गई थी. 13 अनुसूचित जिले के सभी तृतीय और चतुर्थ वर्गीय पदों को उसी जिले के लिए स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षित किए जाने के विरोध में झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई. हाई कोर्ट की लार्जर बेंच ने 21 सितंबर 2020 को राज्य सरकार की नियोजन नीति और हाईस्कूल शिक्षक नियुक्ति विज्ञापन को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुनाते हुए नियोजन नीति को असंवैधानिक बताते हुए उसे निरस्त कर दिया था.
हाई कोर्ट ने 13 जिलों में नियुक्त शिक्षकों की नियुक्ति को रद्द करते हुए गैर अनुसूचित जिलों की नियुक्ति को बरकरार रखा था. हाई कोर्ट के लार्जर बेंच के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थी सत्यजीत कुमार एवं अन्य की ओर से एसएलपी दायर की गई. जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने 2 अगस्त को इस मामले में फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार और जेएसएससी को प्रकाशित अंतिम मेधा सूची को आधार मानकर राज्यस्तरीय मेरिट लिस्ट जारी कर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने को कहा था.