रांची: नियोजन नीति को लेकर छात्रों का आंदोलन थमने का नाम नहीं ले रहा है. सरकार के नियोजन नीति के खिलाफ एक बार फिर छात्रों ने आंदोलन तेज करने की घोषणा की है, जिसके तहत अगले एक महीने तक चरणबद्ध आंदोलन किया जायेगा. वर्तमान 60-40 नियोजन नीति को हकमार बताते हुए छात्रों ने 10 मई से 11 जून तक महा जन आंदोलन का ऐलान किया है. जिसके तहत पहले चरण में 10 मई से 25 मई तक झारखंड के सभी विधायक और सांसदों से छात्र ज्ञापन सौंपकर उनसे लिखित समर्थन मांग रहे हैं.
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दूसरा चरण 26 मई से 6 जून तक चलेगा, जिसमें जन जागरण महाअभियान चलाया जाएगा. जिसमें छात्र नगाड़ा बजाकर राज्य भर में सखुआ का पत्ता घुमा कर सरकार के इस नियोजन नीति का विरोध करेंगे. तीसरे और अंतिम चरण में छात्रों ने 9 जून से 11 जून तक झारखंड के सभी प्रखंड और जिला मुख्यालय में पहले दिन यानी 9 जून को मशाल जुलूस निकालकर 10 और 11 जून के झारखंड बंद को सफल बनाने का आह्वान करेंगे.
नियोजन नीति को लेकर झारखंड बंद होगा ऐतिहासिक-देवेन्द्र: छात्र नेता देवेंद्र नाथ महतो ने नियोजन नीति को लेकर छात्रों के द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन को जायज बताते हुए कहा है कि सरकार छात्रों की मांगों की अनदेखी कर रही है, जिसके खिलाफ पूरे राज्य भर के छात्र अब सड़कों पर उतरेंगे. एक महीने के इस चरणबद्ध आंदोलन के पहले चरण का कार्यक्रम जारी है, जिसके तहत सभी विधायक और सांसदों से छात्र मुलाकात कर नियोजन नीति के मुद्दे पर समर्थन देने की मांग कर रहे हैं. 10 और 11 जून को प्रस्तावित झारखंड बंद सफल होगा. इसके लिए तैयारी पूरी की जा रही है. इससे पहले सरकार यदि छात्रों की मांगों पर विचार करती है और कोई घोषणा किया जाता है तो उस पर निर्णय आगे लिया जाएगा.
एक दर्जन से अधिक सांसद और विधायकों को छात्र सौंप चुके हैं ज्ञापन: उन्होंने कहा है कि छात्रों की अलग-अलग टोली सांसद और विधायक से मुलाकात कर रही है. उन्हें ज्ञापन देकर नियोजन नीति के मुद्दे पर समर्थन करने का आग्रह किया जा रहा है. अब तक एक दर्जन से अधिक सांसद और विधायकों से छात्र मिल चुके हैं. सभी ने छात्रों की मांग को सही बताते हुए समर्थन देने का आश्वासन दिया है.
गौरतलब है कि राज्य सरकार की नियोजन नीति का छात्र लगातार विरोध कर रहे हैं. छात्रों का मानना है कि इससे स्थानीय मूलवासी झारखंड के छात्रों का अहित होगा और उन्हें अवसर से वंचित होना पड़ेगा. बिहार और अन्य राज्यों ने अपने राज्य के स्थानीय लोगों के लिए नीति बनाकर दूसरे राज्यों के छात्रों को ग्रेड-3 के सरकारी नौकरी पाने से प्रतिबंधित कर रखा है. मगर, झारखंड सरकार ने ओपन टू ऑल कर झारखंड के मूलवासी छात्रों के साथ अन्याय किया है.