रांची: झारखंड पुलिस में कार्यरत जमादार देवेंद्र सिंह किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. पुलिस के आला अधिकारी हों, महेंद्र सिंह धोनी हों या फिर कोई भी वीआईपी, देवेंद्र सिंह के नाम से सभी वाकिफ हैं और यह सब संभव हो पाया है देवेंद्र के किए गए कार्यों की वजह से. सेवा ही धर्म है यह मानकर चलने वाले देवेंद्र अपने नए कार्यों के अलावा अपने बेहतर कर्तव्य के लिए भी जाने जाते हैं. ट्रैफिक विभाग में रहते हुए अपने 4 साल के कार्यकाल के दौरान देवेंद्र ने कई मिसाल कायम की. सड़क पर हादसे का शिकार होने वाले लोगों को अस्पताल पहुंचाया. उनके लिए अपना खून तक दिया. वहीं, जब शहर में तीन खूंखार नक्सली एके-47 लेकर प्रवेश कर गए तो उन्हें भी धर दबोचा. इसके बाद उन्हें राष्ट्रपति पदक से नवाजा गया.
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20 साल से हैं पुलिस में, ट्रैफिक में रहते खूब कमाया नाम
देवेंद्र सिंह 20 वर्षों से झारखंड पुलिस को अपनी सेवा दे रहे हैं. वर्तमान समय में देवेंद्र रांची के तुपुदाना ओपी में पदस्थापित हैं. इससे पहले वे 4 साल तक ट्रैफिक में अपनी सेवा दे चुके हैं. वैसे तो नक्सल अभियान से लेकर अपराधियों की धरपकड़ में भी देवेंद्र अपनी काबिलियत दिखा चुके हैं लेकिन उन्होंने ट्रैफिक विभाग में रहते हुए खूब नाम कमाया. 4 साल तक राजधानी के अलग-अलग चौक चौराहों पर देवेंद्र ने ट्रैफिक व्यवस्था को संभालने में अपनी जिम्मेदारी को बेहतरीन तरीके से निभाया.
ट्रैफिक में रहने के दौरान देवेंद्र से जुड़े कई किस्से राजधानी के लोग आज भी बड़े गर्व के साथ लोगों को सुनाते हैं. देवेंद्र के अनुसार अक्सर सड़क पर दुर्घटनाएं होती रहती थी. यह देखकर वह विचलित होते थे. जिसके बाद उन्होंने तत्कालीन ट्रैफिक एसपी संजय रंजन सिंह से यह गुजारिश की कि सभी ट्रैफिक पोस्ट पर फर्स्ट एड किट रखा जाय ताकि शुरुआती इलाज कर लोगों की जान बचाई जा सके. देवेंद्र की इस योजना का पुलिस अधिकारियों ने स्वागत किया और उसी समय से रांची के हर ट्रैफिक पोस्ट पर फर्स्ट एड बॉक्स रखा जाने लगा.
एक दर्जन से ज्यादा लोगों की बचाई जान, भटके बच्चों को पहुंचाया घर
ट्रैफिक पोस्ट पर तैनात रहने के दौरान सड़क हादसे में घायल लोगों को बचाने में देवेंद्र ने अपना बेमिसाल योगदान दिया है. इसकी वजह से उन्हें कई बार सम्मानित किया गया है. देवेंद्र के घर में हर तरफ सर्टिफिकेट ही सर्टिफिकेट दिखाई देते हैं जो उनके बेहतरीन कार्यों का फल है. रांची में रहते हुए देवेंद्र ने एक दर्जन से अधिक लोगों की सड़क दुर्घटना में जान बचाई है. कई लोगों के लिए उन्होंने खुद अपना खून दिया ताकि उनकी जान बच सके.
2018 में जब उपद्रवियों ने स्कूल बस को घेर लिया था तब देवेंद्र ने अपनी जान पर खेलकर स्कूल बस में तोड़फोड़ होने से बचाया और जाम में फंसे बच्चों को अपने पैसे से फल और केक लाकर खाने को दिया था. उस दौरान सभी गार्जियन ने मिलकर देवेंद्र को सम्मानित किया था. यही नहीं कई बार जब मासूम बच्चे अपने घरों से भटक कर देवेंद्र को मिले तो उन्होंने पत्रकारों की मदद से बच्चे की तस्वीर को वायरल कर उनके मां-बाप को ढूंढा और उन्हें उनके घर तक पहुंचाया.
एके-47 के साथ तीन नक्सलियों को दबोचा
देवेंद्र बताते हैं कि जीवन में तो कई पुरस्कार उन्हें मिले हैं लेकिन जब राष्ट्रपति के द्वारा उन्हें पदक मिला तो उन्हें बहुत गर्व हुआ. दरअसल, रांची के बिरसा चौक पर ड्यूटी पर तैनात देवेंद्र को एक वाहन के नंबर प्लेट को देखकर शक हुआ क्योकि नंबर प्लेट दोनों तरफ से खराब किए हुए थे. जांच के दौरान उस वाहन में सवार तीन लोग भी संदिग्ध दिख रहे थे जिसके बाद अपने दूसरे ट्रैफिक पुलिस के सहकर्मियों के साथ देवेंद्र ने उस वाहन को अपने कब्जे में ले लिया और अपने सीनियर अधिकारियों को मामले की जानकारी दी. जब तीनों व्यक्तियों को हिरासत में लेकर वाहन की तलाशी ली गई तो उसमें से एके-47 राइफल और कई हथियार बरामद हुए. जिन संदिग्ध लोगों को पकड़ा गया था वह नक्सली संगठन के सक्रिय सदस्य निकले. देवेंद्र के इस साहसिक कार्य के लिए पुलिस मुख्यालय ने राष्ट्रपति पदक की अनुशंसा की थी.
धोनी भी हैं देवेंद्र के फैन
भारतीय टीम के पूर्व कप्तान स्टार क्रिकेटर और रांची के राजकुमार कहे जाने वाले महेंद्र सिंह धोनी भी देवेंद्र सिंह के फैन हैं. देवेंद्र जब एयरपोर्ट चौक पर तैनात थे, तब अक्सर उनकी मुलाकात धोनी से हुआ करती थी. देवेंद्र सिंह को लगातार ड्यूटी पर मुस्तैद रहते देख धोनी कई बार खुद रुककर देवेंद्र से मुलाकात करते थे.
एक दर्जन से अधिक स्नेचर भी पकड़े
ट्रैफिक पुलिस में रहते हुए 4 सालों तक देवेंद्र ने न सिर्फ ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त किया बल्कि इस दौरान उन्होंने कई अपराधियों को भी दबोच कर पुलिस के हवाले किया है. उनके इस कार्य के लिए डीजीपी से लेकर कई बड़े अधिकारियों ने सम्मानित भी किया है.
पत्नी हैं बॉयोलॉजी की टीचर
बिहार के गया जिला के रहने वाले देवेंद्र अपने छोटे से परिवार के साथ रांची के मेकॉन कॉलोनी में रहते हैं. देवेंद्र सिंह की पत्नी सविता सिंह बिहार में सरकारी टीचर हैं और वह बायोलॉजी पढ़ाती हैं. देवेंद्र के तीन बच्चे हैं जो रांची में रहकर बेहतर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. देवेंद्र सिंह की पत्नी सविता सिंह बताती हैं कि उनके पति पुलिस में बेहतर काम कर रहे हैं और उन्हें सम्मान मिलता है तो वह गर्व महसूस करती हैं. लेकिन जब उन्हें राष्ट्रपति पदक मिला तब पूरे परिवार का मान बढ़ा.
स्वान दस्ते में दे चुके हैं सेवा
देवेंद्र झारखंड पुलिस के श्वान दस्ते में भी अपनी सेवा दे चुके हैं. उस दौरान नक्सलियों के द्वारा लगाए गए लैंडमाइंस को ढूंढने के लिए वे लगातार जंगलों में जाते थे. वहां डॉग स्कायड और बीडीएस की टीम के साथ अपने साथियों को बचाने के लिए लैंडमाइंस खोजकर उन्हें निष्क्रिय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे.
कोविड संक्रमण के दौरान रहे एक्टिव
जब कोविड-19 प्रकोप हर जगह फैला उस दौरान भी देवेंद्र ट्रैफिक पुलिस में रहते हुए लोगों की सेवा में जुटे रहे. आम लोगों को जागरूक करना हो या फिर किसी बुजुर्ग को दवा पहुंचाना है हर काम देवेंद्र ने अपने टीम के साथ मिलकर किया. कोविड-19 संक्रमण से बचने के लिए पंपलेट भी छपवा कर उन्होंने आम लोगों के बीच बांटा.
देवेंद्र के लिए सेवा ही धर्म
एएसआई देवेंद्र सिंह रांची के कांटा टोली, रातू रोड, सुजाता चौक, बिरसा चौक और शहर के अन्य कई चौकों पर अपनी सेवा दे चुके हैं. उनके द्वारा 100 से अधिक बार मानवीय कार्य किए गए हैं. उनके द्वारा इस मानवीय कार्य किए जाने से कई लोगों की जान बची है. यही वजह है कि राजधानी में देवेंद्र सिंह का नाम एक अच्छे और ईमानदार पुलिसकर्मी के रूप में जाना जाता है. इनको अपने अच्छे कार्य और जनता की सेवा करने के लिए राज्य के पुलिस महानिदेशक समेत कई सामाजिक संस्थानों के द्वारा सम्मानित किया जा चुका है.