लातेहार: झारखंड सरकार द्वारा पर्यटन के विकास को लेकर कई प्रकार की बातें कही जाती हैं. पर्यटन के विकास के नाम पर करोड़ों रुपए भी खर्च किए जा रहे हैं. लेकिन इन योजनाओं के सहारे पर्यटकों को आकर्षित करने में सरकारी विभाग पूरी तरह उदासीन है. झारखंड का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल नेतरहाट इसका एक जीता जागता उदाहरण है.
दरअसल, नेतरहाट के प्रसिद्ध पर्यटन क्षेत्र कोयल व्यू प्वाइंट पर झारखंड टूरिज्म डेवलपमेंट डिपार्टमेंट के द्वारा करोड़ों रुपए की लागत से पार्क का निर्माण कराया गया है. कोयल व्यू प्वाइंट को सनराइज प्वाइंट भी कहा जाता है. क्योंकि कोयल व्यू प्वाइंट से सूर्योदय का नजारा काफी खूबसूरत दिखाई देता है. जब यहां पार्क का निर्माण नहीं हुआ था तो खुला मैदान रहने के कारण बड़ी संख्या में लोग आसानी से यहां पहुंचते थे और सूर्योदय के नजारे को देखते थे.
पर्यटन विभाग के द्वारा इस स्थान को डेवलप करते हुए यहां पार्क का निर्माण कराया. पार्क में सूर्योदय के विहंगम नजारे को देखने के लिए भी टावर बनाए गए हैं. पार्क बन जाने के कारण कोयल व्यू प्वाइंट तक जाने का रास्ता भी बंद हो गया. इधर निर्माण कार्य पूरा हुए 1 वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी आज तक इस पार्क को आम पर्यटकों के लिए नहीं खोला गया है.
पार्क खुला नहीं रहने से पर्यटकों को कोयल व्यू प्वाइंट तक जाने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. जिस कारण कई पर्यटक कोयल व्यू प्वाइंट को देख भी नहीं पाते हैं. बंगाल से आए पर्यटक डॉक्टर देव ने कहा कि पार्क को पता नहीं किस कारण से बंद रखा गया है. उन्होंने कहा कि वह पिछली बार भी आए थे तो पार्क बंद था. उन्होंने कहा कि पार्क बंद रहने से पर्यटकों को निराश होकर लौटना पड़ रहा है.
![Koel view Point in Latehar](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/14-02-2025/jh-lat-koyal-pakr-pkg-jh10010_13022025170736_1302f_1739446656_499.jpeg)
![Koel view Point in Latehar](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/14-02-2025/jh-lat-koyal-pakr-pkg-jh10010_13022025170736_1302f_1739446656_897.jpeg)
पर्यटन के विकास के लिए बनानी होगी योजना
नेतरहाट में वर्षों से बंद पड़ा यह पार्क झारखंड टूरिज्म डेवलपमेंट सोसाइटी की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लगा रहा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि सिर्फ पैसे खर्च करने और कंस्ट्रक्शन कर देने भर से पर्यटन का विकास नहीं हो सकता है. इसके लिए सरकार को योजनाबद्ध तरीके से काम करना होगा.
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